फिजी के 12वें विश्व हिंदी सम्मेलन में बोले जयशंकर, अंतरराष्ट्रीय संबंधों के संदर्भ में बढ़े हिंदी का महत्व
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि जब भी भाषा और संस्कृति को लेकर उत्सव का माहौल बनता है तो दुनिया और बेहतर होती है। उन्होंने भारत और फिजी के बीच गहरे और स्थायी संबंध कायम रहने की बात भी की।
नांदी, अनंत विजय। एक तरफ समुद्र की उत्ताल तरंगे और उसके तट पर हिंदी प्रेम की उठती लहरों के बीच नांदी में तीन दिनों तक चलने वाले 12वें विश्व हिंदी सम्मेलन का शुभारंभ फिजी के राष्ट्रपति रातू विलियामे काटोनिवेरी और भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने किया। दीप प्रज्जवलन के बाद वैदिक मंत्रोच्चार और फिजी की अलौकिक शक्तियों के आह्वान का विशेष कार्यक्रम हुआ।
हिंदी के महत्व को देना चाहिए बढ़ावा
विदेश मंत्री जयशंकर ने हिंदी भाषा की ज्ञान परंपरा बताते हुए उसके वैश्विक प्रभाव को रेखांकित किया। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि समकालीन अंतराष्ट्रीय संबंधों के संदर्भ में हिंदी के महत्व को बढ़ावा देना चाहिए। विभिन्न भौगोलिक क्षेत्रों में हिंदी बोलने वालों की बढ़ती संख्या को वैश्वीकरण का प्रमाण बताया।
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने बुधवार को कहा कि जब भी भाषा और संस्कृति को लेकर उत्सव का माहौल बनता है तो दुनिया और बेहतर होती है। उन्होंने भारत और फिजी के बीच गहरे और स्थायी संबंध कायम रहने की बात भी की। विदेश मंत्री जयशंकर के पहले विदेश राज्यमंत्री वी. मुरलीधरन ने विश्व हिंदी सम्मेलन की प्रस्तावना रखी। ये भी बताया कि नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्रित्व काल में ये तीसरा विश्व हिंदी सम्मेलन हो रहा है।
12वें #विश्वहिंदीसम्मेलन में आज हमारी मेजबानी करने के लिए फिजी के प्रधानमंत्री @slrabuka का हृदय से आभार।
दोनों देशों के आकर्षक सांस्कृतिक कार्यक्रमों ने अपनी महान विरासत और परंपरा का प्रदर्शन किया। फिजी में हुआ यह संगम, हमारे ऐतिहासिक संबंधों का एक उल्लेखनीय पहलू है। pic.twitter.com/w2v9UvXQXm
— Dr. S. Jaishankar (@DrSJaishankar) February 15, 2023
उन्होंने कहा कि हिंदी को अब भावनात्मक धरातल से व्यावहारिक धरातल पर लाने का समय है। मुरलीधरन ने घोषणा की कि भारत सरकार फिजी में एक भाषा प्रयोगशाला की स्थापना करेगी। विदेश मंत्रालय के मुताबिक, इस साल के विश्व हिंदी सम्मेलन का थीम 'हिंदी में परंपरागत ज्ञान से लेकर कृत्रिम बुद्धिमत्ता' है जिसमें खगोलशास्त्र, ज्योतिष से लेकर इंजीनियरिंग, चिकित्सा से लेकर गणित तक शामिल है।
हिंदी फिल्मों की ओर आकर्षित होते हैं लोग
इस अवसर पर फिजी के राष्ट्रपति रातू ने कहा कि फिजी में विश्व हिंदी सम्मेलन के आयोजन दोनों देशों के बीच के ऐतिहासिक संबंध को और मजबूती प्रदान करेगा। फिजी में जब मनोरंजन की बात होती है तो लोग हिंदी फिल्मों की ओर आकर्षित होते हैं।
इस अवसर पर फिजी के शिक्षा मंत्री राद्रांद्रों ने भी फिजी में हिंदी भाषा की उपस्थिति को रेखांकित किया। फिजी के राष्ट्रपति रातू और विदेश मंत्री जयशंकर ने एक विशेष डाक टिकट भी जारी किया। हिंदी सम्मेलन में विशेष तौर पर प्रकाशित स्मारिका और पांच अन्य पुस्तकों और पत्रिकाओं का विमोचन भी किया।
उद्घाटन सत्र के बाद पारंपरिक ज्ञान और कृत्रिम मेधा पर एक सत्र का आयोजन था जिसमें विदेश राज्यमंत्री वी. मुरलीधरन, गृह राज्यमंत्री अजय मिश्रा और कई विद्वानों ने अपने विचार रखे। इसके बाद गिरमिटिया साहित्य पर एक सत्र और फिजी और प्रशांत क्षेत्र की हिंदी पर एक और सत्र आयोजित था। पहले दिन का आखिरी सत्र मीडिया और हिंदी का विश्व बोध पर केंद्रित था।
हर साल मनाया जाएगा गिरमिटिया दिवस
फिजी के प्रधानमंत्री ने हिंदी प्रेमियों को संबोधित किया और प्रतिवर्ष गिरमिटिया दिवस मनाने की घोषणा की। पहले दिन का समापन सांस्कृतिक कार्यक्रम से हुआ जिसमें फ़जिी और भारतीय कलाकारों ने अपनी कला का प्रदर्शन किया। उधर तीन दिवसीय यात्रा पर फिजी आए जयशकंर ने द्विपक्षीय संबंधों को लेकर फिजी के उप प्रधानमंत्री बिमान प्रसाद से मुलाकात की।
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