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    भारत के लिए कम बुरे विकल्प हो सकते हैं तारिक रहमान, बांग्लादेश में चुनाव के बाद बदलेंगे समीकरण

    Updated: Sat, 27 Dec 2025 06:58 AM (IST)

    बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया के बेटे और बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) के कार्यकारी अध्यक्ष तारिक अनवर 17 वर्ष के निर्वासन के बा ...और पढ़ें

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    भारत के लिए कम बुरे विकल्प हो सकते हैं तारिक रहमान (फोटो- एक्स)

    जागरण रिसर्च, नई दिल्ली। बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया के बेटे और बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) के कार्यकारी अध्यक्ष तारिक अनवर 17 वर्ष के निर्वासन के बाद अपने देश लौट आए हैं। गुरुवार को ढाका में उनके स्वागत में लोगों का सैलाब दिखा। अतीत में बीएनपी के साथ भारत के रिश्ते अच्छे नहीं रहे हैं।

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    बांग्लादेश में राजनीतिक संकट

    हालांकि बांग्लादेश की चुनावी राजनीति से अवामी लीग के बाहर होने से समीकरण बदल गए हैं। ऐसे में तारिक रहमान की वापसी भारत को बीएनपी के साथ नए सिरे से रिश्ते बनाने का मौका दे सकती है। रहमान इसलिए चले गए थे लंदन तारिक रहमान बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया और पूर्व राष्ट्रपति जियाउर रहमान के बेटे हैं।

    उन्हें बांग्लादेश में तारिक जिया नाम से भी जाना जाता है। वह 2008 में भ्रष्टाचार के आरोपों और गिरफ्तारी के बाद इलाज के बहाने लंदन चले गए थे और तब से वहीं निर्वासन में रह रहे थे।

    रहमान पर लगे हैं गंभीर आरोप

    2018 में, शेख हसीना की सरकार के दौरान 2004 के ग्रेनेड हमले की साजिश रचने के आरोप में रहमान की गैरमौजूदगी में उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी। शेख हसीना सरकार के तख्तापलट के बाद रहमान को इन आरोपों से बरी कर दिया गया, जिससे उनके लौटने का रास्ता साफ हुआ।

    समावेशी बांग्लादेश बनाने का वादा ढाका पहुंचने के बाद 60 वर्षीय तारिक रहमान ने समर्थकों के विशाल समूह को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने देश में शांति व स्थिरता बनाए रखने का आह्वान किया और समावेशी बांग्लादेश बनाने की व्यापक योजना पेश की।

     रहमान ने समर्थकों के विशाल समूह को संबोधित किया

    रहमान ने कहा कि वह समावेशी बांग्लादेश बनाना चाहते हैं, जहां हर जाति, नस्ल, धर्म के लोग शांतिपूर्ण माहौल में रह सकें। उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि हम सभी मिलकर देश का निर्माण करें। हम एक सुरक्षित बांग्लादेश बनाना चाहते हैं। ऐसा बांग्लादेश जहां महिला हो, पुरुष हो या फिर बच्चे, उन्हें अपने घरों से सुरक्षित रूप से बाहर जाने और सुरक्षित रूप से वापस लौटने का अधिकार हो।

    जनसमर्थन जुटाने की रणनीति तारिक रहमान के माता-पिता दोनों ही बांग्लादेश में शीर्ष सत्ता पदों पर रहे हैं। उनके पिता जियाउर रहमान 1977 से 1981 तक बांग्लादेश के छठे राष्ट्रपति रहे, जिनकी हत्या कर दी गई थी।

    खालिदा जिया इतने समय तक देश की प्रधानमंत्री रहीं

    वहीं उनकी मां खालिदा जिया 1991 से 1996 और फिर 2001 से 2006 तक देश की प्रधानमंत्री रहीं और इस पद पर पहुंचने वाली पहली महिला बनीं। अब खालिदा जिया बीमार हैं और अस्पताल में हैं। उनकी विरोधी शेख हसीना को बेदखल कर दिया गया है।

    ऐसे में तारिक रहमान की 17 साल बाद वापसी को बीएनपी के नेतृत्व पर दोबारा दावा करने और जनसमर्थन जुटाने की रणनीति के रूप में देखा जा रहा है। बांग्लादेश सबसे पहले रहमान ने बांग्लादेश आने से पहले ही साफ कर दिया था कि उनकी सरकार किसी बाहरी ताकत के दबाव में नहीं झुकेगी। उनका प्रमुख नारा है- ''न दिल्ली, न पिंडी - बांग्लादेश सबसे पहले''।

     बीएनपी के भारत के साथ संबंध तनावपूर्ण रहे हैं

    इसका मतलब है कि वह भारत (दिल्ली) और पाकिस्तान (रावलपिंडी) दोनों के साथ संतुलन बनाकर चलना चाहते हैं, न कि किसी एक के पक्ष में झुककर। बीएनपी के साथ नई शुरुआत कर सकता है भारत भारत के लिए तारिक रहमान की वापसी ''दो बुरे विकल्पों में से कम बुरा'' चुनने जैसी है।

    ऐतिहासिक रूप से बीएनपी के भारत के साथ संबंध तनावपूर्ण रहे हैं, लेकिन भारत के लिए असली खतरा जमात-ए-इस्लामी है, जिसे पाकिस्तान की आइएसआइ की कठपुतली माना जाता है। जमात के मुकाबले भारत अब बीएनपी को एक अधिक उदार और लोकतांत्रिक विकल्प के रूप में देख रहा है।

    भारत के लिए तारिक रहमान फिलहाल एक पहेली

    हाल ही में पीएम मोदी द्वारा अस्पताल में भर्ती खालिदा जिया की सेहत पर चिंता जताने और बीएनपी द्वारा उस पर आभार व्यक्त करने से रिश्तों में जमी बर्फ पिघलती दिख रही है। रहमान के साथ रिश्ते सुधारने के संकेत भारत इस समय देखो और इंतजार करो की नीति पर चल रहा है।

    भारत के लिए तारिक रहमान फिलहाल एक ऐसी पहेली हैं, जिसके सूत्र भविष्य के गर्भ में छिपे हैं। भारत चाहता है कि बांग्लादेश में लोकतंत्र बहाल हो, लेकिन डर है कि कहीं रहमान की आड़ में कट्टरपंथी तत्व फिर से मजबूत न हो जाएं। हालांकि जमात-ए-इस्लामी के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए भारत अब रहमान के साथ रिश्ते सुधारने के संकेत दे रहा है ताकि क्षेत्र में स्थिरता बनी रहे।

    शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग के चुनाव में भाग लेने पर प्रतिबंध

    जमात-ए-इस्लामी है बीएनपी की मुख्य प्रतिद्वंदी बीएनपी आगामी फरवरी में होने जा रहे चुनाव में सत्ता हासिल करने के लिए प्रमुख दावेदार के रूप में उभरी है क्योंकि पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग के चुनाव में भाग लेने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।

    बीएनपी जीती तो तारिक रहमान अगले प्रधानमंत्री बन सकते हैं

    माना जा रहा है कि अगर बीएनपी जीती तो तारिक रहमान अगले प्रधानमंत्री बन सकते हैं। जमात-ए-इस्लामी की बात करें तो वह 2001 से 2006 तक बीएनपी के कार्यकाल के दौरान सहयोगी रही थी, लेकिन अब उसकी मुख्य प्रतिद्वंद्वी मानी जा रही है।

    स्त्रोत:जागरण रिसर्च