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    बच्चों के बिखरते सपनों को अपने खर्च से संवार रहा शिक्षक

    By BhanuEdited By:
    Updated: Sat, 15 Apr 2017 06:01 AM (IST)

    राजकीय प्राथमिक विद्यालय ककोला में प्रधानाध्यापक चंद्रमोहन नैथानी स्वयं के खर्चे पर अपने विद्यालय को संवारने में जुटे हैं। गरीब बच्चों की मदद को वह अपना वेतन खर्च कर रहे हैं।

    बच्चों के बिखरते सपनों को अपने खर्च से संवार रहा शिक्षक

    रुद्रप्रयाग, [बृजेश भट्ट]: सरकारी शिक्षा व्यवस्था इस कदर पंगु हो चुकी है कि लोग अपने पाल्यों को सरकारी विद्यालयों से दूर ही रखना चाहते हैं। वहीं, इसी व्यवस्था में रुद्रप्रयाग जिले का एक शिक्षक स्वयं के खर्चे पर अपने विद्यालय को संवारने में जुटा है। उसका बस एक ही ध्येय है कि उसके विद्यार्थी कहीं भी उन्नीस न रहें। 

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    इस शिक्षक का नाम है चंद्रमोहन नैथानी, जो वर्तमान में अगस्त्यमुनि ब्लाक के राजकीय प्राथमिक विद्यालय ककोला में प्रधानाध्यापक हैं। उन्होंने 2013 की केदारनाथ आपदा में अनाथ हुए नौनिहालों की मदद का बीड़ा भी उठाया हुआ है। वर्तमान में वह 163 अनाथ बच्चों की पढ़ाई का खर्चा स्वयं उठा रहे हैं। इनमें कुछ बच्चे उच्च शिक्षा भी ले रहे हैं। इसके लिए वह अपने जीपीएफ तक से पैसा निकाल चुके हैं।

    शिक्षक नैथानी पिछले दस वर्षों से समाज सेवा में जुटे हैं। उनकी पत्नी भी शिक्षक हैं, जिनके वेतन से घर का खर्चा चल जाता है। अपना पूरा वेतन नैथानी अनाथ बच्चों की खुशहाली में लगा रहे हैं। प्रावि ककोला में उनकी तैनाती नवंबर 2016 में हुई। 

    इससे पूर्व वे राजकीय प्रावि बेडूबगड़ (अगस्त्यमुनि) में तैनात थे। वहां भी वे अपने खर्चे पर सभी बच्चों के लिए नियमित स्वास्थ्य परीक्षण, शैक्षणिक भ्रमण, प्रोजेक्टर से पढ़ाई, कंप्यूटर शिक्षा, बेहतरीन ड्रेस, बैठने लिए फर्नीचर, उच्च गुणवत्ता वाले मध्याह्न भोजन की व्यवस्था करते थे। यही वजह रही कि महज 11 छात्र संख्या वाले इस विद्यालय ने खेलकूद में राष्ट्रीय स्तर तक अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। यही प्रयोग अब नैथानी ककोला में कर रहे हैं।

    नैथानी ने विद्यालय में अपने खर्चे से एक लाइब्रेरी की स्थापना भी की है। जहां बच्चे नियमित रूप से नई-नई जानकारियां हासिल करते हैं। उन्होंने हर छात्र-छात्रा की व्यक्तिगत मार्कशीट तैयार की हुई है। इसमें वह बच्चे की शैक्षिक प्रगति, ब्लड ग्रुप, टीकाकरण, स्वास्थ्य की स्थिति, अच्छाई व कमी और उपस्थिति का पूरा ब्योरा दर्ज करते हैं। 

    इसके अलावा वह केदारनाथ आपदा में अपने अभिभावक खो चुकी चार बेटियों की शादी भी करा चुके हैं। इन शादियों का सारा खर्चा उन्होंने खुद उठाया। बल्कि, दो बेटियों की शादी तो उन्होंने अपने घर से ही की। बकौल नैथानी, 'ऐसी और भी बेटियां हैं। मैंने उनके परिजनों से संपर्क साधा है। मुझसे जो भी बन पड़ेगा उनकी शादी में खर्च करूंगा। 

    आपदा में निभाई अहम भूमिका

    केदारनाथ आपदा के दौरान राहत कार्यों, के साथ ही आपदा पीडि़तों की मदद में भी नैथानी की अहम भूमिका रही। उन्होंने केदारघाटी के गांव-गांव जाकर आपदा पीडि़तों की मदद की। इस दौरान बीमारों को अस्पताल पहुंचाने में वे सबसे आगे रहे। यहां तक कि उन्हें हायर सेंटर भी अपने खर्चे पर पहुंचाया। कहते हैं, यह सिलसिला अनवरत चलता रहे, इसी में उनकी खुशी है।

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