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थानेदारों को CM नीतीश ने हड़काया, कहा- मत रहिए थानाप्रभारी.....

शराबबंदी को लेकर लापरवाह पुलिस अधिकारियों को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने नौकरी छोड़ देने तक की सलाह दे दी है। कहा कि मत रहिए थानाप्रभारी लेकिन कानून कानून है, लागू होगा।

By Pramod PandeyEdited By: Published: Sat, 13 Aug 2016 01:27 PM (IST)Updated: Sat, 13 Aug 2016 09:32 PM (IST)

पटना [वेब डेस्क ]। शराबबंदी को लेकर लापरवाह पुलिस अधिकारियों पर कार्रवाई और इससे उपजे विवाद के बीच मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पुलिस अधिकारियों को लेकर बेहद कड़ा बयान दिया है। नीतीश ने कहा है कि जो थानेदार पद छोड़ना चाहते हैं वे स्वतंत्र हैं। वे चाहें तो नौकरी भी छोड़ सकते हैं। लेकिन इस मुद्दे पर किसी तरह की ढिलाई का सवाल नहीं है।

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मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने यह बात एसके मेमोरियल हॉल में कुशवाहा पंचायत प्रतिनिधि सम्मेलन समारोह को संबोधित करते हुए कही। कहा कि वे बापू के सच्चे अनुयायी हैं और शराबबंदी का फैसला महात्मा गांधी के प्रति उनकी श्रद्धांजलि है। उन्होंने शराबबंदी को लेकर कड़े कदमों का बचाव किया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि जनता ने उन्हें सरकार चलाने के लिए चुना है। शराबबंदी लागू हो चुकी है और इस मामले में ढिलाई की अब कोई जगह नहीं है। कहा कि कानून सब पर लागू होगा। पुलिस अधिकारियों की ओर से धमकी आ रही है कि प्रभारी नहीं रहना चाहते। मत रहिए थाना प्रभारी, नौकरी भी छोड़ दीजिए लेकिन कानून है तो रहेगा।

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आलोचना ही न करें, सुझाव दें

नीतीश ने कहा कि उन्होंने केवल कहने भर के लिए शराबबंदी नहीं लागू की है। जो विरोध कर रहे हैं वे सुझाव दें। कानून में किसी को अटपटापन लगता है तो वह सुझाव दे। विरोध करने के लिए विरोध न करे। उन्होंने कहा कि कानून सबके लिए है। कोई नहीं छूटेगा। उन्होंने कहा कि शराबबंदी के बाद समाज में आया बदलाव देखकर भी विरोधी इस ओर से आंखें मूंदे हैं।

नीतीश ने आंदोलन कर रहे थानाध्यक्षों की जमकर क्लास ली। कहा- छोड़ दीजिए नौकरी, कहा किसने है? रोका किसने है? लेकिन जो जिम्मा है उसे तो उठाना पड़ेगा। भागने से काम नहीं चलेगा।

कई संदेश दे गया नीतीश का बयान

नीतीश का यह बयान आंदोलनकारी पुलिस अधिकारियों के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। यह बयान एक तरह से महागठबंधन की सहयोगी राजद के लिए भी बड़ा संकेत हैं। पिछले दिनों राजद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रघुवंश प्रसाद सिंह ने थानेदारों पर कार्रवाई को गलत बताते हुए इस कानून को वापस लेने को कहा था। निलंबन कार्रवाई के बाद से राज्य में पुलिस अधिकारी लगातार ज्ञापन के जरिए इसका विरोध कर रहे हैं।

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इस बयान के बाद इस मुद्दे पर विवाद और बढ़ने की उम्मीद है। उल्लेखनीय है कि पिछले दिनों सरकार ने शराबबंदी को लेकर लापरवाह ग्यारह पुलिस अधिकारियों को निलंबित कर दिया था। इसके बाद से पुलिस महकमे में खलबली है। विपक्ष इस मुद्दे पर सरकार को लगातार घेरता रहा है। राजद में भी इस मुद्दे पर मतभेद हैं। पिछले दिनों राजद के वरीय नेता ने इस कानून की खामियां गिनाते हुए नीतीश कुमार पर कड़े प्रहार किए थे।

रघुवंश प्रसाद सिंह ने कहा था कि जदयू के लोग भी नीतीश कुमार के साथ नहीं हैं। राजद की ओर से आए इस बयान के बाद अब मुख्यमंत्री फिर शराबबंदी को लेकर हमलावर मुद्रा में हैं। इससे दोनों दलों में आंतरिक टकराव की बात भी सामने आ रही है। उधर भाजपा ने सीएम के ताजा बयान पर कहा है कि यह नीतीश कुमार की तानाशाही का एक और नमूना है। उनका बयान पुलिस अधिकारियों का मनोबल तोड़ने वाला है।

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पिछले दिनों थानाप्रभारियों की ओर से पद छोड़ने की धमकी आने पर राजद के ही दूसरे नेता और वित्तमंत्री अब्दुल बारी सिद्दीकी ने कहा था कि नौकरी करनी है तो अनुशासन में रहना होगा। उन्होंने कहा था कि सरकार इस मुद्दे पर किसी तरह के समझौते के पक्ष में नहीं है। उन्होंने पुलिसकर्मियों के आंदोलन को अनुशासनहीनता बताया था।


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