हार्इ कोर्ट ने दिए मानव तस्करी पर शिकंजा कसने के आदेश
हार्इकोर्ट ने मानव तस्करी में सख्त रुख अपनाते हुए राज्य सरकार और केंद्रीय एजेंसियों को कड़े निर्देश जारी किए हैं।
नैनीताल [जेएनएन]: हार्इकोर्ट ने बनबसा शारदा बैराज क्षेत्र में मानव तस्करी से जुड़े एक मामले पर सुनवार्इ की। सुनवार्इ के बाद कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए राज्य सरकार को मानव तस्करी खासकर नाबालिग लड़कियों की तस्करी पर शिकंजा कसने के कड़े निर्देश दिए हैं।
दरअसल, मामला साल 2016 का नेपाल से लगे बनबसा क्षेत्र का है। पुलिस ने नेपाल के काठमांडु जिले के कोटेश्वर निवासी(17 वर्ष) निधि शर्मा (काल्पनिक नाम) को बेचने की नीयत से बहला फुसलाकर भारत ला रहे सरताज खान को रंगे हाथों पकड़ा था। वरिष्ठ न्यायाधीश राजीव शर्मा और न्यायमूर्ति आलोक सिंह की खंडपीठ ने सरताज को सजा सुनाते हुए मानव तस्करी पर रोक लगाने के लिए प्रदेश सरकार समेत केंद्रीय एजेंसियों को कड़े निर्देश जारी किए हैं।
हार्इ कोर्ट ने दिए ये निर्देश
-न्यायालय ने उत्तराखंड राज्य की सभी केंद्रीय और स्थानीय संस्थाओं को निर्देश दिए हैं कि वो नेपाल से आने वाले बच्चों खासकर बालिका और महिलाओं के उचित सत्यापन कर उनकी जानकारी नेपाल की संस्थाओं से भी लें।
-इसके साथ ही न्यायालय ने उत्तराखंड सरकार को नेपाल बॉर्डर से आ रहे बच्चों को सुरक्षा की सलाह देने के साथ ही उनके परिजनों के टेलीफोन नंबर और स्थायी पता लेने को भी कहा है।
-न्यायालय ने उत्तराखंड पुलिस को निर्देश दिए हैं कि वो मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट 2008, के तहत मानव तस्करों पर कार्रवार्इ करें और उस कार्रवार्इ में उनकी जमीन जायदाद को भी जोड़ा जाए।
-मानव तस्करी पर अंकुश लगाने के लिए न्यायालय ने केंद्रीय संस्थाओं को अंतर्राष्ट्रीय बॉर्डर पर चौकसी बढ़ाने के साथ ही गैर सरकारी संस्थाओं की मदद भी लेने को कहा है।
-इसके साथ ही न्यायालय ने डीएसपी और पुलिस क्षेत्राधिकारी रेंक के अधिकारियों के नेतृत्व में एक टीम बनाने को कहा है, जिसमे एक इंस्पेक्टर, दो सब इंस्पेक्टर समेत तीन एएसआइ और दस से 15 कॉनस्टेबल रहेंगे। साथ ही इस टीम में 50 प्रतिशत महिला अधिकारी भी शामिल की जाएं।
वहीं न्यायालय ने पब्लिक अभियोक्ता और पुलिस अधिकारियों को पर्याप्त प्रशिक्षण के साथ मानव तस्कर पीड़ितों को विधिक सहायता भी देने को कहा है। उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार से एसएसपी के निर्देशन में स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम बनाकर पूर्व में हुई जांच के आधार पर मामले में जांच कर चार हफ्ते में आरोपी के खिलाफ एफआइआर दर्ज करने को कहा है।
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