उत्तराखंड में महिला क्रिकेट को नहीं मिल रहा कोई ठौर
प्रदेश में महिला क्रिकेट को लेकर कोई गंभीर नजर नहीं आता। पिछले कई सालों से यहां महिला क्रिकेट प्रतियोगिता का आयोजन तक नहीं हुआ है।
देहरादून, [जेएनएन]: यूं तो सूबे की महिला क्रिकेटर अंतरराष्ट्रीय फलक पर चमक बिखेर रही हैं। लेकिन, प्रदेश में महिला क्रिकेट को लेकर कोई गंभीर नजर नहीं आता। पिछले कई सालों से यहां महिला क्रिकेट प्रतियोगिता का आयोजन तक नहीं हुआ है। स्थिति यह है कि महिला क्रिकेटरों के लिए नेट प्रैक्टिस के लिए जगह तक नहीं हैं। क्रिकेट में भविष्य संवारने के लिए महिला क्रिकेट पलायन को मजबूर हैं।
एकता बिष्ट, स्नेह राणा, निष्ठा फरासी आदि कुछ ऐसे नाम हैं जिन्होंने खुद के दम पर राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय महिला क्रिकेट में देश का मान बढ़ाया है। टीस यह है कि सूबे में महिला क्रिकेट को बढ़ावा देने कोई प्रयास होते नजर नहीं आते।
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महिला क्रिकेट की बात करें तो क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ उत्तराखंड ने 2008 में महिला क्रिकेट में रेलवे व उप्र के बीच रणजी के मुकाबले का आयोजन दून में कराया। 2015 में भी यूपीसीए के सहयोग से एसोसिएशन ने महिला बोर्ड ट्राफी के मुकाबले आयोजित कराए। 2009 में जरूर एसोसिएशन ने इंटर डिस्ट्रिक्ट महिला क्रिकेट प्रतियोगिता का आयोजन किया।
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इसके बाद से राज्य स्तर तो स्थानीय स्तर पर कोई बड़ा टूर्नामेंट आयोजित हुआ हो। पहले परेड ग्राउंड में महिला क्रिकेटर को प्रैक्टिस के लिए नेट्स उपलब्ध थे, लेकिन ग्राउंड के जीर्णोद्धार और संघों की उदासीनता के कारण यह भी बंद हो गए। लिटिल मास्टर क्रिकेट क्लब जरूर महिला क्रिकेट को तराशने में लगा है।
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महिला क्रिकेटर स्नेह राणा का कहना है कि अन्य राज्यों में एसोसिएशनों ने महिला क्रिकेट को बढ़ावा देने के लिए अलग से समिति गठित कर रखी है। यहां राज्य स्तर तो दूर स्थानीय स्तर भी कोई प्रतियोगिता आयोजित नहीं होती। ऐसे में पलायन न करें तो क्या करें।
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सीएयू के सचिव पीसी वर्मा के मुताबिक महिला क्रिकेट को बढ़ावा देने की सबसे पहली जरूरत है नेट्स की। हम प्रतिभाशाली क्रिकेटरों को उप्र खेलने भेजते हैं। अगर हमें नेट्स उपलब्ध हो जाते हैं तो महिला क्रिकेट को तराशने के लिए एसोसिएशन पूरे प्रयास करेगा। यह भी प्रयास हैं कि इस बार महिला क्रिकेट प्रतियोगिता का आयोजन किया जाए।
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