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    कोर्ट की नजर में 24 साल से हैं फरार, बने हुए हैं भागलपुर के मेयर, जानिए

    By Kajal KumariEdited By:
    Updated: Sat, 04 Mar 2017 09:08 PM (IST)

    कोर्ट से सजा सुनते ही जो शख्स चौबीस साल पहले फरार हो गया था आज भागलपुर का मेयर है। कोर्ट की नजर में मेयर फरार घोषित हैं।

    कोर्ट की नजर में 24 साल से हैं फरार, बने हुए हैं भागलपुर के मेयर, जानिए

    भागलपुर [जेएनएन]। एसडीजेएम कोर्ट भागलपुर से सजायाफ्ता दीपक भुवानियां न्यायालय की नजर में 24 वर्षों से फरार हैं। जिस मामले में कोर्ट ने उन्हें सजा सुनाई थी उसका मूल रिकार्ड भी संबंधित कोर्ट से गायब हो गया है। भुवानियां वर्तमान में भागलपुर के मेयर हैं।
    एडीजेएम कोर्ट ने 7 दिसंबर 1993 को दीपक भुवानियां को मोटर ट्रासपोर्ट वर्कर्स एक्ट के मामले में (केस संख्या 6/87) एक माह साधारण कारावास की सजा सुनाई थी। सजा सुनाए जाने के बाद वे कटघरे से ही भाग गए थे। सूचना के अधिकार के तहत पूछे गए आवेदन के जवाब में न्यायालय ने कहा है कि फरार पंजी अवलोकन से प्रतीत होता है कि दीपक कुमार भुवानियां 17 जुलाई 2009 को फरार घोषित किया गया है। 
    मामले के एक अन्य आरोपी का केस लड़ रहे वरीय अधिवक्ता राजेश तिवारी कहते हैं कि सजा और कटघरे से फरारी मामले में न्यायालय से गिरफ्तारी वारंट जारी हुआ होगा। कई बार रिमाइंडर भेजने के बाद जब पुलिस वारंटी को ढूंढ़ नहीं पाती है तो न्यायालय की ओर से स्थाई वारंट जारी होता है और सजायाफ्ता को फरार घोषित कर दिया जाता है। 2009 में इस मामले में घोषणा हुई थी।
    परंतु हाईकोर्ट द्वारा खारिज याचिका में मेयर ने कहीं भी नहीं कहा है कि उन्होंने सरेंडर किया या पुलिस ने उन्हें पकड़ा था, इसलिए स्पष्ट है भुवानियां पर वारंट कोर्ट से भागने के तत्काल बाद 1993 में ही जारी हुआ होगा। इसलिए वे तब से ही कोर्ट की नजर में फरार हैं।
    फरारी मामले का भी रिकार्ड गायब
    सजा सुनाए जाने के बाद कटघरे से भागने के मामले में तत्कालीन एसडीजेएम ने दीपक भुवानियां पर अलग से एक और मामला दर्ज कराया था। जीपीएस 17/93 के रूप में अंकित इस मामले को प्रथम श्रेणी न्यायिक दंडाधिकारी की अदालत में ट्रांसफर किया गया। करीब दो वर्ष तक इस मामले की तारीख भी पड़ी, परंतु बाद में इसका भी मूल रिकार्ड गायब हो गया।
    पांच न्यायालय कर्मियों के खिलाफ चल रही जांच
    तीन वर्ष पूर्व अधिवक्ता दिनेश सिंह ने दीपक भुवानियां को हुई सजा और कटघरे से फरारी मामले में केस की सत्यापित प्रति कोर्ट से मांगी थी। इसके बाद पता चला कि दोनों रिकार्ड के गायब हैं। उन्होंने बताया कि दो बार सत्यापित कॉपी मांगी पर रिकार्ड नहीं होने की बात कही गई। इसके बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट को मामले की जानकारी दी।
    सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप पर हाइकोर्ट के इंस्पेक्टिंग जज धरणीधर झा ने रिकार्ड गायब होने के मामले में जांच के आदेश दिए। सजा वाले केस में तीन एवं कटघरे से भागने के दो न्यायालय कर्मियों को रिकार्ड गायब करने के लिए प्रारंभिक तौर पर दोषी मानकर जांच की जा रही है।
    रिकार्ड के पुनर्स्थापन के लिए दिया गया आवेदन
    अधिवक्ता दिनेश सिंह ने बताया कि उक्त दोनों केसों के रिकार्ड के री-कंस्ट्रक्शन (पुनर्स्थापन) और इसके प्रोसेस के लिए उन्होंने एक महीने पूर्व एडीजेएम कोर्ट में आवेदन दिया है। उन्होंने अदालत से अनुरोध किया है इसकी सुनवाई शुरू की जाए, क्योंकि यह मामला संवैधानिक व्यवस्था पर बड़ा सवाल खड़ा करा रहा है।

                            

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