तेजस्वी ने कहा- कुर्सी मोह के अनुसार सोती-जागती है नीतीश की अंतरात्मा
तेजस्वी यादव ने संवाददाता सम्मेलन में नीतीश कुमार पर जोरदार हमला किया। कहा कि बिहार की जनता यह जानना चाहती है कि उनकी अंतरात्मा कितनी बार जगती और सोती है।
पटना [जेएनएन]। राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव के पुत्र और बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव नीतीश कुमार के एनडीए के साथ जाने के बाद आक्रामक राजनीति का रूख अख्तियार कर लिया है। कल लालू यादव ने नीतीश कुमार के उपर हमला बोला था। आज तेजस्वी यादव ने संवाददाता सम्मेलन में नीतीश कुमार पर हमला बोला है।
तेजस्वी ने कहा कि पिछले चार साल में चार बार बिहार में सरकार बनी। हर बार नीतीश कुमार मुख्यमंत्री बने। भाजपा के साथ गठबंधन तोड़ने पर कहा कि मेरी अंतरात्मा सांप्रदायिकत शक्तियों से दूर हटने को मजबूर कर रही है। अब जब महागठंधन को तोड़कर भाजपा के साथ गये तो फिर से कहते हैं कि इस गठबंधन में बने रहने की इजाजत मेरी अंतरात्मा नहीं दे रही थी।
बिहार की जनता यह जानना चाहती है कि उनकी अंतरात्मा कितनी बार सोती और जागती है। दरअसल, नीतीश जी की अंतरात्मा उनका हित, सुविधा, कुर्सी मोह, सत्तालोलुपता के अनुरूप समय समय पर परिस्थितियों के अनुसार सोते जगते रहती है।
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पूर्व उपमुख्यमंत्री ने कहा कि मेरे परिवार के खिलाफ जो सीबीआइ रेड हुआ, वह सीएम नीतीश और मंडल विरोधियों की साजिश थी। नीतीश कुमार काफी पहले से भाजपा के साथ जाने का बहाना खोज रहे थे। लेकिन उन्हें कोई बहाना नहीं मिल रहा था। इसलिए सबसे साजिश के तहत सीबीआइ रेड करवाया। इसके बाद उन्हें एक बहाना मिल गया। वे भाजपा के साथ चले गये।
नीतीश कुमार ने महागठबंधन तोड़ने के समय कहा कि भ्रष्टाचार के खिलाफ वे जीरो टॉलरेंस की नीति पर चलते हैं। लेकिन क्या वे आज पनामा घोटाले में जिन जिन लोगों का नाम आया है, क्या उनको भाजपा से दूर करने की बात करेंगे। पनामा केस में छत्तीसगढ़ के सीएम रमन सिंह के बेटे का नाम है, अमिताभ बच्चन का नाम है, अडानी जी के बड़े भाई का नाम आया है, ऐसे में क्या जीरो टोलरेंस की नीति वहां भी लागू होगी?
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तेजस्वी ने कहा कि पनामा पेपर्स कांड में आए सभी नामों को सार्वजनिक किया जाए और ईमानदारी से इसकी जाँच करवाई जाए। क्या नीतीश कुमार इसकी जांच की मांग करेंगे। भाजपा से नजदीकी वाले नेताओं के इसमें नाम आने से जाँच को व्यापम की भाँति ठंडे बस्ते में डालने या लीपापोती करने की आशंका जताई जा रही है। क्या नीतीश जी प्रधानमंत्री से व्यापम की व्यापक जाँच करवाकर दोषियों को सजा दिलवाएंगे।
तेजस्वी ने कहा कि नीतीश कुमार नैतिकता और सिद्धांत की बात करते हैं। लेकिन नये मंत्रिमंडल में तो सीएम, डिप्टी सीएम सहित करीब 75 प्रतिशत मंत्रियों पर आपराधिक मुकदमा है। तो अब नैतिकता और सिद्धांत कहां गया।
बिहार में आज जो 75 प्रतिशत अपराधी मंत्रिमंडल में हैं, उनके साथ विकास करेंगे! अनंत सिंह के साथ विकास करेंगे! इनकी पार्टी के लोग कहते हैं कि 2009 में मुकदमा खत्म हो गया, तो फिर 2012 के हलफनामें में यह क्यों शामिल किया गया। इस बार चाहे मुख्यमंत्री बीमार रहें या गला खराब हो जाये, ये बहाना नहीं चलेगा। जनता को जवाब देना पड़ेगा।
मेरे उपर तो केवल एफआइआर हुआ था। जिस वजह से सीएम नीतीश ने कहा कि जीरो टॉलरेंस पर कायम रहने के कारण अंतरआत्मा की आवाज पर महागठबंधन तोड़ने का काम किया। अब वह अंतरात्मा कहां गई। क्या वो मोदी आत्मा थी।
सीएम नीतीश से जनता यह जानना चाह रही है कि उनको नौजवान डिप्टी सीएम, जिसके उपर फर्जी मुकदमा दायर की गई थी, उसके साथ बैठने में क्या तकलीफ हो रही थी। आज तो वे सुशील मोदी के साथ बैठ रहे हैं, जिनके उपर कई मुकदमा है।
आज केंद्र और राज्य दोनों जगह एनडीए की सरकार है। क्या केंद्र पर दबाव डालकर यह कानून बनाया जाएगा FIR दाखिल होते ही देश के किसी भी कोने में हर मंत्री को इस्तीफा देना होगा? और हर मंत्री इस बात का ध्यान रखे कि एक FIR उनसे उनका मंत्रालय छीन लेगा।
तेजस्वी ने कहा कि जब हम बिहार विधानसभा में बोल रहे थे तो लाइव टेलिकास्ट काट दिया गया। हमारी अावाज को जनता तक नहीं पहुंचने दिया। नीतीश कुमार को इस बात का जवाब देना पड़ेगा।
नीतीश जी लालू यादव पर जात की राजनीति करने का आरोप लगाते हैं। जबकि हकीकत यह है कि जात की राजनीति की शुरूआत करने वाले तो वही हैं। लालू यादव जी तो मंडल कमीशन के साथ तमाम अतिपिछड़ों, पिछड़ों और समाज के अंतिम पायदान पर खड़े लोगों को एक साथ लाने का काम किया था। लेकिन नीतीश जी, उस समय भी कमंडल के साथ भाग गये।
एक बार फिर जब लालू जी ने मायावती, अखिलेश यादव जैसे तमाम मंडल समर्थकों को एक साथ लाने की कोशिश की तो नीतीश कुमार एक बार फिर से धोख देकर कमंडल के साथ भाग गये। कहते थे कि संघ मुक्त भारत बनाने का काम करेंगे। लेकिन खुद संघ की गोद में आकर बैठ गये। हे राम कहने वालों का साथ छोड़कर फिर से जय श्री राम कहने लगे। गोडसे के वंशजों के साथ चले गये।
तेजस्वी ने नीतीश कुमार पर तंज कसते हुए कहा कि बताइये कहते हैं कि उन्हीं की वजह से लालू यादव को वोट मिला। वही लालू यादव को नेता बनाये। इतना ओवर कांफिडेंस तो देखें ही नहीं है। यह जान लेना चाहिए कि जब ज्यादा घमंड हो जाता है तो यह काफी दिन नहीं चलता है। यह लोकतंत्र हैं। जनता सब देख रही है। यदि इस ख्वाब में होंगे कि बिहार के सीएम हैं और अंतिम सांस तक बने रहेंगे तो यह अापका घमंड आने वाले समय में बिहार की जनता चकनाचूर कर देगी।
तेजस्वी ने चेतावनी भरे लहजे में कहा कि हम उनके मंत्रियों के गलत काम का पर्दाफाश करेंगे। जिस बुनियाद पर हमसे इस्तीफा मांगे, हम भी उसी बुनियाद पर सदन में इस्तीफा मांगेंगे। कहते हैं कि लालू यादव परिवारवाद कर रहे हैं। अब बताइये जिसको जनता ने चुनाव में नकार दिया गया, सबसे छोटी पार्टी है, उस पार्टी के नेता को मंत्री बना दिया गया है। कहां गया नैतिकता। कहां गई अंतरआत्मा की अवाज!
नीतीश जी के 2004 के हलफनामे में उनपर चल रहे केस का ज़िक्र नहीं है। फिर उनकी पार्टी कहती है कि 2009 में मुकदमे को बंद कर दिया गया था। तो फिर 2012 के हलफनामे में इसका उल्लेख क्यों किया गया?
नीतीश कुमार तो अब पूरी तरह फंस गये हैं। बीजेपी धोखा देने वालों को नहीं छोड़ती। क्या बीजेपी ने 2013 में भ्रष्टाचार किया था। सुशील मोदी जी भ्रष्टाचार किये थे। आखिर क्यों दूध में से मक्खी की तरह निकालकर फेंक दिया गया। इन सारी बातों का जवाब बीजेपी को देना चाहिए।
नतीश जी गलतफहमी में हैं कि जनता उनके साथ है। बार-बार विकास बोलने से काम नहीं होता। इनकी बातों से तो नहीं लगता कि इनकी कोई विचारधारा है। ये तो हमेशा बदलते रहते हैं।
राजद नेता ने कहा कि अपने शासन में हमनें केंद्र से जितना काम करवाने का काम किया, वह सबके सामने है। नीतीश जी तो अब भक्ति में लग गये हैं। उस समय नीतीश जी हमको और अशोक चौधरी को बोलते थे कि अब आपलोगों को ही लड़ना है। आप लोगों को यह मालूम नहीं कि ये आरएसएस वाले किस हद तक जा सकते हैं।
आज क्या हुआ नीतीश जी। एक 28 साल का लड़का आरएसएस के खिलाफ लड़ रहा है और आप घुटने टेक दिये। इसका जवाब देना पड़ेगा। प्रवक्ताओं को सामने कर देने से काम नहीं चलेगा। अापको सामने आना पड़ेगा।
नई सरकार पर बोलते हुए तेजस्वी ने कहा कि नीतीश कुमार की नई सरकार नकारत्मक सरकार है। नीतीश जी कहते हैं कि विकास होगा, लेकिन ये बिहार के लोगों का नुकसान कर रहे हैं। बिहार की जनता गुस्से में है। उनके जनादेश की डकैती हुई है। नीतीश कुमार को इसका जवाब हर हाल में देना होगा।
तेजस्वी यादव ने कहा कि यह चंपारण सत्याग्रह का शताब्दी वर्ष है। नीतीश जी ने गांधी की धरती चंपारण से यात्रा की थी। मैं भी यात्रा में साथ था। लेकिन नीतीश जी हे राम करते करते जय श्री राम करने लगे। ऐसे में हम चंपारण जायेंगे और गांधी जी से माफ़ी मांगेंगे। कहेंगे कि हे बापू, हमें माफ कीजिएगा। हमें पता नहीं था कि हम जिसके साथ आपके पास आकर बिहार के विकास के लिए काम शुरू किये थे, वह आपके हत्यारों के साथ मिल जायेगा।
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