दरभंगा [जेएनएन]। शिक्षा की स्थिति में सुधार की कसरत का असर जमीन पर देखने को मिल रहा है। बच्चे देश के प्रधानमंत्री तक का नाम बताने में असमर्थ हैं। वहीं भारत की राजधानी पटना बताते हैं। हद तो यह है कि स्कूल के प्रधानाध्यापक का नाम भी बच्चों को मालूम नहीं ।
वर्ग चार की छात्रा रजनी कुमारी से पूछा गया कि तुम्हारे विद्यालय के प्रधानाध्यापक का क्या नाम हैं ? जवाब मिला नहीं मालूम । वर्ग पांच के छात्र विशाल कुमार से पूछा गया कि भारत के प्रधानमंत्री कौन है ? जवाब मिला नीतीश कुमार। वर्ग तीन के छात्र शंशाक कुमार से पूछा गया कि भारत की राजधानी कहां है ? जवाब मिला पटना।
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दैनिक जागरण की पड़ताल
इनकी पड़ताल के लिए दैनिक जागरण की टीम ऑपरेशन ब्लैक बोर्ड के तहत प्राथमिक विद्यालय वनबाड़ीपट्टी में पहुंची तो देखा कि विद्यालय के प्रधानाध्यापक समेत तीन शिक्षक मौजूद थे। सभी वर्ग में बच्चों को पढ़ा रहे थे। एक से पंचम तक के बच्चे डेस्क व बेंच के अभाव में जमीन पर बैठकर पढ़ रहे थे ।
ड्रेस कोड का अनुपालन नहीं कर रखा था। मुख्य गेट नहीं रहने से विद्यालय की संपत्ति असुरक्षित है । वहीं दरभंगा - जयनगर राष्ट्रीय राजमार्ग 105 के सड़क किनारे विद्यालय रहने के कारण किसी न किसी अनहोनी की आशंका बनी रहती हैं । यहां दो शौचालय थे। दोनों ठीक थे। पेयजल के लिए एक चापाकल था। जो चालू अवस्था में था।
विद्यालय के पास वर्ग एक से पांच तक के बच्चों के लिए मात्र पांच कमरे हैं। एक में कार्यालय प्रकोष्ठ है। जबकि शेष तीन कमरों में पठन - पाठन का काम होता है। जबकि एक कमरा में ताला लगा था। कहने को तो यहां पांच कमरे है लेकिन सभी क्षतिग्रस्त हैं। एक कमरे में वर्ग एक व दो, दूसरे कमरें में वर्ग तीन तथा तीसरे कमरें में वर्ग चार और पांच की पढ़ाई चल रही थी।
12 . 25 बजे : विद्यालय के सभी बच्चे पढ़ रहे थे। प्रधानाध्यापक के अलावा शिक्षिका सीमा , अफरोज व रामशरण सहनी अपने - अपने वर्ग में मौजूद थे। पहले कमरे में वर्ग एक और दो , दूसरें में वर्ग तीन तथा तीसरे कमरे में वर्ग चार और पांच तक के बच्चे संयुक्त रूप से बैठकर पढ़ रहे थे। विद्यालय में नामांकित 242 बच्चों में से 173 बच्चों की उपस्थिति रजिस्टर पर दर्शाई गई थी ।
12 . 30 बजे : विद्यालय के बच्चों के लिए एमडीएम बनकर तैयार था। रसोइया बबीता देवी, सविता देवी तथा राघा देवी किचेन शेड में बैठकर आपस में गप लड़ा रही थीं। लकड़ी के चूल्हे पर मेन्यू के मुताबिक बच्चों के लिए चावल व मिश्रित दाल तथा हरी - सब्जी बनाए गए थे।
बच्चों से जब पूछा गया कि मध्याहन भोजन नियमित रूप से मिलता हैं कि नहीं तो कहा कि नियमित रूप से मिलता है। मध्याहन भोजन से संबंधित चखना पंजी संधारित थी। प्लेट व ग्लास व चटाई का अभाव दिखा ।
1 बजे : बच्चे किचेन शेड की ओर गए। प्लेट लेकर किचेन शेड के बगल में चापाकल कर पर जाकर उसे स्वयं धाोकर एमडीएम खाने के लिए पूर्व निर्धारित जगह पर बैठ गए।
वर्ग एक की छात्रा रेहाना बेबी से पूछा गया कि तुमको एक से सौ तक की गिनती आती है तो उसने असमर्थता जताई। वर्ग दो की छात्रा अजमत खातून से पूछा गया कि तुम्हारे देश का क्या नाम हैं ? जवाब मिला वनबाड़ी ।
बोले प्रधानाध्यापक
बच्चों को गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा को लेकर प्रयासरत हूं। इसमें सुधार हो रहा हैं। मेन्यू के मुताबिक बच्चों को मध्याह्न भोजन उपलब्ध कराया जाता है। कमरों व शिक्षकों की कमी के कारण बच्चों के पठन- पाठन में शिक्षकों को कठिनाई झेलनी पड़ती हैं।
उन्होंने बताया कि छात्रों की संख्या के अनुपात में कम से कम सात शिक्षकों की आवश्यकता है। कमरों व शिक्षकों की कमी तथा क्षतिग्रस्त कमरों के साथ - साथ विद्यालय की अन्य समस्याओं से वरीय अधिकारी को अवगत कराया गया है।
- कलीम अहमद , प्रधानाध्यापक
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