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कालापानी को लेकर कभी नहीं रहा है भारत-नेपाल में विवाद, इतिहास में भी कोई प्रमाण नहीं

कालापानी पर अधिकार को लेकर नेपाल के प्रधानमंत्री के बयान से सीमांत जिले का बुद्धिजीवी तबका काफी आहत है।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Wed, 20 Nov 2019 10:04 AM (IST)Updated: Thu, 21 Nov 2019 11:13 AM (IST)
कालापानी को लेकर कभी नहीं रहा है भारत-नेपाल में विवाद, इतिहास में भी कोई प्रमाण नहीं
कालापानी को लेकर कभी नहीं रहा है भारत-नेपाल में विवाद, इतिहास में भी कोई प्रमाण नहीं

पिथौरागढ़, जेएनएन : कालापानी पर अधिकार को लेकर नेपाल के प्रधानमंत्री के बयान से सीमांत जिले का बुद्धिजीवी तबका काफी आहत है। उनका कहना है कि इस क्षेत्र को लेकर नेपाल से भारत के विवाद का कोई इतिहास नहीं है। यह सिर्फ सत्ता के लिए संघर्षरत माओवादियों द्वारा खड़ा किया गया अनायास का मुद्दा है, जिसे अब वहां के प्रधानमंत्री तूल देना चाहते हैं। उनका कहना है कि 1816 में ईस्ट इंडिया कंपनी और नेपाल के राजा के बीच हुई सुगौली संधि के बाद से कालापानी को लेकर कोई विवाद नहीं रहा है।

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अनावश्‍यक रूप से खड़ा किया जा रहा विवाद

इतिहासकार पदमादत्त पंत का कहना है कि भारत और नेपाल के संबंध सदियों पुराने हैं। मधुर संबंधों को लेकर दोनों देशों के इतिहासकारों ने कई किताबें लिखी हैं, लेकिन किसी भी इतिहास में इस मामले का कोई जिक्र नहीं हैं। भारत के सीमांत गांवों में रहने वाले लोग सदियों से कालापानी क्षेत्र से आवागमन करते रहे हैं। वर्तमान में इस मामले को उठाकर दोनों देशों के बीच अनावश्यक विवाद खड़ा किया जा रहा है। 

नेपाली कांग्रेस ने कभी कालापानी पर सवाल नहीं खड़ा किया

कालापानी के पास स्थित गुंजी गांव के रहने वाले 92 वर्षीय मंगल सिंह गुंज्याल कहते हैं कि वर्ष 1996 से पहले कालापानी को लेकर नेपाल की ओर से कभी कोई आवाज नहीं उठाई गई। सत्ता में रहते हुए नेपाली कांग्रेस ने भी कालापानी पर कभी सवाल खड़े नहीं किए। माओवादी समय-समय पर नेपाल की अंदरू नी राजनीति से प्रेरित होकर इसे हवा देते रहते हैं। ब्रिटिश काल में तैयार हुए भारतीय राजस्व रिकार्ड में कालापानी भारत का हिस्सा दर्शाया गया है। 1816 में सुगौली संधि हुई थी। यदि कालापानी पर अधिकार को लेकर नेपाल को कोई आपत्ति थी तो 180 वर्षों तक नेपाल की ओर से कभी इस मामले में सवाल क्यों नहीं खड़ा किया गया।

सबसे प्रमाणिक किताब में भी कोई जिक्र नहीं

पिथौरागढ़ के रहने वाले वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. पीतांबर अवस्थी कहते हैं कि 35 वर्गकिमी में फैला यह क्षेत्र गर्ब्‍यांग ग्राम सभा का हिस्सा है। इस सीमा क्षेत्र को लेकर लिखी गई बीएम कौल की किताब मैकमोहन लाइन सबसे प्रमाणिक किताब है। इस किताब में कहीं भी कालापानी को लेकर कोई जिक्र नहीं है।

ए‍क नजर में जानें कालापानी

  • पिथौरागढ़ जिला मुख्यालय से 182 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है कालापानी
  • पिथौरागढ़ जिले के गब्र्यांग ग्रामसभा का हिस्सा कालापानी क्षेत्र 35 वर्गकिमी में फैला हुआ है
  • 1962 में भारत-चीन युद्ध के बाद कालापानी में बनाई गई थी आइटीबीपी और एसएसबी की चौकी
  • कैलास मानसरोवर यात्रा का दूसरा अंतिम पड़ाव कालापानी ही है
  • इसके नौ किमी बाद भारतीय क्षेत्र का अंतिम पड़ाव नावीढांग आता है
  • नावी ढांग के नौ किमी आगे शुरू हो जाती है चीन की सीमा
  • कालापानी और धारचूला के बीच ढाई किमी सड़क का काम पूरा होते ही शुरू हो जाएगी वाहनों की आवाजाही

क्‍या कहा था नेपाल के पीएम ओली ने

भारत के नए नक्‍शे को लेकर नेपाल में जारी विरोध-प्रदर्शनों के बीच वहां के प्रधानमंत्री केपी ओली ने असहज करने वाली प्रतिक्रिया व्‍यक्‍त की है। उन्‍होंने कहा है कि भारत-नेपाल और तिब्‍बत के बीच स्थित कालापानी नेपाल का हिस्‍सा है और भारत को वहां से अपनी सेना तुरंत हटा लेनी चाहिए। भारत को हम एक इंच तक नहीं देंगे। दरअसल कालापानी क्षेत्र 1816 में अंग्रेजों और गोरखाओं की सन्धि में भारतीय क्षेत्र रहा है। कालापानी भारत और नेपाल की सीमा है। कालापानी होकर ही चीन सीमा लीपूलेख को मार्ग जाता है। कालापानी काली नदी का उदगम् क्षेत्र है। कहा जाता है कि कालापानी में बदरीनाथ से भूमिगतजल निकलता है, जिस स्थान पर जल निकलता है। उसके ऊपर काली का मंदिर है। इसी को काली गंगा और नेपाल में महाकाली कहा जाता है। यही भारत नेपाल सीमा है।

2009 में कम्युनिस्ट पार्टी ने दिया कालापानी विवाद को जन्म

वर्ष 2009 से नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी एमाले ने कालापानी विवाद को जन्म दिया। इस पार्टी के कार्यकर्ताओं ने कालापानी हाम्रो हो... यानि कालापानी हमारा है के नारे लगाने शुरू कर दिए। नेपाल में छांगरु गांव से आगे कालापानी के लिए कोई मार्ग नहीं है। छांगरु के ग्रामीणों ने इस मांग को उचित नहीं बताया। दूसरी तरफ नेपाल के वामपंथी भारत-नेपाल सीमा को कुटी नदी बताकर कालापानी से लेकर कुटी नदी तक के हिस्से को अपना बताने लगे। उनके द्वारा बताई गई सीमा में भारत के तीन गांव गुंजी नाबी और कुटी आते हैं। यह बातें वहां की कम्युनिस्ट पार्टी कहती थी, लेकिन उनके इन तर्कों पर नेपाल सरकार मौन रहती थी।

पड़ोसी देश का हाथ होने की भी चर्चा

इस बीच भारत सरकार द्वारा नया नक्शा जारी करने के बाद नेपाल में सुर बदले हैं। कालापानी विवाद को उठाया जा रहा है। कुटी यांगती को सीमा बता कर कालापानी लीपूलेख को अपना बताने का बेबुनियाद प्रयास किया जा रहा है। नेपाल के भारतीय सीमा से सटे क्षेत्र में आम चर्चा है कि कश्मीर से 370 अनुच्छेद हटाए जाने के बाद पड़ोसी देश कालापानी विवाद पैदा कर भारत को छेडऩे का प्रयास करा रहा है।

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