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Uttarakhand Lockdown: यहां ग्रामीण लोगों के जनजीवन में पहले से रचा बसा है लॉकडाउन

गांव में आज भी एक अलग दुनिया बसती है। जो लॉकडाउन के नियमों का पालन सदियों से करती आ रही है। गांव के लोग शहरों से ज्यादा अनुशासित नजर आ रहे हैं।

By Bhanu Prakash SharmaEdited By: Published: Wed, 08 Apr 2020 10:47 AM (IST)Updated: Wed, 08 Apr 2020 10:47 AM (IST)
Uttarakhand Lockdown: यहां ग्रामीण लोगों के जनजीवन में पहले से रचा बसा है लॉकडाउन
Uttarakhand Lockdown: यहां ग्रामीण लोगों के जनजीवन में पहले से रचा बसा है लॉकडाउन

उत्तरकाशी, शैलेंद्र गोदियाल। कोरोना के कहर से बचाव के लिए पूरे देश में लॉकडाउन है। वहीं, गांव में जनजीवन पहले की तरह ही संचालित है। इसीलिए तो कहते हैं गांव में आज भी एक अलग दुनिया बसती है। जो लॉकडाउन के नियमों का पालन सदियों से करती आ रही है। गांव में भौतिक और आधुनिक सुख सुविधाओं की कमियां जरूर हैं। फिर भी गांव के लोग शहरों से ज्यादा अनुशासित नजर आ रहे हैं।

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इन दिनों गांवों में जंगलों से चारा लाने से लेकर खेतों में जुताई-बुआई और तैयार मटर की तुड़वाई चल रही है। यहां कोरोना को लेकर ग्रामीणों में कोई भय इसलिए नहीं है कि वे एक दूसरे से दूरी के नियम को भी गंभीरता से निभा रहे हैं। 

लॉकडाउन में शहरों की हलचल सुबह सात बजे से दोपहर एक बजे (लॉकडाउन की छूट) के बीच होती हैं। इसके बाद शहर में भीड़ गायब नजर आ रही है और सड़कों पर सन्नाटा रहता है। सीमांत जनपद उत्तरकाशी की बात करें तो लॉकडाउन से ग्रामीण जन जीवन पर बहुत असर नहीं हुआ है। 

कोरोना संक्रमण को लेकर गांव में शारीरिक दूरी को लेकर ग्रामीण जागरूक हुए हैं। भटवाड़ी ब्लॉक के बोंगाडी के प्रधान विजेंद्र गुसांई कहते हैं कि गांव में पहले भी अनुशासित जीवन था और आज भी अनुशासित जीवन है। शहरों में सुबह के समय लॉकडाउन छूट पर जो भगदड़ होती है। गांव उससे हमेशा दूर रहा है। उनके गांव में इन दिनों ग्रामीण शारीरिक दूरी का पालन करते हुए जंगलों से घास लाना, खेतों में धान, झंगोरा, मंडवा की बुआई आदि कार्य कर रहे हैं। 

उत्तकाशी जनपद के ग्रामीण किसानों के साथ काम कर रहे रिलायंस फाउंडेशन के कमलेश गुरुरानी कहते हैं कि ग्रामीण जीवन अनुशासन का दूसरा नाम है। यहां ग्रामीण भाग-दौड़ में नहीं लगे रहते हैं। लॉकडाउन जैसे नियमों का तो हमेशा यहां पालन होता है। 

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गांव की सबसे खूबसूरत बात तो यह है कि गांव के लोग मेहनती, सरल स्वभाव, स्वभाव से निश्छल और स्वाभिमानी होते हैं। इन दिनों सिर्फ इन ग्रामीण काश्तकारों को उनके उत्पादित मटर व अन्य उत्पादों को मंडियों व उपभोक्ताओं तक पहुंचाने की जरूरत है। 

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