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जेएनयू में लगे पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे, अफजल गुरु की फांसी की निंदा भी की

जेएनयू कैंपस मे सक्रिय कुछ कश्मीर, दलित व अल्पसंख्यक विद्यार्थियो की ओर से अफजल की बरसी पर आयोजित इस कार्यक्रम पर एबीवीपी को ऐतराज था और इसी के चलते न सिर्फ हंगामा हुआ, बल्कि बात हाथपाई व मारपीट तक जा पहुंची।

By JP YadavEdited By: Published: Thu, 11 Feb 2016 09:11 AM (IST)Updated: Thu, 11 Feb 2016 09:24 AM (IST)
जेएनयू में लगे पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे, अफजल गुरु की फांसी की निंदा भी की

नई दिल्ली। संसद पर हुए आतंकी हमले मे शामिल होने के कारण फांसी की सजा पाने वाले अफजल गुरु और जम्मू एंड कश्मीर लिबरेशन फ्रंट के संस्थापक मकबूल भट की याद में कल यानी मंगलवार शाम को जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) मे सांस्कृतिक संध्या के आयोजन को लेकर जमकर हंगामा हुआ।

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जेएनयू कैंपस मे सक्रिय कुछ कश्मीर, दलित व अल्पसंख्यक विद्यार्थियो की ओर से अफजल की बरसी पर आयोजित इस कार्यक्रम पर एबीवीपी को ऐतराज था और इसी के चलते न सिर्फ हंगामा हुआ, बल्कि बात हाथपाई व मारपीट तक जा पहुंची।

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स्थिति की गंभीरता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि प्रशासन को हालात पर काबू पाने के लिए पुलिस बुलानी पड़ी। जेएनयू छात्रसंघ के संयुक्त सचिव व एबीवीपी से जुडे़ सौरभ शर्मा ने कहा कि कैपस मे संसद हमले के दोषी अफजल गुरू की बरसी मनाने का औचित्य उनकी समझ से परे है।

यही कारण है कि वे उक्त आयोजन का विरोध कर रहे है। सौरभ ने कहा कि उन्होने जब इस आयोजन की जानकारी प्रशासन को दी, तो इसे लेकर प्रशासन ने स्पष्ट किया कि ऐसा कोई कार्यक्रम कैंपस में नही होगा। जब प्रशासन के इन्कार के बावजूद ये आयोजन किया गया तो हम लोगो ने इसके खिलाफ प्रदर्शन किया।

सौरभ ने कहा कि हमारी मांग है कि एक आतंकी को शहीद बताने वाले विद्यार्थियो और उनको सहयोग कर रहे कैपस के अन्य शिक्षको व छात्रो की जांच हो। जहां तक इस कार्यक्रम की बात है तो हम केद्रीय गृहमंत्रालय से भी मांग करेंगे कि इस आयोजन से जुडे़ व इसमे शामिल लोगो की भूमिका की भी जांच कराई जाए।

इस संबंध मे जब जेएनयू अध्यक्ष कन्हैया कुमार से पूछा गया तो उनका कहना था कि उक्त कार्यक्रम अफजल गुरू के पक्ष मे कतई नही था। इसके पीछे का उद्देश्य यह बताना था कि किस तरह से हमारा न्यायिक ढांचा काम करता है।

उन्होंने बताया कि कार्यक्रम का नाम था 'द कंट्री विदाउट ए पोस्ट ऑफिस'। उन्होने कहा कि जब अफजल को फांसी दी जा चुकी थी तो उसके कई दिन बाद इसकी सूचना से संबंधित पत्र उसके परिवार को मिला।

कन्हैया ने कहा कि साबरमती लॉन मे आयोजित इस कार्यक्रम को पहले प्रशासन ने मंजूरी दे दी थी, लेकिन एबीवीपी के विरोध के चलते इस मंजूरी को रद किया गया। कन्हैया कहते हैं कि ये किसी भी तरह से उचित नही है कि प्रशासन किसी एक संगठन के दबाव मे काम करे।

यदि उन्हें इस आयोजन पर ऐतराज था तो इसकी मंजूरी ही नहीं दी जानी चाहिए थे। कन्हैया ने कहा कि देश मे सभी को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है। ऐसे मे यदि कुछ विद्यार्थी किसी माध्यम से अपनी भावनाएं व्यक्त करना चाहते है तो उसपर हंगामा अनुचित है।

एबीवीपी ने किया विश्वविद्यालय बंद का ऐलान

कैंपस मे प्रशासन के इन्कार के बावजूद अफजल गुरु की बरसी के मौके पर सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाने के खिलाफ एबीवीपी ने विश्वविद्यालय बंद का ऐलान किया है।

जेएनयू छात्रसंघ के संयुक्त सचिव सौरभ का कहना है कि आयोजन के दौरान प्रशासन व सुरक्षाकर्मी कार्रवाई करने के बजाय मूक दर्शक बने रहे। उन्होने कहा कि हमारी मांग है कि इस आयोजन से जुड़े लोगों को प्रशासन तुरंत बर्खास्त करे, ताकि भविष्य मे ऐसी देश विरोधी गतिविधियो का कैंपस मे आयोजन न हो सके।


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