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उत्‍तराखंड के सबसे बड़े एनएच-74 मुआवजा घोटाले के बारे में जानिए सबकुछ nainital news

राज्य बनने के बाद हुए घोटालों में एनएच-74 मुआवजा घोटाला सबसे बड़ा माना जा रहा है। अब तक जांच में एसआइटी ने 211 करोड़ रुपये घोटाले की पुष्टि की ।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Wed, 20 Nov 2019 10:57 AM (IST)Updated: Thu, 21 Nov 2019 11:12 AM (IST)
उत्‍तराखंड के सबसे बड़े एनएच-74 मुआवजा घोटाले के बारे में जानिए सबकुछ nainital news
उत्‍तराखंड के सबसे बड़े एनएच-74 मुआवजा घोटाले के बारे में जानिए सबकुछ nainital news

रुद्रपुर, जेएनएन : राज्य बनने के बाद हुए घोटालों में एनएच-74 मुआवजा घोटाला सबसे बड़ा माना जा रहा है। अब तक जांच में एसआइटी ने 211 करोड़ रुपये घोटाले की पुष्टि की और अफसरों, कर्मचारियों, किसानों व दलालों सहित 22 लोगों को जेल भेज चुकी है।

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जानें क्‍या है एनएच-74

हरिद्वार से सितारगंज तक 252 किमी दूरी के एनएच-74 के चौड़ीकरण के लिए वर्ष 2012-13 में प्रक्रिया शुरू की गई। वर्ष 2013 में एनएचएआइ की ओर से नोटिफिकेशन जारी किया गया था कि चौड़ीकरण के दायरे में आने वाली जमीन जिस स्थिति में है, उसी आधार पर मुआवजा दिया जाएगा। नोटिफिकेशन में बाकायदा चौड़ीकरण के दायरे में आने वाली जमीन का खसरा नंबर का भी जिक्र था।

बैकडेट में कृषि भूमि को अकृषि कर करोड़ों का घोटाला

कुछ ऐसे किसान थे, जिन्होंने अफसरों, कर्मचारियों व दलालों से मिलीभगत कर बैकडेट में कृषि भूमि को अकृषि भूमि दर्शाकर करोड़ों रुपये मुआवजा ले लिया। इससे सरकार को करोड़ों रुपये की क्षति हुई। इस मामले की कई बार शिकायत की गई तो एक मार्च 2017 को तत्कालीन आयुक्त कुमाऊं सेंथिल पांडियन ने कलक्ट्रेट रुद्रपुर मेें अफसरों की बैठक ली। इस दौरान उन्होंने एनएच-74 निर्माण कार्यों में प्रथमदृष्टया धांधली की आशंका जताई। इस आधार पर उन्होंने तत्कालीन डीएम यूएस नगर को जांच करने के निर्देश दिए थे। इस पर तत्कालीन एडीएम प्रताप शाह ने 11 मार्च 2017 को सिडकुल चौकी में एनएच घोटाले का मुकदमा दर्ज कराया था।

एसआइटी को सौंपी गई जांच

15 मार्च को घोटाले की जांच के लिए एसआइटी गठित कर दी गई। एसआइटी ने एसएलएओ व एनएचएआइ सहित तहसीलों में छापा मारकर मुआवजा से जुड़े दस्तावेज कब्जे में लेकर जांच की। जांच में कई किसानों को पूर्व की तारीख पर सफेद स्याही लगाकर ओवरराइटिंग कर बैकडेट दर्शाकर नियम से अधिक मुआवजा लेना पाया गया। धांधली होने की आशंका पर मुआवजे से जुड़े दस्तावेजों को फोरेंसिक जांच के लिए एफएसएल देहरादून को भेजा गया। जांच में घोटाले का मामला सामने आया। एसआइटी ने सात नवंबर को निलंबित पीसीएस भगत सिंह फोनिया समेत आठ अधिकारी और कर्मचारियों को गिरफ्तार कर लिया। इसके बाद एसआइटी ने दो आइएएस अफसरों व किसानों को भी गिरफ्तार किया। अब तक सरेंडर हुए लोगों सहित 30 लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है।

दो आइएएस को किया जा चुका है निलंबित

दो आइएएस अफसर पंकज पांडेय व चंद्रेश यादव को भी निलंबित कर दिया गया था। जांच से भयभीत चार-पांच किसान विदेश चले गए हैं। हालांकि नियम से अधिक मुआवजा लेने वाले किसानों से रिकवरी की जा रही है। इसके लिए आरसी काटी जा चुकी है। एसएलओ नरेश चंद्र दुर्गापाल ने बताया कि गलत तरीके से मुआवजा लेने वाले किसानों को वापस करने के लिए आरसी काटी गई है। किसान अतिरिक्त मुआवजा  वापस कर रहे हैं।

जिले के 24 से अधिक किसान लौटा चुके हैं 2.63 करोड़

एनएच मुआवजा घोटाले में एसआइटी की कार्रवाई के बाद किसानों ने मुआवजा लौटाना शुरू कर दिया है। जिले के 24 से अधिक किसान 2.63 करोड़ रुपये मुआवजा वापस कर चुके हैं। एनएच-74 मुआवजा घोटाले में कृषि भूमि को अकृषि दर्शाकर यानि 143 कराकर किसानों ने करोड़ों रुपये का मुआवजा लिया था। जांच में एसआइटी ने किसानों के साथ ही राजस्व विभाग के अधिकारी, कर्मचारियों व दलालों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। एसआइटी कार्रवाई से किसानों में हड़कंप मच गया। किसानों ने मुआवजा लौटाने की पेशकश पर एसबीआइ में खाता खोला गया। जिसमें किसानों ने मुआवजा लौटाना शुरू कर दिया। एसआइटी के मुताबिक अब तक जसपुर के अजमेर सिंह 10 लाख, गुरवेल सिंह 10 लाख, सतनाम सिंह 20 लाख रुपये, सुखवंत सिंह 20 लाख रुपये, जसपुर के सुखदेव सिंह से 20 लाख रुपये, काशीपुर के अमरजीत कौर से चार लाख रुपये, किच्छा के सुरेश कुमार 83187 रुपये, ईश्वरी प्रसाद गंगवार से 145623 रुपये, जसपुर के सतनाम सिंह से 50 लाख रुपये, गरजिंदर कौर से 10 लाख रुपये, हरजिंदर कौर से 10 लाख रुपये, काशीपुर के गगनदीप कौर से 20 लाख रुपये, बाजपुर के अवतार सिंह से 20 हजार रुपये, हीरालाल से 50 हजार रुपये, दिलशेर सिंह से 50 हजार रुपये, सुबेग सिंह से 20 हजार रुपये, दिलबाग सिंह से 20 हजार रुपये 10 अगस्त को सितारगंज के एक किसान इंद्रपाल सिंह से एसबीआइ में खोले गए खाते में 15 लाख रुपये का मुआवजा वापस लिया गया है।

दो आइएएस अफसरों पर लटकी है तलवार

एनएच-74 घोटाले में जिले के तत्कालीन आइएएस अफसर पंकज पांडेय व चंद्रेश यादव पर भी कार्रवाई की तलवार लटकी थी। दोनों अफसरों को निलंबित भी कर दिया गया था। हालांकि बाद में दोनों अफसरों को बहाल कर दिया गया है। मगर शासन स्तर से कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग को भेजी गई रिपोर्ट का इंतजार एसआइटी को है। जांच में एसआइटी ने आर्बिट्रेशन और एनएचएआइ की भूमिका की जांच रिपोर्ट शासन और एनएच मुख्यालय को भेजी थी। इसमें शासन ने कार्रवाई कर दो आइएएस अफसर डॉ.पंकज पांडेय और चंद्रेश यादव को निलंबित कर दिया है। जबकि एनएचएआइ के खिलाफ एसआइटी अभियोजन की अनुमति मांग चुकी है। लेकिन अब तक एनएच मुख्यालय से कोई जवाब नहीं आया।

एनएचएआई ने अपनाया था डबल स्टैंडर्ड

एसआइटी की जांच में पाया गया था कि एनएचएआइ ने एक ही खसरा नंबर के भुगतान को लेकर डबल स्टैंडर्ड अपनाया था। इस आधार पर एसआइटी ने जसपुर से लेकर सितारगंज तक सारे ऐसे मामलों को चिन्हित करने के साथ ही किसानों से पूछताछ कर पुख्ता साक्ष्य एकत्र कर लिए। कुछ मामलों में एनएचएआइ ने आपत्ति दर्ज कराई। एनएचएआइ की दोहरी भूमिका को प्रदर्शित करने वाले ऐसे कई मामले एसआइटी ने चिन्हित कर अपनी जांच रिपोर्ट में शामिल किए थे। एसआइटी अधिकारियों के मुताबिक एनएचएआई के खिलाफ एनएच मुख्यालय को सौंपी गई जांच रिपोर्ट करीब 600 पन्नों की है।

ऐसे पहुंचा ईडी के पास मामला

एसआइटी की जांच में एनएच-74 मुआवजा घोटाले में 211 करोड़ से अधिक रुपयेे की गड़बड़ी पुष्टि हुई। इससे यह मामला वर्ष 2018 में प्रवर्तन निदेशालय पहुंचा। इस पर ईडी ने यूएस नगर पहुंचकर एसआइटी टीम से मुलाकात की। साथ ही घोटाले में दर्ज केस से संंबंधित दस्तावेज लिए। जांच के बाद मिले साक्ष्यों को आधार बनाकर देहरादून में ईडी ने केस दर्ज कर लिया। इसके बाद एक बार फिर ईडी यूएस नगर पहुंची और रुद्रपुर, काशीपुर, बाजपुर व हल्द्वानी में कई लोगों से पूछताछ की थी। वर्तमान में ईडी जांच कर रही है और गलत तरीके से मुआवजा लेेने वालों की संपत्ति जब्त करने की प्रक्रिया में जुटी है।

घोटाले में उछले थे सफेदपोशों के भी नाम

एसआइटी के एनएच-74 घोटाले की जांच में कुछ सफेदपोशों के नाम भी उछल रहे थे। कांग्रेस सरकार के खाते की भी जांच की गई है। इस पर तरह-तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। हालांकि जांच में अफसरों, कर्मचारियों, किसानों व दलालों के नाम उजागर हो चुके हैं, मगर अभी तक सफेदपोश में किसी का नाम सामने नहीं आया है।

ये हो चुके हैं गिरफ्तार

  • एनएच घोटाले में अफसरों सहित 30 से अधिक किसान गिरफ्तार व सरेंडर कर चुके हैं। इनमें पांच नवंबर 2017 को भगत सिंह फोनिया निलंबित पीसीएस, मदन मोहन पडलिया प्रभारी तहसीलदार, भोले लाल प्रभारी तहसीलदार, राम समुज अनुसेवक, अनिल कुमार संग्रह अमीन, ओम प्रकाश कृषक जसपुर, चरन सिंह कृषक जसपुर, जीशान बिचौलिया।
  • 21 नवंबर 2017-विकास कुमार राजस्व अहलमद
  • 23 नवंबर 2017-दिनेश प्रताप ङ्क्षसह पीसीएस अधिकारी, संजय चौहान राजस्व अहलमद।
  • 27 नवंबर 2017 को अर्पण कुमार, डाटा आपरेटर।
  • 14 जनवरी 2018-अनिल कुमार शुक्ला एसडीएम, मोहन ङ्क्षसह प्रभारी तहसीलदार।
  • 15 जनवरी 2018-संतराज राजस्व अहलमद।
  • 8 फरवरी 2018-नंदन सिंह नगन्याल एसडीएम, अमर सिंह सहायक चकबंदी अधिकारी, गणेश प्रसाद निरंजन सहायक चकबंदी अधिकारी।
  • 20 मार्च 2018-प्रिया शर्मा महिला बिल्डर्स, सुधीर चावला बिल्डर्स।
  • 8 जुलाई 2018-रघुवीर सिंह प्रभारी तहसीलदार।
  • 9 जुलाई 2018-तीरथ पाल सिंह निलंबित पीसीएस।

डीपी सिंह की संपत्ति अटैच

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने तत्कालीन एसएलओ व रुद्रप्रयाग के एसडीएम (उपजिलाधिकारी) डीपी सिंह की जो संपत्ति अटैच की है, उसमें राजपुर रोड पर एक बेहतरीन फ्लैट भी है। इसके अलावा उत्तर प्रदेश के रामपुर में चार अलग-अलग जगह खरीदे गए चार भूखंड को (2.25 हेक्टेयर) को प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग में अटैच किया गया। ईडी सूत्रों ने बताया कि जमीन अधिग्रहण में फर्जीवाड़ा कर भू-स्वामियों को जो अतिरिक्त मुआवजा बांटा गया, उससे राजस्व व अन्य अधिकारियों को मोटा कमीशन दिया गया।

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