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    संसदीय सचिव बने 21 AAP विधायकों ने EC को दिया जवाब

    By JP YadavEdited By:
    Updated: Wed, 11 May 2016 08:07 AM (IST)

    दिल्ली सरकार में संसदीय सचिव बने आम आदमी पार्टी (आप) के 21 विधायकों ने आज चुनाव आयोग को अपना जवाब सौंप दिया।

    नई दिल्ली। दिल्ली सरकार में संसदीय सचिव बने आम आदमी पार्टी (आप) के 21 विधायकों ने आज चुनाव आयोग को अपना जवाब सौंप दिया। जवाब देने का आज अंतिम दिन था। चुनाव आयोग ने इन विधायकों को मार्च में नोटिस जारी कर जवाब मांगा था।

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    विधायकों को 11 अप्रैल तक जवाब देना था, लेकिन उन्होंने 6 हफ्ते का और समय मांगा, तो चुनाव आयोग ने 10 मई तक का समय दे दिया था। मार्च 2015 में दिल्ली सरकार ने 21 विधायकों को संसदीय सचिव बनाया था।

    प्रशांत पटेल ने राष्ट्रपति के पास याचिका लगाकर आरोप लगाया कि ये 21 विधायक लाभ के पद पर हैं, इनकी सदस्यता रद होनी चाहिए। राष्ट्रपति ने याचिका चुनाव आयोग को भेजकर कार्रवाई करने को कहा था।

    विधायकों का कहना है कि वे संसदीय सचिव के नाते कोई वेतन भत्ता या ऐसी सुविधा नहीं ले रहे हैं, जो लाभ के पद के दायरे में हो। दिल्ली सरकार ने भी उन्हें लिखकर दिया है कि संसदीय सचिव के तौर पर कोई सुविधा नहीं दी जा रही है।

    पार्टी के लिए आज का दिन बेहद अहम माना जा रहा है क्योंकि दिल्ली सरकार में संसदीय सचिव बने जिन 21 आम आदमी पार्टी विधायकों की सदस्यता पर तलवार लटकी है। यहां याद दिला दें कि आप विधायकों को जवाब देने के लिए आज तक (10 मई) का वक्त दिया है।

    सदस्यता क्यों ना रद की जाए?

    चुनाव आयोग ने इन विधायकों को मार्च महीने में नोटिस जारी कर पूछा था कि इनकी सदस्यता क्यों ना रद की जाए? विधायकों को 11 अप्रैल तक जवाब देना था, लेकिन उन्होंने 6 हफ्ते का और समय मांगा था। इस पर अदालत ने उन्हें आज तक का वक्त दिया था।

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    पढ़ें पूरा मामला

    मार्च 2015 में दिल्ली सरकार ने 21 आम आदमी पार्टी विधायकों को संसदीय सचिव बना दिया था। इसके खिलाफ प्रशांत पटेल नाम के शख्स ने राष्ट्रपति के पास याचिका लगाकर आरोप लगाया कि ये 21 विधायक लाभ के पद पर हैं, इसलिए इनकी सदस्यता रद होनी चाहिए।

    राष्ट्रपति ने ये याचिका चुनाव आयोग को भेजकर कार्रवाई करने को कहा और इसी के तहत आम आदमी पार्टी के विधायकों से चुनाव आयोग ने नोटिस भेजकर जवाब मांगा है।

    पूरे मामले पर एक नजर

    -मार्च 2015 में दिल्ली सरकार ने 21 विधायकों की नियुक्ति की थी, जबकि इसके लिए कानून में जरूरी बदलाव कर विधेयक जून 2015 में विधानसभा से पास हुआ, जिसको केंद्र सरकार से अब तक मंजूरी नहींं मिली है।

    - आरोप है कि अगर केजरीवाल सरकार को लगता था कि उसने इन 21 विधायकों की नियुक्ति सही और कानूनी रूप से ठीक की है, तो नियुक्ति के बाद विधानसभा में संशोधित बिल क्यों पास किया?

    इन 21 आप विधायकों पर लटकी है तलवार

    1. जरनैल सिंह, राजौरी गार्डन
    2. आदर्श शास्त्री, द्वारका
    3. नरेश यादव, महरौली
    4. अलका लांबा, चांदनी चौक
    5. प्रवीण कुमार, जंगपुरा
    6. राजेश ऋषि, जनकपुरी
    7. राजेश गुप्ता, वज़ीरपुर
    8. नितिन त्यागी, लक्ष्मी नगर
    9. विजेंद्र गर्ग, राजेंद्र नगर
    10. अवतार सिंह, कालकाजी
    11. शरद चौहान, नरेला
    12. सरिता सिंह, रोहताश नगर
    13. संजीव झा, बुराड़ी
    14. सोम दत्त, सदर बाज़ार
    15. शिव चरण गोयल, मोती नगर
    16. अनिल कुमार बाजपेेयी, गांधी नगर
    17. मनोज कुमार, कोंडली
    18. मदन लाल, कस्तूरबा नगर
    19. सुखबीर दलाल, मुंडका
    20. कैलाश गहलोत, नजफ़गढ़
    21. जरनैल सिंह, तिलक नगर