'सेना के प्रति सम्मान, देश का सम्मान, सर्वश्रेष्ठ हैं जवान'
जेएनयू ने सेना के प्रति सम्मान प्रदर्शित करने का एक उदाहरण स्थापित किया है। सेना का सम्मान देश का सम्मान है।
नई दिल्ली [जेएनएन]। सेना को लेकर गलत बयान न दिए जाएं। जो लोग सेना पर गलत बयानबाजी करते हैं, भगवान उन्हें बुद्धि दे। जेएनयू हमेशा कई मुद्दों को लेकर चर्चा में रहता है, लेकिन आज जेएनयू ने सेना के प्रति सम्मान प्रदर्शित करने का एक उदाहरण स्थापित किया है। सेना का सम्मान देश का सम्मान है। यह बातें केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कारगिल विजय दिवस की 18वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य पर जेएनयू में आयोजित कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि कहीं।
कैंपस में रविवार को शहीदों को श्रद्धाजंलि देने के लिए विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। इस दौरान तिरंगा मार्च निकाला गया। मुख्य गेट से विवि कन्वेंशन सेंटर तक कुल दो किलोमीटर के इस मार्च में केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, विदेश राज्यमंत्री जनरल वीके सिंह, क्रिकेटर गौतम गंभीर, कारगिल युद्ध के 23 अमर शहीदों के परिवार समेत बड़ी संख्या में पूर्व फौजियों व लोगों ने शिरकत की।
सेना के जवान हैं सर्वश्रेष्ठ
गौतम गंभीर ने कहा कि देश में कोई राजनीतिज्ञ, फिल्मकार, क्रिकेटर सर्वश्रेष्ठ नहीं होता है, अगर कोई सर्वश्रेष्ठ है तो वह सेना के जवान हैं। उन्होंने कहा कि हमें अपने राष्ट्रध्वज, सेना और स्वतंत्रता पर गर्व होना चाहिए। विवि कुलपति प्रो एम जगदीश कुमार ने केंद्रीय मंत्रियो से कैंपस में प्रदर्शित करने के लिए एक टैंक उपलब्ध कराने की मांग की।
JNU में राष्ट्रवाद की लहर दौड़ गई
जेएनयू के रेक्टर-3 प्रो आरपी सिंह ने शहीदों को श्रद्धाजंलि देने के लिए आयोजित कार्यक्रम को विवि के लिए गौरवपूर्ण बताया। जेएनयू छात्रसंघ के पूर्व संयुक्त सचिव व एबीवीपी नेता ने कहा कि यह दिन विवि के दिन स्वर्णिम दिन के रूप में जाना जाएगा। उन्होंने कहा कि पूर्व में जेएनयू में तिरंगा फहराना भी मुश्किल होता था, लेकिन आज 1200 फीट के तिरंगे के साथ मार्च आयोजित किया गया है। आज के मार्च को देखकर लगता है कि विवि में राष्ट्रवाद की लहर दौड़ गई है।
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