सोलह साल पहले शुरू की मुहीम हरे-भरे जंगल में हुई तब्दील
टिहरी जिले के ग्राम मोलनो पौखाल निवासी मगन सिंह गुसाईं ने पर्यावरण संरक्षण को जीवन का ध्येय बना लिया। वर्ष 2000 में शुरू की गई उनकी मुहिम जंगल के रूप में लहलहा रही है।
नई टिहरी, [मधुसूदन बहुगुणा]: सेवानिवृत्ति के बाद जहां आराम को ही जीवन का पर्याय मान लिया जाता है, वहीं टिहरी जिले के ग्राम मोलनो पौखाल निवासी मगन सिंह गुसाईं ने पर्यावरण संरक्षण को जीवन का ध्येय बना लिया। वर्ष 2000 में शुरू की गई उनकी यह मुहिम आज हरे-भरे जंगल के रूप में लहलहा रही है।
मगन सिंह वर्ष 1997 में शिक्षा विभाग से सेवानिवृत हुए, लेकिन इसके बाद भी चुप बैठना उन्हें गवारा नहीं था। यही वजह है कि समय का सदुपयोग करने के लिए उन्होंने गांव के पास ही वन विभाग की भूमि पर बांज, बुरांश, देवदार, बरगद, पीपल, काफल आदि के पौधे रोपने शुरू कर दिए।
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आसपास पानी न होने के कारण इन पौधों की सिंचाई वह गांव के प्राकृतिक स्रोत से पानी लाकर करते थे। लेकिन, इसमें समय और श्रम अत्याधिक जाया होते थे। ऐसे में उन्होंने खुद के ही संसाधनों से गांव में टैंक बनवा दिया।
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इसके दो फायदे हुए। एक तो वर्षा जल संग्रहण होने लगा और दूसरा पौधों की सिंचाई के लिए पानी की कोई कमी नहीं रही। हालांकि, शुरुआती दौर में उनका पूरा दिन पौधों की देखभाल में ही खप जाता था। लेकिन, इसी का नतीजा है कि आज गांव के पास लहलहा रहा हरा-भरा जंगल मगन सिंह के जज्बे की गवाही दे रहा है।
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खास बात यह कि 84 वर्षीय मगन सिंह पर्यावरण को लेकर आज भी उसी शिद्दत के साथ सक्रिय हैं, जैसे शुरुआती दौर में रहे होंगे। मई-जून में फायर सीजन के दौरान तो वह देर शाम तक जंगल के इर्द-गिर्द ही जमे रहते हैं। ताकि, जंगल को आग से बचाया जा सके।
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मगन सिंह के मुताबिक सेवानिवृत्ति के बाद मैंने अपना अधिकांश समय पौध रोपण और पौधों की देखभाल में लगाया है। विभिन्न प्रजाति के पौधों का यहां पर रोपण किया गया है, जो आज काफी बड़े हो गए हैं। मैं चाहता हूं कि पर्यावरण की रक्षा के लिए सभी लोग आगे आएं और अपने-अपने क्षेत्र में अधिक से अधिक पौधों का रोपण करें।
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