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    डॉ. कलाम की राह पर जेएनयू के जगदीश

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    Updated: Wed, 03 Feb 2016 12:52 AM (IST)

    शैलेन्द्र सिंह, नई दिल्ली तेलंगाना के एक छोटे से गांव के स्कूल शिक्षक रंगाराव के घर में जन्मे और प

    शैलेन्द्र सिंह, नई दिल्ली

    तेलंगाना के एक छोटे से गांव के स्कूल शिक्षक रंगाराव के घर में जन्मे और पढ़ाई लिखाई को लेकर लगातार संघर्ष कर आगे बढ़े जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के नवनियुक्त कुलपति प्रो.एम. जगदीश कुमार भारत के पूर्व राष्ट्रपति स्वर्गीय डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम की राह पर अग्रसर हैं। जी हां, कुलपति जैसे अहम पद पर पहुंचने के बाद भी प्रो.जगदीश कुमार ने अपने पहले प्यार यानी क्लासरूम को नहीं छोड़ा है। यही वजह है कि मंगलवार को भी वे विश्वविद्यालय आइआइटी, दिल्ली में क्लास लेने के बाद ही पहुंचे।

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    कुलपति का पद संभालने के बाद सबसे पहले दैनिक जागरण के साथ हुई अपनी बातचीत में प्रो.जगदीश कुमार ने बताया कि उनके जीवन का पहला और अंतिम लक्ष्य यही है कि वे हमेशा शिक्षण कार्य से जुड़े रहें। यही वह वजह है, जिसके चलते वे अपनी विभिन्न अहम जिम्मेदारियों के बीच भी टीचिंग के लिए समय निकालते आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि मुझे इस बात का इल्म है कि एक कुलपति का पद कितना जिम्मेदारी भरा होता है। इस पद पर काम करते हुए समय का कितना अभाव रहता है, बावजूद इसके मेरा प्रयास है कि मैं शिक्षण कार्य को जारी रखूं। उन्होंने बताया कि वे आइआइटी, दिल्ली में एमटेक के विद्यार्थियों को पढ़ाते थे और उन्होंने जेएनयू कुलपति की जिम्मेदारी मिलने के बाद भी इस व्यवस्था को बंद नहीं किया है।

    प्रो.कुमार ने बताया कि वे मंगलवार को भी सुबह आइआइटी में बच्चों को पढ़ाकर ही जेएनयू आए हैं। उनकी कोशिश है कि अगले पांच सालों तक इस नई भूमिका के बीच वे सप्ताह में तीन दिन आइआइटी में अपने विद्यार्थियों की करीब 50 मिनट की क्लास लेते रहें। वे कहते हैं कि चूंकि मेरी क्लास सुबह आठ बजे से आठ बजकर पचास मिनट तक चलती है, इसलिए कुलपति कार्यालय की जिम्मेदारियों के लिए मुझे बच्चों का साथ नहीं छोड़ना पडे़गा। प्रो. कुमार की यही सोच उन्हें कहीं न कहीं भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. कलाम के करीब ले जाती है। प्रो. कुमार कहते हैं कि डॉ. कलाम हमेशा से ही मेरे लिए प्रेरणा स्रोत रहे हैं। वे जितने अच्छे वैज्ञानिक थे, उससे कहीं ज्यादा अच्छे एक शिक्षक थे।

    विद्यार्थियों के लिए खुला रहेगा कार्यालय का दरवाजा

    आइआइटी के विद्यार्थियों के साथ अपने गुरु-शिष्य के रिश्ते को कायम रखने वाले जेएनयू के कुलपति यहां के विद्यार्थियों के संबंधों को लेकर भी बेहद सजग हैं। यही कारण है कि कुलपति ने पदभार संभालते ही पहला काम विद्यार्थियों से सीधे संवाद की व्यवस्था विकसित करने का किया है। कुलपति प्रो. जगदीश कुमार ने बताया कि जेएनयू के छात्रों के लिए हर माह के पहले सोमवार को उनके कार्यालय का दरवाजा बिना किसी पूर्व अनुमति के खुला रहेगा। उन्होंने बताया दोपहर ढाई बजे से शाम साढे़ पांच बजे तक कोई भी छात्र-छात्रा अपने सुझाव व समस्या को लेकर मुझसे मिल सकता है। और यकीनन इस दौरान सामने आने वाले विषयों को हम प्राथमिकता के साथ हल करने का प्रयास करेंगे। कुलपति ने कहा कि ये सीधे संवाद की व्यवस्था बीते सोमवार (1 फरवरी) से शुरू कर दी गई है। पहले ही दिन हमें दिव्यांग श्रेणी के विद्यार्थियों की समस्याओं को करीब से जानने-समझने का अवसर भी मिला।

    तकनीक का होगा खूब इस्तेमाल

    प्रो. जगदीश कुमार ने बताया कि आज देश में डिजीटल इंडिया की बात हो रही है, ऐसे में मेरा भी मानना है कि तकनीक के माध्यम से हम काफी अहम जिम्मेदारियों का निर्वाह बेहद कम समय में आसानी से कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि आइआइटी में उनके अंडर करीब 200 विद्यार्थी अध्ययनरत हैं। नई जिम्मेदारियों के बीच उनकी शैक्षणिक समस्याओं का समाधान व्यक्तिगत तौर पर कर पाना संभव नहीं था, इसलिए मैंने फेसबुक पर एक ग्रुप की व्यवस्था की है। अब मैं समय मिलने पर अपने विद्यार्थियों की उस ग्रुप पर ही शंकाओं का समाधान कराता हूं। मेरी यही कोशिश है कि ईमेल आदि माध्यम का इस्तेमाल कर विद्यार्थियों से जुड़ा जाए और उनकी समस्याओं का समय रहते निदान किया जाए।