H-1B VISA: भारतवंशी टेक उद्यमियों ने अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडन से की मांग, वीजा ग्रेस अवधि को बढ़ाकर करें 6 माह
वाशिंगटन पोस्ट के अनुसार बीते नवंबर से अब तक गूगल माइक्रोसॉफ्ट अमेजन व फेसबुक जैसी बड़ी कंपनियों से दो लाख से अधिक कर्मचारी नौकरियों से निकाले जा चुके हैं। एच-1बी वीजा धारकों के सामने इससे बड़ी समस्या आ गई है।
वाशिंगटन, पीटीआई। अमेरिका में एच-1बी वीजा धारक पेशवरों की टेक कंपनियों से बड़े पैमाने पर छंटनी किसी बुरे सपने से कम नहीं है। भारतीय-अमेरिकी टेक उद्यमी और शिक्षाविदों ने कहा है कि यदि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन वीजा अनुग्रह अवधि को 60 दिनों से बढ़ाकर छह महीने का आदेश जारी कर दें तो इन पेशेवरों को राहत मिल सकती है।
वीजा ग्रेस अवधि बढ़ाने का आदेश दें बाइडन
इस आदेश का मतलब यह होगा कि नौकरी छूटे एच-1बी वीजा धारक विदेशी टेक कर्मचारियों को दो महीने के अंदर देश छोड़ने की बजाय नई नौकरी की तलाश के लिए छह महीने का समय मिल जाएगा। सिलिकान वैली में कार्नेगी मेलन स्कूल आफ इंजीनियरिंग के प्रतिष्ठित फेलो व सहायक प्रोफेसर विवेक वाधवा ने कहा कि राष्ट्रपति बाइडन को एच-1बी वीजा धारकों के लिए वीजा ग्रेस अवधि बढ़ाने के लिए कार्यकारी आदेश जारी करना चाहिए।
क्या है एच-1बी वीजा?
एच-1बी वीजा गैर-आप्रवासी वीजा है, जो अमेरिकी कंपनियों को विदेशी टेक पेशेवरों को विशेष अवधि के लिए कंपनी का कर्मचारी नियुक्त करने की अनुमति देती है। इससे हर वर्ष हजारों विदेशी पेशेवरों को नौकरी मिलती है। इसके लाभार्थियों में सबसे अधिक भारत और चीन के पेशेवर हैं।
वाशिंगटन पोस्ट के अनुसार, बीते नवंबर से अब तक गूगल, माइक्रोसॉफ्ट, अमेजन व फेसबुक जैसी बड़ी कंपनियों से दो लाख से अधिक कर्मचारी नौकरियों से निकाले जा चुके हैं। एच-1बी वीजा धारकों के सामने इससे बड़ी समस्या आ गई है।
ऑनलाइन याचिका हुई थी शुरू
उल्लेखनीय है कि इससे पहले भारतीय-अमेरिकी संगठनों ने एक ऑनलाइन याचिका शुरू की थी। इस याचिका के माध्यम से जो बाइडन से एच-1 बी वीजा की अनुग्रह अवधि बढ़ाने का आग्रह किया गया है। इसका मतलब यह है कि एक बार नौकरी से निकाल दिए जाने के बाद, एच-1बी वीजा पर एक विदेशी तकनीकी कर्मचारी के पास 60 दिनों की मौजूदा अवधि के बजाय नई नौकरी खोजने के लिए एक साल का समय होगा, जिसके बाद उन्हें देश छोड़ना होगा।
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