Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    भूस्खलन के बाद धारचूला में 54 परिवार शिफ्ट, हिलवेज कंपनी का मलबा हटाने से इनकार, सेना ने संभाला मोर्चा

    By Skand ShuklaEdited By:
    Updated: Sun, 31 Jul 2022 01:50 PM (IST)

    Landslide In Dharchula सीमांत जिले पिथौरागढ़ के धारचूला में हुए भारी भूस्खलन के बाद 54 परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट किया गया है। नगर में सेना ने मोर्चा संभाल रखा है। जबकि हिलवेज कंपनी ने खतरे को देखते हुए मलबा हटाने से इनकार कर दिया है।

    Hero Image
    धारचूला के एलधारा के पास हुए भारी भूस्खलन से नगर को बड़ा खतरा पैदा हो गया है।

    जेएनएन, धारचूला : Landslide In Dharchula : उत्तराखंड के सीमांत जिले पिथौरागढ़ के धारचूला में एलधारा के पास हुए भारी भूस्खलन और ट्रक के बराबर गिरे बोल्डर से हुए नुकसान के बाद धारचूला नगर में अफरा तफरी का माहौल है। बोल्डरों से छह मकान ध्वस्त हो चुके हैं, पंद्रह मकान खतरे की जद में हैं। एलधारा के पास हाईवे से मलबा हटाना संभव नहीं हो पा रहा है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    खतरे को देखते हुए धारचूला मल्ली बाजार के 54 परिवारों को सुरक्षित स्थान पर रखा गया है। कुछ प्रभावितों ने नगर में ही अपने नाते रिश्तदारों के घर शरण ली है। देश के चीन सीमा पर स्थित अंतिम नगर धारचूला के अस्तित्व पर प्रश्नचिन्ह लग गया है। जनता में शासन, प्रशासन, बीआरओ, हिलवेज कंपन, सिंचाई विभाग के खिलाफ जबरदस्त आक्रोश बना है। जनता ने प्रदर्शन कर पुतला दहन किया।

    एलधारा के पास स्थित नाजुक

    धारचूला के शीर्ष में स्थित एलधारा के पास स्थित बेहद नाजुक बनी है। टनकपुर-तवाघाट हाईवे पर लगभग दस मीटर से अधिक गड्ढा बन चुका है। अस्सी मीटर ऊपर से भूमि दरक रही है। जमीन के अंदर से पानी का स्रोत फूट चुका है। जिसके चलते यहां पर मलबा हटाना संभव नहीं है। यहां पर कार्य करने वाली हिलवेज कंपनी मलबा हटाने में हाथ खड़े कर चुकी है। मशीन लगाते ही ऊपर से पत्थर गिरने के बाद आपरेटर कार्य नहीं कर पा रहा है। इस स्थान पर मलबे में विशाल बोल्डर हैं मलबा हटाते ही नगर में फिर से बोल्डर गिरने का खतरा है।

    प्रशासन ने 54 परिवारों को किया शिफ्ट

    एलधारा की नाजुक स्थिति को देखते हुए प्रशासन के पास नगर के प्रभावित क्षेत्र में बसे परिवारों को मकानों से हटाने के अलावा अन्य कोई विकल्प नहीं रह गया है। संयुक्त मजिस्ट्रेट नंदन कुमार ने प्रभावित परिवारों के घरों पर जाकर उन्हें सुरक्षित स्थान पर जाने का अनुरोध किया। 54 परिवारों को अलग-अलग बने शिविरों में रखा गया है।

    एलधारा के पास सेना और एसएसबी के जवान तैनात

    एलधारा के पास बनी नाजुक स्थिति को देखते हुए दोनों तरफ सेना और एसएसबी के जवान तैनात कर दिए गए हैं ताकि कोई पैदल भी इस स्थान से नहीं गुजरे । यहां पर किसी भी पल कुछ भी हो सकता है।

    वर्मा परिवार के पास कुछ नहीं बचा

    शुक्रवार की रात को एलधारा से गिरे बोल्डर की चपेट में ध्वस्त मकान के मालिक ओपी वर्मा के परिवारजनों के पास शरीर में पहने कपड़ों के अलावा अन्य कुछ भी नहीं बचा है। परिवार ने अपने रिश्तेदार के मकान में शरण ली है। प्रभावित क्षेत्र में रहने वाले कुछ अन्य परिवारों ने भी नाते , रिश्तेदारों के यहां शरण ली है। अन्य परिवार प्रशासन द्वारा बनाए गए शिविरों में जा चुके हैं।

    बचाव के लिए फिर से सेना आगे आई

    आपदा के बाद से सेना की कुमाऊं स्काउट आगे आ चुकी है। स्काऊट के सीओ कर्नल अजयपाल सिंह सूचना मिलते ही शनिवार सुबह चार बजे नावीढांग से वाहन और पैदल चल कर धारचूला पहुंचे। उन्होंने प्रभावित क्षेत्र का निरीक्षण कर बचाव कार्य प्रारंभ किया।

    सेना के जवान शिफट होने वाले परिवारों का सामान निकाल कर शिविरों तक ले गए । घरों में बुजुर्ग , दिव्यांग और बीमार लोगों को पीठ पर लाद कर शिविरों तक पहुंचाया गया। कर्नल श्री सिंह ने कहा कि सेना हरसंभव मदद करेगी । उन्होंने संयुक्त मजिस्ट्रेट नंदन कुमार के साथ एलधारा से लेेकर मल्ली बाजार तक का संयुक्त निरीक्षण किया।

    सरकारी भवन बनाए गए हैं शिविर

    धारचूला में आपदा प्रभावितों के लिए केएमवीएन का पर्यटक आवास गृह, जीआइसी, जीजीआईसी , छात्रावास और विकास खंड सभागार शिविर बनाए गए हैं। आठ परिवारों को शनिवार की रात ही पर्यटक आवास गृह में पहुंचा दिया गया था। अन्य परिवारों को अलग -अलग शिविरों में रखा जा रहा है।

    संयुक्त मजिस्ट्रेट नंदन कुमार ने बताया कि शिविरों में सारी व्यवस्था प्रशासन द्वारा की जा रही है। राजस्व टीम शिविरों का संचालन कर रही है। वहीं निंगालपानी स्थित एनएचपीसी कालोनी को शिविर बनाने के लिए धौलीगंगा हाइड्रो प्रोजेक्ट के प्रशासन से वार्ता की जा रही है।

    एलधारा से लेकर मल्लीबाजार में प्रवेश प्रतिबंधित

    एलधारा के पास एक तरफ सेना दूसरी तरफ एसएसबी के जवान तैनात हैं। एलधारा से लेकर मल्लीबाजार में किसी को प्रवेश नहीं करने दिया जा रहा है। सेना के कुमाऊं स्काउट के सीओ कर्नल अजयपाल सिंह ने एसडीएम के साथ राहत शिविरों में जाकर निरीक्षण किया। सीओ ने कहा कि सेना प्रभावितों की हर सम्भव मदद के लिए तैयार है। उधर बादल फटने से हुए नुकसान का आंकलन करने राजस्व दल सोबला रवाना हो चुका है।

    यह भी पढ़ें

    Video में देखें, पिथौरागढ़ में पहाड़ी से गिरे ट्रक के बराबर पत्थर, कई मकान, पेड़ व बिजली के पोल ध्वस्त, सेना तैनात

    दरकती पहाड़ी, निरंतर भूस्खलन, ठप ड्रेनेज और वाहनों का बढ़ता दबाव, नैनीताल के भविष्य को भू-विज्ञानी चिंतित