यूपी में सपा, बसपा व भाजपा के खिलाफ चेहरा बनने की कोशिश में सीएम नीतीश
उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव के लिए सुनियोजित रणनीति के तहत नीतीश कुमार यूपी में सपा, बसपा व भाजपा के खिलाफ चेहरा बनकर उभरने के प्रयास मे हैं।
पटना [अमित आलोक]। शराबबंदी की मुहिम के बहाने उत्तर प्रदेश में राजनीतिक जमीन तलाश रहे बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार मंगलवार को लखनऊ में थे। उन्होंने महाराजा बिजली पासी किले पर बीएस-4 के मंच से जनसभा को संबोधित किया।
इसके बाद वे यूपी में महागठबंधन के अपने मिशन पर सीधे आरके चौधरी के इंदिरानगर स्थित आवास पहुंचे, जहां उनकी बंद कमरे में चौधरी और स्वामी प्रसाद मौर्य से लंबी बातचीत हुई। बताया जाता है कि सुनियोजित रणनीति के तहत नीतीश कुमार यूपी में सपा, बसपा व भाजपा के खिलाफ चेहरा बनकर उभरने के प्रयास में हैं।
मुहिम में नहीं मिल रहा लालू का साथ
नीतीश कुमार कांग्रेस के सहयोग से सपा, बसपा और भाजपा के विकल्प के तौर पर महागठबंधन को पेश करने के लिए लगातार यूपी का दौरा कर रहे हैं। मंगलवार की यात्रा भी इसी की कड़ी रही।
खास बात यह भी है कि इस मुहिम में उन्हें बिहार में महागठबंधन के बड़े सहयोगी राजद का साथ मिलता नहीं दिख रहा। राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव के रिश्तेदार है और लालू ने यह साफ कर दिया है कि वे मुलायम के खिलाफ नहीं जा रहे।
कांग्रेस को देंगे समर्थन
इस गठबंधन में कांग्रेस रहेगी या नहीं, अभी साफ नहीं, लेकिन इतना तय माना जा रहा है कि गठबंघन कांग्रेस का समर्थन करेगी। नीतीश यूपी में आने के लिए कांग्रेस से हाथ मिलाने का संकेत पहले ही दे चुके हैं। बिहार में महागठबंधन के तहत कांग्रेस नीतीश कुमार के साथ सरकार में भी है। चौधरी के आवास पर नीतीश कुमार ने मिलने यूथ कांग्रेस के कुछ नेता भी पहुंचे थे, जिनमें एक की नजर लखनऊ की एक विधानसभा सीट पर है।
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महागठबंधन को लेकर बनी सहमति
नीतीश बिहार की तर्ज पर यूपी में भी महागठबंधन चाहते हैं। सूत्रों के अनुसार आरके चौधरी व स्वामी प्रसाद मौर्य के साथ नीतीश कुमार की बातचीत में विधानसभा चुनाव को लेकर महागठबंधन बनाने को लेकर सहमति बन गई है। इसके तहत और दलों को साथ लाने के मसले पर बातचीत हुई।
अन्य दलों से भी हो रही बात
महागठबंधन की छतरी तले अन्य दलों को लाने के लिए बातचीत का दौर जारी है। हाल में बीजेपी से नाता तोड चुकी अपना दल की नेता कृष्णा पटेल और नीतीश कुमार के बीच भी कई राउंड बातचीत हो चुकी है।
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बसपा की बढ़ेगी मुश्किल
राजनीतिक प्रेक्षक बताते हैं कि यूपी में आरके चौधरी व स्वामी प्रसाद मौर्य के साथ नीतीश का गठजोड़ यूपी में बसपा की काट बनेगा। बसपा से अलग होने के बाद आरके चौधरी बीएस-4 के तहत यूपी में बसपा का विकल्प बनने की कोशिश में है। इसी एजेंडे पर बसपा से अलग हुए स्वामी प्रसाद मौर्य भी विकल्प बनने के लिए मायावती के खिलाफ अभियान छेड़े हुए हैं।
जातीय समीकारण पर बनाई रणनीति
यूपी में विधानसभा चुनाव से पूर्व सुनियोजित रूट मैप के तहत नीतीश कुमार भाजपा, सपा व बसपा का सफाया करने के मूड में हैं। इसके लिए किये जा रहे महाबठबंधन में जातीय समीकरणों का भी खास ध्यान रख जा रहा है। नीतीश कुमार के सबसे बड़े सहयोगी दल के रूप में कांग्रेस उनके साथ आ सकती है।
यूपी में सवर्णों को अपने पक्ष में करने के लिए कांग्रेस की तरफ से 10 फीसद सवर्णो को आरक्षण देने की बात सामने आ रही है। कांग्रेस की नजर प्रदेश के 75 जिलों में से 80 फीसदी जिलों में रहने वाले 10 से 14 फीसद ब्राह्मण मतदाताओं पर है। पूर्वांचल के जिलों में ठाकुर और भूमिहार मतदाताओं की हिस्सेदारी भी 11 फीसद के आसपास है।
पूर्वांचल के 16 जिले ऐसे हैं जहां कुर्मी मतदाताओं की संख्या 7 से 10 फीसद के आसपास है। इसके लिए कृष्णा पटेल व नीतीश कुमार स्वयं चेहरा हैं। प्रदेश में दलित कुल आबादी के लगभग 22 फीसद हैं। इनमे लगभग 66 उपजातियां हैं जो सामाजिक तौर पर बटी हुई हैं। इनके लिए बीएस-4 बहुजन का राग छेड़े हुए है। इनके लिए स्वामी प्रसाद मौर्य चेहरा हैं।
मुस्लिम वर्ग का प्रतिनिधित्व करने वाली छोटी पार्टियों से भी बातचीत का दौर जारी है।