Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    बिहारः अब सर्जिकल स्ट्राइक के मुद्दे पर महागठबंधन में रार की नौबत

    By Pramod PandeyEdited By:
    Updated: Tue, 11 Oct 2016 03:05 PM (IST)

    पिछले कुछ दिनों से राजद और जदयू के बीच की तल्खी सर्जिकल स्ट्राइक पर दोनों दलों की अलग-अलग प्रतिक्रिया से इनके बीच की दूरी और बढ़ने के ही संकेत हैं।

    पटना [प्रमोद पांडेय ]। पहले शहाबुद्दीन, फिर राजबल्लभ और अब सर्जिकल स्ट्राइक...। महागठबंधन में रार बरकरार है। विभिन्न मुद्दों पर राजनीतिक दलों के अलग-अलग सुर स्वाभाविक हैं पर इन मुद्दों पर बिहार की महागठबंधन सरकार में शामिल दलों की अलग-अलग प्रतिक्रिया और दूसरे दल की प्रतिक्रिया पर टिप्पणी बहुत कुछ कहती है। राजनीतिक पंडितों के यहां भी इन बयानों के निहितार्थ पर मंथन हो रहा है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    इन मुद्दों पर अलग-अलग सुर केवल बयानों तक सीमित नहीं हैं। बात इससे बढ़कर तल्खी तक जा पहुंची है। शहाबुद्दीन के मामले पर तो सिवान में महागठबंधन की एकता ही सवालों के घेरे में है। वहां राजद की सभा में जदयू के अध्यक्ष सह बिहार के मुख्यमंत्री के विरोध में मुर्दाबाद के नारे के निहितार्थ खोजना बहुत मुश्किल भी नहीं। लेकिन सर्जिकल स्ट्राइक पर राजद और जदयू में तकरार बताती है कि जख्म धीरे-धीरे बढ़ रहा है।

    जेल से निकलने के बाद मो.शहाबुद्दीन ने जब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को निशाने पर लिया तो जदयू ने पिछले दिनों एक प्रेस कान्फ्रेंस कर राजद को नेताओं के बड़बोलेपन से बाज आने को कहा था। पार्टी ने शहाबुद्दीन पर टिप्पणी नहीं की बल्कि राजद के वरीय नेता रघुवंश प्रसाद सिंह के बयानों पर सवाल उठाए थे। इसे लेकर दोनों दलों में तल्खी बढ़ गई थी।

    पढ़ेंः लालू ने कहा-हमें सेना का मनोबल ऊंचा रखना है

    रविवार को जदयू के प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह ने सर्जिकल स्ट्राइक पर केंद्र का साथ दिया तो राजद के रघुवंश प्रसाद सिंह ने इसका प्रतिवाद किया। वे सीधे-सीधे कांग्रेस के उपाध्यक्ष राहुल गांधी के बयानों का समर्थन कर भाजपा के दावों को आइना दिखाने लगे। इसे केंद्र पर हमला तो माना ही गया, जदयू अध्यक्ष के बयान का प्रतिवाद भी कहा गया। रघुवंश प्रसाद बोले तो उनके समर्थन में कांग्रेस अध्यक्ष डा.अशोक चौधरी भी आ गए।

    डा.रघुवंश ने सर्जिकल स्ट्राइक पर राहुल के बयान का समर्थन करते हुए कहा कि एेसी घटनाएं पहले भी हुई हैं। यह एक तरह से केंद्र के दावे को नकारने जैसा था और कांग्रेस के आरोपों को पुष्ट करने वाला था। राजद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष के बयान से साफ लगा कि वे केंद्र के साथ नहीं हैं जबकि इसके उलट जदयू के बयान में केंद्र का पूरा समर्थन करने की सदिच्छा झलकती थी।

    पढ़ेंः काटजू ने फिर दिया विवादित बयान, कहा-पटना हाईकोर्ट के जज हैं एबनॉर्मल

    लालू ने भी सेना का समर्थन तो किया पर केंद्र के साथ खड़ा होने से यह कहते हुए इन्कार कर दिया कि यह पहले भी हुआ था आैर आगे भी होगा। यानी कांग्रेस के बयान का लालू ने भी समर्थन किया। उधर जदयू की ओर से केंद्र का समर्थन किए जाने की मीडिया में चर्चा शुरू हुई तो कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष डॉ.अशोक चौधरी ने कह दिया कि जदयू तो क्षेत्रीय पार्टी है। वे अपनी कोई भी राय रख सकते हैं।

    कहा तो उन्होंने सही पर इससे भी साफ हुआ कि राजद और कांग्रेस इस मुद्दे पर एक राह पर हैं जबकि सर्जिकल स्ट्राइक पर नीतीश कांग्रेस के साथ खड़ा होना नहीं चाहते। इस मुद्दे पर पहले ही दिन से ही नीतीश कुमार ने जिस तरह से केंद्र का साथ दिया है उससे पूरे देश में यह संदेश गया है कि नीतीश कुमार इस मुद्दे पर नरेंद्र मोदी के साथ खड़े हैं।

    जानकारों की मानें तो नीतीश ने केंद्र का समर्थन कर किसी न किसी रूप में परिपक्व राजनेता जैसी प्रतिक्रिया के साथ केंद्र से इस मुद्दे पर अपनी निकटता भी प्रदर्शित कर दी। इससे राजद में भीतर-भीतर खिंचाव दिख रहा है। हाल में लालू और नीतीश में तल्खी की बातें भी हवा में तैरती रही हैं। हालांकि दोनों ने इसका खंडन किया है।

    सर्जिकल स्ट्राइक पर पार्टी की ओर से जदयू की लाइन से अलग जाने के बाद लालू ने मीडिया से बातचीत में कहा भी कि राजद और जदयू में कोई मतभेद नहीं है। कहा कि नीतीस से उनकी बात लगातार होती है लेकिन जानकार मानते हैं कि शहाबुद्दीन के जेल से आने के बाद जो कुछ हुआ उससे राजद-जदयू की दूरी बढ़ी है।

    राजबल्लभ की लालू से दो घंटे तक भेंट और अब सर्जिकल स्ट्राइक पर नीतीश और जदयू की प्रतिक्रिया से इतर राजद की ओर से कांग्रेस का समर्थन एेसी बात है जिससे दोनों दलों में दूरी किसी न किसी रूप में बढ़ेगी। यह अगल बात है कि दोनों दल इससे इन्कार कर रहे हैं और करते रहेंगे लेकिन जो कहानी पर्दे के पीछे लिखी जा रही है वह इन बयानों से इतर है और उसके निहितार्थ साफ भी हैं।