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    पुलिसकर्मियों के बीच में क्यों नहीं था कुख्यात विनय त्यागी, क्यों बरबाद हुए चार घंटे

    Updated: Sun, 28 Dec 2025 05:32 PM (IST)

    पुलिस वाहन पर कुख्यात विनय त्यागी पर हुई फायरिंग में उसकी मौत के बाद कई सवाल उठ रहे हैं। विनय को दाहिनी ओर गोली लगी, जिससे पुलिसकर्मियों की मौजूदगी पर ...और पढ़ें

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     कुख्यात विनय त्यागी पर हुई फायरिंग में मौत के बाद कई सवाल उठ रहे।

    जागरण संवाददाता, हरिद्वार : पुलिस के वाहन पर फायरिंग में विनय त्यागी को तीनों गोलियां दाहिनी तरफ लगी। इससे साफ है कि विनय के दाहिनी तरफ कोई पुलिसकर्मी मौजूद नहीं था। अन्यथा किसी न किसी पुलिसकर्मी को भी गोली जरूर लगती।

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    ऐसे में सवाल उठ रहा है कि पुलिसकर्मियों ने विनय को बीच में क्यों नहीं बैठाया। वहीं, यह भी सामने आया है कि हमले के बाद चार घंटे से ज्यादा का समय हरिद्वार में ही बरबाद हुआ। माना जा रहा है कि विनय को हायर सेंटर रेफर करने में लगा चार घंटे से ज्यादा का समय उसकी जान पर भारी पड़ा।

    इसको लेकर स्वजनों ने पहले ही दिन एम्स ऋषिकेश में हंगामा भी किया। यहां देखने वाली बात यह है कि पीएचसी और मेला अस्पताल में उपचार में कितना समय लगा और रास्ते में कितना समय खर्च हुआ।

    कुख्यात विनय त्यागी को लेकर सुबह 11 बजे के बाद रुड़की जेल से एक टीम लक्सर के लिए रवाना हुई। ठीक 12:30 बजे लक्सर में ओवर ब्रिज पर बाइक सवार दो बदमाशों ने पुलिस के वाहन को घेर लिया और अंधाधुंध फायरिंग कर दी।

    ड्राइवर अपने वाहन को सीधे पीएचसी लक्सर लेकर पहुंच गया। उपचार के बाद डाक्टरों ने उसे हायर सेंटर ले जाने की सलाह दी। पुलिस टीम उसे 02:50 मिनट पर हरिद्वार में उप जिला मेला अस्पताल की इमरजेंसी लेकर पहुंची। करीब एक घंटा 55 मिनट बाद यानि 04:45 मिनट पर यहां से विनय को एम्स ऋषिकेश रेफर किया गया।

    सवाल यह है कि विनय त्यागी को तीन गोलियां लगी हुई थी, हालत गंभीर थी, फिर हायर सेंटर रेफर करने में इतना समय क्यों लगा। जबकि प्राथमिक उपचार पीएचसी लक्सर में दिया जा चुका था। हरिद्वार से ऋषिकेश पहुंचने में भी लगभग 45 मिनट लगे। इसके बाद कहीं जाकर सही मायनों में उपचार शुरू हुआ।

    कुल मिलाकर विनय के शरीर में लगी गोलियां पांच घंटे के बाद निकाली गई। जानकार बताते हैं कि गोलियां निकालने में देरी के चलते खून का रिसाव होता रहा और घंटे दर घंटे विनय त्यागी की हालत बिगड़ती चली गई। देर रात हालत ज्यादा बिगड़ने पर उसे वेंटिलेटर पर रखना पड़ा। तीसरे दिन वेंटिलेटर से उसका शव ही बाहर आया।

    हमले के समय लगा जाम भी संदिग्ध

    हरिद्वार: कुख्यात पर हमले के दौरान लक्सर ओवर ब्रिज पर लगा जाम भी संदेह के दायरे में है। हालांकि, जाम आए दिन लगता है। मगर ऐसी चर्चाएं हैं कि बुधवार की दोपहर गन्ने की ट्रैक्टर ट्रालियों के आगे कुछ प्राइवेट गाड़ियां और खाली ट्रक भी थे। सवाल इसलिए भी उठ रहे हैं कि हाथ में असलहों के बावजूद पुलिसकर्मियों ने हरकत क्यों नहीं की। हालांकि, इसे गंभीर लापरवाही मानते हुए दारोगा सहित तीन पुलिसकर्मियों को सस्पेंड किया जा चुका है।

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