Move to Jagran APP

एनएच-74 घोटाला मामले में डीओपीटी व एनएचएआइ को एसआइटी ने भेजा रिमाइंडर

एनएच-74 घोटाले की जांच कर रही एसआइटी को अब तक नजरअंदाज करने वाली एनएचएआई व डीओपीटी के प्रति एसआइटी कड़ा रुख अपनाने की तैयारी में है।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Wed, 20 Nov 2019 06:39 PM (IST)Updated: Thu, 21 Nov 2019 11:10 AM (IST)
एनएच-74 घोटाला मामले में डीओपीटी व एनएचएआइ को एसआइटी ने भेजा रिमाइंडर
एनएच-74 घोटाला मामले में डीओपीटी व एनएचएआइ को एसआइटी ने भेजा रिमाइंडर

रुद्रपुर, जेएनएन : एनएच-74 घोटाले की जांच कर रही एसआइटी को अब तक नजरअंदाज करने वाली एनएचएआई व डीओपीटी के प्रति एसआइटी कड़ा रुख अपनाने की तैयारी में है। कार्रवाई से पूर्व एक बार फिर रिमाइंडर भेजा जा रहा है। इसके साथ ही विधिक राय भी ली जाएगी, जिससे जवाब न मिलने पर इस बार उनके खिलाफ कार्रवाई की रणनीति तैयार की जा सके। 211 करोड़ के एनएच-74 घोटाले की जांच में अब तक एसआइटी पीसीएस अधिकारियों के साथ ही किसानों व बिचौलियों को जेल भेज चुकी है।

loksabha election banner

एक वर्ष बाद भी नहीं आया डीओपीटी का कोई जवाब

हाल ही में मामले की जांच कर रही ईडी ने भी कार्रवाई करते हुए बनी लाड्रिंग के मामले में मुख्य आरोपित डीपी सिंह सहित कुछ किसानों की संपत्ति को अटैच कर लिया। ईडी की जांच में सामने आया कि उक्त संपत्ति एनएच घोटाले के दौरान प्राप्त कमीशन के रूप में मिले पैसे के माध्यम से खरीदी गई। पूरे मामले में एसआइटी का हाथ कहीं रुका है तो वह आईएएस अधिकारियों के साथ ही एनएचएआइ पर कार्रवाई को लेकर। एनएच घोटाले में दो आईएएस अधिकारियों का नाम सामने आया था। दोनों अधिकारी तत्कालिन डीएम ऊधम सिंह नगर पंकज पांडेय और चंद्रेश यादव के खिलाफ शासन ने कार्रवाई भी की थी। चंद्रेश यादव को तो शासन ने राहत दे दी थी। लेकिन पंकज पांडेय के खिलाफ कार्रवाई को लेकर एसआइटी ने डीओपीटी को पत्र लिखा था। लेकिन डीओपीटी ने हिंदी में भेजी गई रिपोर्ट को किनारे करते हुए अंग्रेजी अनुवाद मांग लिया था। जिस पर तत्कालीन एसएसपी कृष्ण कुमार वीके ने अंग्रेजी अनुवाद कर डीओपीटी को भेज दिया था। लेकिन एक वर्ष का समय बीतने को है लेकिन अभी तक डीओपीटी द्वारा कोई जवाब नहीं दिया गया है।

एसआइटी आर पार की लड़ाई के मूड में

दूसरी तरफ एनएचएआइ की भूमिका पर भी मुख्यालय रिपोर्ट भेज एसआइटी ने अभियोजन की अनुमति मांगी थी। लेकिन न ही डीओपीटी और न ही एनएचएआई ने कोई जवाब एसआइटी को दिया है। दोनों की बेरुखी के चलते एसआइटी जांच प्रभावित हो रही है। अब एसआइटी ने अपना रुख कड़ा कर लिया है। इसके लिए अंतिम रिमाइंडर डीओपीटी व एनएचएआइ को भेजने के लिए एसआइटी ने कमर कस ली है। इसके साथ ही एसआइटी अनुमति न मिलने की स्थिति में दोनों के खिलाफ कार्रवाई को लेकर विधिक राय की भी तैयारी कर ली है। एसआइटी की आर पार की लड़ाई का मन बनाने के बाद जल्द नतीजा निकलने के आसार बन गए है।

एसआइटी से बाहर घोटालेबाज आ सकते ईडी के राडार पर

एनएच-74 मुआवजे में ईडी के 23 लोगों की संपत्ति अटैच करने पर घोटालेबाजों मेंं हड़कंप मचा है। ऐसे में उन घोटालेबाजों की भी गर्दन फंस सकती है, जो एसआइटी की जांच से बच गए हैं। ऐसे लोग ईडी के राडार पर है। ईडी की नजर बैंक खातों पर होती है, जिसके जरिये घोटालेबाजों तक पहुंचेगी। एनएच-74 का हरिद्वार से सितारगंज तक चौड़ीकरण किया जा रहा है। इसके दायरे में आने वाले किसानों की जमीन का मुआवजा दिया गया है। कुछ किसानों ने दलालों के माध्यम से अफसरों से मिलीभगत कर कृषि को अकृषि दर्शाकर नियम से 10 से 15 गुना अधिक मुआवजा ले लिया। यहीं नहींं, बाद में कुछ किसानों तो अकृषि भूमि को कृषि दिखाकर बैंकों से लोन ले लिया। जब मामले की जांच एसआइटी ने की तो इस मामले में दो आइएएस अफसर सहित कई पीसीएस अफसर, किसान व दलाल उजागर हुए और 215 करोड़ 11 लाख रुपये का घोटाला सामने आया। दो आइएएस अफसरों को निलंबित किया गया। हालांकि बाद में बहाल कर दिया गया। अफसर, किसान सहित 30 लोग जेल जा चुके हैं। मामला प्रवर्तन निदेशालय पहुंचा तो देहरादून में मुकदमा दर्ज कर जांच में जुट गए। ईडी ने मंगलवार को इस मामले में बड़ी कार्रवाई करते हुए 23 लोगों की 21 करोड़ 96 लाख रुपये की संपत्ति अटैच कर दिया। इनमें एक पीसीएस अफसर, चार दलाल व बाकी यूएस नगर के किसान शामिल हैं।

यह भी पढ़ें : उत्‍तराखंड के सबसे बड़े एनएच-74 मुआवजा घोटाले के बारे में जानिए सबकुछ

यह भी पढें : थानेदार ने सिपाही को थाने में ही दौड़ा-दौड़ाकर पीटा, ऊंगली फ्रैक्‍चर, सिर और शरीर में भी चोटें


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.