लालू और नीतीश का रिश्ता टूटने की ये भी थी बड़ी वजह, जानिए
सुशील मोदी ने बालू माफिया से राजद अध्यक्ष लालू यादव के संबंधों का खुलासा किया है। इस खुलासे से यह पता चला है कि लालू नीतीश की दोस्ती टूटने के पीछे ये ...और पढ़ें
पटना [जेएनएन]। बिहार के वित्तमंत्री सुशील मोदी ने सोमवार को प्रेस कांफ्रेंस में खुलासा करते हुए राजद अध्यक्ष लालू यादव और उनकी पत्नी और पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी पर राज्य के बालू माफिया से घनिष्ठ संबंध होने का आरोप लगाया है।
सुशील मोदी ने कहा कि बालू माफिया सुभाष यादव लालू यादव का दाहिना हाथ है उन्होंने अपने इस आरोप के समर्थन में एक अपार्टमेंट के तीन फ्लैटों के कागजात मीडियावालों को दिए जिससे उनके आरोपों की पुष्टि होती है। इस अपार्टमेंट का नाम लालू यादव की मां के नाम मरछिया देवी के नाम पर है और इसका निर्माण भी लालू के ही डायरेक्शन में हुआ है
सुमो ने मीडिया को सौंपे सुबूत
जून महीने में राबड़ी देवी ने 1 करोड़ 72 लाख के भुगतान के बाद तीन फ्लैट उन तीन कंपनियों के नाम किए, जिसके निदेशक सुभाष यादव हैं। उन्हें राज्य के पटना, भोजपुर, छपरा और अरवल जिले में जिन तीन अलग-अलग कंपनियों को बालू की ठेकेदारी का काम मिला, उन तीनों कंपनियों में सुभाष यादव निदेशक हैं।
सुभाष यादव ने फ्लैट की रजिस्ट्री उस समय कराई जब यह साफ हो गया था कि उन्हें इसके लिए सीबीआई और आयकर विभाग के पास देर-सबेर सफाई देनी होगी।
लालू-नीतीश का रिश्ता टूटने की ये भी है बड़ी वजह
एक टीवी रिपोर्ट के मुताबिक यह सब जानते हैं कि 2014 से जब नीतीश और लालू करीब आए बालू का कारोबार का खेल जोर पकड़ता गया और जब 2014 नवंबर में सरकार बन गई और लालू यादव के पास विभागों के बंटवारे में खान विभाग आ गया तब यह खेल चरम पर जा पहुंचा।
लेकिन यह बात नीतीश कुमार से छिपी नहीं रही और लालू यादव के साथ राजनीतिक संबंध खत्म करने के पीछे कई करणों में यह एक मुख्य कारण बना, हालांकि कुछ महीने पूर्व पटना हाई कोर्ट के निर्देश पर इस धंधे की जांच में तब पटना के डीआईजी शालीन ने तीन दिन की जांच पर एक रिपोर्ट लिखी।
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डीआईजी शालिन के इस रिपोर्ट में पाया गया था कि बिना किसी अनुमति के माइनिंग हो रही है, लेकिन इस धंधे में न केवल सुभाष यादव बल्कि राजद के विधान पार्षद राधा चरण सेठ और विधायक अरुण यादव का नाम भी शामिल है।
रिपोर्ट में यह भी माना गया कि अधिकारियों की मिलीभगत के बिना ये धंधा संभव नहीं, हालांकि कई पुलिस अधिकारियों ने दबी ज़ुबान में स्वीकार किया कि अवैध बालू की ढुलाई को पकड़ने पर पटना से लेकर दिल्ली तक केंद्रीय जांच एजेंसी के वरिष्ठ अधिकारियों के फ़ोन उनके पास आते थे और नीतीश ने भाजपा के साथ एक बार फिर सत्ता में आने के बाद जब धंधेबाजों पर नकेल कसनी शुरू कि तो सबसे ज्यादा विरोध राजद के लोगों की तरफ से हो रहा है।

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