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    हिंदी फिल्मों की होली और भोजपुरी में 'देहिया रंग खोजता'..जानिए

    By Kajal KumariEdited By:
    Updated: Sun, 05 Mar 2017 11:00 PM (IST)

    हिंदी फिल्मों और भोजपुरी फिल्मों मे फिल्माए जाने वाले होली गीतों की बात ही कुछ और होती थी, लोग आज भी पुराने गीतों को पसंद करते हैं। लेकिन आज इन गीतों ...और पढ़ें

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    हिंदी फिल्मों की होली और भोजपुरी में 'देहिया रंग खोजता'..जानिए

    पटना [काजल]। आम के पेड़ों के मंजर की खुशबू, अलसाया -सा मौसम और बसंती बयार दस्तक दे रहे है कि फागुन का महीना चल रहा है और होली अब नजदीक है। इन सबके अलावे बाजारों, गली-चौराहों पर बज रहे होली के गीत भी याद दिला रहे कि रंग-रंगीली होली में कुछ ही दिन शेष हैं।

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    मदर इंडिया फिल्म का गाना होली आई रे कन्हाई रंग बरसे सुना दे जरा...बांसुरी, से शुरु हुई फिल्मों की होली इसके साथ ही भोजपुरी फिल्म नदिया के पार का जोगी जी धीरे-धीरे, जोगी जी वाह जोगी जी...इन गानों की मधुरता आज चौक-चौराहों पर बज रहे अश्लील भोजपुरी गीतों ने ले लिया है।

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    वक्त बदला, ट्रेंड बदला और बदल गयी होली भी

    फिल्मों की होली और होली पर फिल्माए कुछ पुराने गाने इतने मशहूर हैं कि आज भी प्रत्येक होली में गुनगुनाए और सुुने जाते हैं और लोग आज भी पसंद करते हैं। वक्त बदला, ट्रेंड बदला और अब तो डीजे होली का ट्रेंड है, जोर-जोर से डीजे की धुन पर थिरकते हुए लोग फिल्मों की नकल उतारकर बॉलीवुड ट्रेंड की होली मनाने लगे हैं। 

    जीजा-साली, देवर भाभी की होली नहीं डीजे होली का ट्रेंड

    इससे इतर पहले गांवों की होली देवर-भाभी की चुहल, ननद- भौजी या जीजा-साली की होली के रुप में जानी जाती थी, जिसका लोग पूरे साल इंतजार करते थे, लेकिन अब इसकी जगह अश्लीलता और फूहड़ता ने ले ली है। शारदा सिन्हा के गाए होली गीत जिसमें होली में पिया के विरह और उसका इंतजार होता था। अब उन गानों के शब्द बदल गए हैं, भाव बदल गए हैं और इन गानों को गाने वाले लोक कलाकारों ने द्विअर्थी गाने गाकर होली के रंग को बदरंग कर दिया है।

    बॉलीवुड ने भी होली को भुला दिया है

    बॉलीवुड की भी बात करें तो वहां भी अब होली के गीतों को लगभग भुला दिया गया है। एक जमाना था, जब रंग और उमंग के त्योहार होली के गीत फिल्मों में रखे जाते थे लेकिन इन दिनों न इस तरह की फिल्में बन रही हैं और न ही होली पर आधारित गीत लिखे जा रहे हैं।

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    होली का पहला फिल्मी गीत, होली आई रे...

    होली के पहले गीत की बात करें तो निर्माता निर्देशक महबूब खान की 1957 में प्रदर्शित फिल्म 'मदर इंडिया' संभवत: पहली फिल्म थी जिसमें होली का गीत 'होली आई रे कन्हाई' फिल्माया गया था। नरगिस, राजेंद्र कुमार और सुनील दत्त अभिनीत इस फिल्म में होली के इस गीत का विशिष्ट स्थान आज भी बरकरार है।

    इसके बाद वर्ष 1959 में प्रदर्शित फिल्म 'नवरंग' में भी होली का गीत ' चल जा रे हट नटखट' फिल्माया गया। इस गीत से जुड़ा रोचक तथ्य है कि इसमें अभिनेत्री संध्या को गाने के दौरान लड़के और लड़की के भेष में एक साथ दिखाया गया था। ये गाना आज भी कर्णप्रिय है।

    हर साल लोगों की पसंद में शामिल  अमिताभ बच्चन का 'रंग बरसे भीगे चुनरवाली' का फिल्मी सिलसिला आज भी सभी को खुश कर देता है। फिल्म 'डर' का गाना 'अंग से अंग मिलाना' और फिल्म 'बागबान' का गाना 'होली खेले रघुवीरा' का जलवा हर तबके में आज भी बरकरार है, वहीं कुछ वर्ग एेसा भी है जो अश्लील गानों को पसंद करता है और एेसे कैसेटों और सीडी की बिक्री खूब होती है।

    नदिया के पार का..जोगी जी धीरे-धीरे 

    गांव की होली को दर्शाता और जोगी और जोगनियां की जोड़ी पर बना यह प्यारा-सा गीत आज भी होली का पसंदीदा गीत है। फिल्म नदिया के पार का यह गाना साफ-सुथरा भोजपुरी गाना है, जो होली पर जरूर सुनाई देता है। गांव की होली में फूहड़ता कम आत्मीयता और रिश्तों की मर्यादा को दर्शाता यह खूबसूरत गीत अच्छी तरह फिल्माया भी गया है। अब एेसे गाने भोजपुरी में ना लिखे जाते हैंं ना फिल्माए जाते हैं।

    भोजपुरी में होली के गाने द्विअर्थी और रिश्ते नंगे हो गए हैं

    पिछले चार पांच साल में होली गीतों के अर्थ बदल गए है, बोल द्विअर्थी हो गए है। नए गानों में खेसारीलाल के गाए गाने देहिया रंग खोजता, लाइन मारेले पापा हैं...जो अश्लीलता से भरे हैं, लेकिन यू ट्यूब पर खूब देखे और शेयर किए जा रहे हैं।

    भोजपुरी गानों में अब रिश्ते नंगे कर दिए गए है और अश्लीलता इस कदर हावी हो गयी है कि इन गीतों को सुनकर शर्मिंदगी-सी महसूस होती है। आजकल होली के भोजपुरी गीतों के हर एक बोल द्विअर्थी है। गीतों में होली व रंग का जिक्र कम होता है जवानी का जिक्र ज्यादा होता है।

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