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ठाणा गांव के ग्रामीण पर्यावरण प्रहरी बनकर उभरे

देहरादून के ठाणा गांव के ग्रामीण पर्यावरण प्रहरी बनकर उभरे हैं। उन्होंने गांव के ऊपर बंजर हिस्सों में बांज के पौधों का रोपण कर दस हेक्टेयर क्षेत्र में हरा-भरा जंगल खड़ा कर दिया।

By Sunil NegiEdited By: Fri, 19 May 2017 06:00 AM (IST)
ठाणा गांव के ग्रामीण पर्यावरण प्रहरी बनकर उभरे
ठाणा गांव के ग्रामीण पर्यावरण प्रहरी बनकर उभरे

च‍कराता, [भीम सिंह चौहान]: एक ओर जहां जंगलों का अंधाधुंध कटान कर पर्यावरण को नुकसान पहुंचाया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर देहरादून जिले के जनजातीय बहुल जौनसार-बावर क्षेत्र के ठाणा गांव के ग्रामीण पर्यावरण प्रहरी बनकर उभरे हैं। उन्होंने बीते डेढ़ दशक में गांव के ऊपर बंजर हिस्सों में बांज के पौधों का रोपण कर दस हेक्टेयर क्षेत्र में हरा-भरा जंगल खड़ा कर दिया। इसके लिए उन्होंने मृदा एवं भूमि संरक्षण विभाग से पांच बार मिट्टी का परीक्षण भी कराया। वर्तमान में 80 फीसद से अधिक जंगल तैयार हो चुका है, जबकि शेष पौधे धीरे-धीरे पेड़ बनने की ओर अग्रसर हैं।

इस जंगल की सुरक्षा के लिए ग्रामीणों ने चारों ओर कंटीले तार लगा रखे हैं। साथ ही जंगल की सुरक्षा के लिए स्वयं के संसाधनों पर एक चौकीदार भी तैनात किया हुआ है। इसके अलावा जंगल को नुकसान पहुंचाने वाले व्यक्ति से पांच हजार रुपये अर्थदंड वसूलने की व्यवस्था भी गई है। केआर जोशी, श्रीचंद जोशी, सुंदर दत्त जोशी, हृदयराम जोशी, आनंद जोशी आदि ग्रामीण बताते हैं कि गांव में बांज का जंगल पनपने से भविष्य में पेयजल संकट से निजात मिलने के साथ ही क्षेत्र में जैव विविधता विकसित होने की उम्मीद भी जगी है।

वहीं, ग्रामीण अर्जुन दत्त जोशी का कहना है कि गांव में रहने वाले 52 परिवार पिछले पंद्रह वर्षों से इस पहाड़ी पर बांज के पौधे रोप रहे हैं। वर्तमान में 80 फीसद क्षेत्र में बांज की हरियाली लहलहा रही है।

वहीं, ग्रामीण अजवीर सिंह चौहान सिर्फ हरा-भरा जंगल तैयार करना ही हम ग्रामीणों का लक्ष्य नहीं है। इस जंगल का संरक्षण भी हम सब मिलकर पूरे मनोयोग से कर रहे हैं।

वहीं, ग्रामीण सालकराम जोशी हमने खुद ही श्रमदान कर बंजर जमीन को हरा-भरा करने की जो मुहिम छेड़ी थी, वह रंग लाने लगी है। हम चाहते हैं कि अन्य गांवों के लोग भी इससे प्रेरणा लें।

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