RG Kar Case: पीड़िता के माता-पिता का बड़ा आरोप, छह महीने बाद भी नहीं मिला मृत्यु प्रमाण पत्र
आरजी कर मामले में रोज नई जानकारी सामने आ रही है। आरजी कर मेडिकल कॉलेज अस्पताल की एक प्रशिक्षु महिला डॉक्टर की मौत के करीब छह महीने बाद भी उसके माता-पिता को अभी भी उसके मृत्यु प्रमाण पत्र की प्रति नहीं मिली है। इस बात का दावा पीड़िता के माता पिता ने दी। उनका आरोप है कि संबंधित अधिकारी इसको लेकर एक दूसरे पर जिम्मेदारी थोप रहे हैं।
राज्य ब्यूरो, जागरण, कोलकाता। महानगर के आरजी कर मेडिकल कॉलेज अस्पताल की एक प्रशिक्षु महिला डाक्टर के साथ हुए दुष्कर्म और हत्या की घटना को छह महीने से अधिक समय बीत चुका है, लेकिन उसके माता-पिता को अभी भी उसके मृत्यु प्रमाण पत्र की प्रति नहीं मिली है।
दरअसल, पीड़िता का शव पिछले साल नौ अगस्त की सुबह आरजी कर मेडिकल कालेज के परिसर में स्थित सेमिनार हाल से बरामद किया गया था।
पीड़िता के माता-पिता का आरोप
पीड़िता के माता-पिता ने आरोप लगाया कि वे अब तक मृत्यु प्रमाण पत्र प्राप्त करने में असमर्थ रहे हैं, क्योंकि आरजी कर और कोलकाता नगर निगम (केएमसी) के अधिकारी एक-दूसरे पर जिम्मेदारी डाल रहे हैं। उनके अनुसार, केएमसी के अधिकारी दावा कर रहे हैं कि चूंकि मृत्यु का स्थान आरजी कर है, इसलिए मृत्यु प्रमाण पत्र प्रदान करना अस्पताल के अधिकारियों की जिम्मेदारी है।
अधिकारियों का क्या है दावा?
मृतका के माता-पिता कहना है कि दूसरी ओर आरजी कर के अधिकारियों का दावा है कि यदि कोई मरीज अस्पताल परिसर में मरता है या यहां तक कि उसे मृत अवस्था में अस्पताल लाया जाता है, तो मृत्यु प्रमाण पत्र केएमसी अधिकारियों को प्रदान करना होगा।
क्यों नहीं मिली मृत्यु प्रमाण पत्र की प्रति?
पीड़िता के माता-पिता ने आगे दावा किया है कि उन्हें मृत्यु प्रमाण पत्र की प्रति नहीं मिली है, लेकिन आरजी कर से जुड़े एक चिकित्सा अधिकारी के बयान के अनुसार, अदालत के दस्तावेजों में इसका उल्लेख किया गया है। अब वे कहते हैं कि अगर मृत्यु प्रमाण पत्र का उल्लेख अदालत के दस्तावेजों में है, तो प्रमाण पत्र की एक प्रति उन्हें क्यों नहीं सौंपी गई?
विशेष अदालत ने सीबीआई को दिया था निर्देश
पिछले हफ्ते, कोलकाता की एक विशेष अदालत ने सीबीआई को 24 फरवरी को मामले में अपनी जांच पर एक नई प्रगति रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है। चूंकि विशेष अदालत ने दुष्कर्म और हत्या के मुख्य अपराध में दोषी को पहले ही सजा सुनाई है, इसलिए कानूनी हलकों को लगता है कि ताजा प्रगति रिपोर्ट मामले में सबूतों के साथ छेड़छाड़ से संबंधित होगी।
पता चला है कि विशेष अदालत ने पीड़ित परिवार के वकील द्वारा दायर एक शिकायत के बाद सीबीआई को एक नई प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया था, जिसमें केंद्रीय एजेंसी पर मामले में जांच की प्रगति के बारे में अदालत को समय-समय पर अपडेट नहीं करने का आरोप लगाया गया था।
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