'शर्मीली हाउसवाइफ' से बांग्लादेश की पहली महिला प्रधानमंत्री, पति की हत्या ने बनाया खालिदा को आयरन लेडी
बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया का 80 वर्ष की आयु में ढाका के एवरकेयर अस्पताल में निधन हो गया। वह लंबे समय से किडनी, हृदय रोग और निमोनिया ...और पढ़ें
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डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। बांग्लादेश की पूर्व खालिदा जिया का 80 साल की उम्र में निधन हो गया। वह लंबे समय से बीमार चल रही थीं। उनकी पार्टी बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी ने कहा कि खालिदा का निधन 30 दिसंबर को सुबह 6 बजे ढाका के एवरकेयर अस्पताल में इलाज के दौरान हुआ है।
वह किडनी और हृदय रोग के साथ-साथ निमोनिया के संक्रमण से जुझ रहीं थीं। वह कई साल से लिवर सिरोसिस, गठिया, मधुमेह, गुर्दे, फेफड़े और आंखों की समस्याओं सहित विभिन्न जटिलताओं से पीड़ित थीं। उन्हें 23 नवंबर को सांस लेने की तकलीफ के कारण अस्पताल में भर्ती कराया गया था। इससे पहले जून 2024 में उन्हें हार्ट पेसमेकर सर्जरी भी करानी पड़ी थी।
कौन थीं खालिदा जिया?
खालिदा का जन्म 1945 में जलपाईगुड़ी (अब भारत के पश्चिम बंगाल) में हुआ था। उन्होंने शुरू में दिनाजपुर मिशनरी स्कूल में पढ़ाई की और बाद में 1960 में दिनाजपुर गर्ल्स स्कूल से मैट्रिक किया। खालिदा के पिता इस्कंदर मजूमदार बिजनेसमैन थे और मां तैयबा मजूमदार हाउसवाइफ थीं।

1960 में उनकी शादी जिया उर रहमान से हुई। वह उस समय पाकिस्तान आर्मी में कैप्टन थे और उन्होंने 1965 तक दिनाजपुर के सुरेंद्रनाथ कॉलेज में अपनी पढ़ाई जारी रखी, जब वह अपने पति के साथ रहने के लिए पश्चिमी पाकिस्तान चली गईं।
शर्मिली हाउसवाइफ से पहली महिला पीएम तक का सफर
जब 1971 में मुक्ति संग्राम शुरू हुआ, तो जिया उर रहमान ने पाकिस्तानी आर्मी से बगावत किया और जंग में हिस्सा लिया। इस वक्त तक खालिदा राजनीतिक रूप से सक्रिय नहीं थीं। जिया उर रहमान कहा करते थे कि वह एक शर्मिली हाउसवाइफ हैं जो अपने दोनों बच्चों के लिए समर्पित हैं।
लेकिन 30 मई, 1981 को जियाउर रहमान की हत्या के बाद, BNP एक गंभीर संकट में फंस गई। इस मुश्किल समय में, खालिदा जिया ने राजनीति में पैर रखा। वह पार्टी में शामिल हुईं और 12 जनवरी, 1984 को इसकी वाइस-प्रेसिडेंट बनीं। उन्हें 10 मई, 1984 को BNP का चेयरपर्सन चुना गया।

खालिदा जिया बांग्लादेश की पहली महिला प्रधानमंत्री रहीं हैं। 20 मार्च 1991 को उन्होंने पहली बार पीएम पद की शपथ ली। इसके बाद 1996 में वह दोबारा प्रधानमंत्री बनीं। हालांकि इस चुनाव में कई पार्टियों ने चुनाव का बहिष्कार कर दिया था।
इस दौरान ही उन्होंने आपात स्थिति में निष्पक्ष केयर टेकर सरकार होने का प्रावधान किया था। इसके लिए उन्होंने संविधान में संशोधन किया था। हालांकि केयर टेकर सरकार बनने के बाद होने वाले मध्याविधि चुनाव में बीएनपी पार्टी को अवामी लीग के हाथों करारी हार मिली।
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पहली बार जेल गईं खालिदा
हालांकि साल 2001 में हुए चुनाव में उन्हें दो तिहाई बहुमत से जीत मिली थी। फिर 2007 में सेना समर्थित केयर टेकर सरकार ने उन्हें जेल भेज दिया। फिर वह 2008 में रिहा कर दी गईं थीं।
फिर 2018 में भी उन्हें जेल जाना पड़ा था, लेकिन उनकी पार्टी और परिवार के सदस्यों ने बार-बार तत्कालीन अवामी लीग सरकार से खालिदा को बेहतर इलाज के लिए विदेश जाने की इजाजत देने की गुजारिश की थी, लेकिन उनकी अपील ठुकरा दी गई थी।

भ्रष्टाचार के आरोप में भी जाना पड़ा था जेल
खालिदा जिया को साल 2018 में अवामी लीग की सरकार के दौरान जेल भेजा गया था। उनपर जिया अनाथालय ट्रस्ट भ्रष्टाचार में लिफ्त होने के आरोप लगे थे। हालांकि कोरोना महामारी के दौरान उन्हें कुछ वक्त के रिहा किया गया था।
6 अगस्त 2025 को खालिदा को पूरी तरह से रिहा कर दिया गया था। राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन ने संविधान के अनुच्छेद 49 में दी गई राष्ट्रपति की शक्ति का इस्तेमाल करते हुए उनकी सजा को माफ कर दिया था।
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