नीतीश ने लिया सरकार को UPA 2 नहीं बनाने का फैसला, बने NDA के सीएम
बिहार की महागठबंधन की सरकार की तकरार पर फैसला आखिरकार हो ही गया। सीएम नीतीश ने इस्तीफा देकर एनडीए के साथ नई सरकार बना ली है।
पटना [अमित आलोक]। बिहार में महागठबंधन की सरकार में मचे महाभारत का फैसला हो गया है। राजद के स्पष्ट करने के बाद कि डिप्टी सीएम तेजस्वी इस्तीफा नहीं देंगे, सीएम नीतीश कुमार ने खुद इस्तीफा दे दिया। किसी बड़े व कड़े फैसले का अंदाजा तो उसी समय मिल गया था, जब जदयू के राष्ट्रीय महासचिव केसी त्यागी ने कहा था कि नीतीश महागठबंधन को यूपीए-2 नहीं बनने दे सकते। उनका इशारा यूपीए 2 की सरकार में कई मंत्रियों पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों की ओर था। तब प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया था।
महागठबंधन की तकरार के बीच बुधवार को राजद व जदयू ने अपने-अपने विधानमंडल दलों की अलग-अलग बैठकें कीं। इसके पहले तेजस्वी के कैबिनेट में रहने पर भाजपा ने 28 जुलाई से आरंभ विधानमंडल के मॉनसून सत्र को नहीं चलने देने की घोषणा की थी।
तेजस्वी को कैबिनेट में रखने या नहीं रखने की अपनी नीति को स्पष्ट करने का जदयू पर दबाव बढ़ गया था। राजद ने भी कहा था कि फैसला तो नीतीश को करना है। ऐसे में नीतीश से किसी बड़े फैसले की उम्मीद थी। जदयू विधायक दल की बैठक के बाद उन्होंने इस फैसले की घोषणा कर दी।
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तेजस्वी पर नहीं की कार्रवाई
महागठबंधन पर छाए संकट के बीच मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उप-मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव पर कोई कार्रवाई नहीं की। बुधवार को जदयू व राजद विधानमंडल दलों की बैठकों में इस मुद्दे पर चर्चा किसी निष्कर्ष पर पहुंचने की संभावना को देखते हुए राजद फिर से हमलावर हो गया था। मोर्चा पार्टी उपाध्यक्ष रधुवंश प्रसाद ने संभाला था।
राजद हमलावर, जदयू मौन
कह सकते हैं कि राजद की तरफ से तेजस्वी के समर्थन में यह आखिरी लड़ाई थी। इसमें राजद को पार्टी से सहानुभूति रखने वाले शिवानंद तिवारी भी समर्थन देते नजर आए। शिवानंद ने नीतीश के भ्रष्टाचार पर 'जीरो टॉलरेंस' पर ही सवाल खड़ा कर दिया। बुधवार को उन्होंने कहा कि नीतीश कितने दूध के धुले हैं, वे जानते हैं। तेजस्वी पर जवाब मांगने वाले आखिर वे होते कौन हैं।
शिवानंद का यह बयान राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद के घर से बाहर आने के ठीक बाद दिया गया। ऐसे में इसके गहरे राजनीतिक मायने लगाए जा रहे थे। इस बयान को राजद के पूर्व घोषित स्टैंड से जोड़कर देखें ताे स्पष्ट है जैसे-जैसे फैसले की घड़ी निकट आ रही थी, महागठबंधन में तनाव चरम पर पहुंचता दिख रहा था। हालांकि, इस मुद्दे पर जदयू ने 'मौन व्रत' कायम रखा। कल तक राजद पर हमलावर रहे पार्टी प्रवक्ता केवल इतना कहते रहे कि इस मुद़दे पर पार्टी नेतृत्व फैसला करेगा।
भाजपा का अल्टीमेटम
एक तरफ राजद तेजस्वी के समर्थन में खड़ा था तो दूसरी तरफ भाजपा ने सरकार को अल्टीमेटम दे दिया था कि अगर तेजस्वी विधान सभा के 28 जुलाई से आरंभ मॉनसून सत्र के पहले कैबिनेट से नहीं हटाए गए तो पार्टी सत्र नहीं चलने देगी।
जदयू के संकेत स्पष्ट
इस मुद्दे पर जदयू नेता बुधवार को नीतीश के ठसतीफे तक भले ही कुछ नहीं बोले, लेकिन उनके पूर्व के बयान पार्टी के स्टैंड को साफ करते नजर आए। एक पार्टी सूत्र ने आज भी दुहराया कि सीएम नीतीश भ्रष्टाचार मुक्त छवि को लेकर बेहद सजग हैं। वे किसी भी सूरत में भ्रष्टाचार से समझौता नहीं करेंगे। हां, दूसरे पक्ष को मौका देना गठबंधन धर्म की मजबूरी है।
जदयू महासचिव केसी त्यागी ने इस मुद्दे पर स्पष्ट संकेत दिए। उन्होंने जोर देकर कहा कि तेजस्वी या किसी भी बड़े राजद नेता ने अब तक तेजस्वी पर लगे आरोपों पर संतोषजनक सफाई नहीं दी है। कहा कि वे महागठबंधन को यूपीए-2 नहीं बनने दे सकते।
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अा गई फैसले की घड़ी
स्पष्ट है, महागठबंधन में जारी महाभारत के बीच मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अब अपना फैसला और नहीं टाल सकते थे। बकौल केसी त्यागी, नीतीश महागठबंधन को यूपीए-2 नहीं बनने दे सकते थे। स्पष्ट है कि अपनी स्वच्छ छवि को बनाए रखने के लिए नीतीश ने सख्त कदम उठा ही लिया।
और अब एनडीए के सीएम बने नीतीश
इसके बाद देर रात तक चली राजनीतिक सरगर्मी के बाद गुरुवार की सुबह नीतीश कुमार ने राजग (एनडीए) के साथ नई सरकार बना ली है। नीतीश कुमार फिर मुख्यमंत्री बन गए हैं। अब भाजपा के सुशील मोदी उपमुख्यमंत्री हैं।
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