Uttarakhand Panchayat Chunav: कांग्रेस की निर्दलीयों पर नजर, BJP से मिल रही चुनौती; काट ढूंढने में जुटे दिग्गज
Uttarakhand Panchayat Chunav देहरादून समेत कई जिलों में जिला पंचायत बोर्ड के गठन के लिए कांग्रेस प्रयास कर रही है। निर्दलीयों को साधने के लिए पार्टी ने हाथ-पांव मारने शुरू कर दिए हैं। ग्रामीण मतदाताओं का समर्थन मिलने से कांग्रेस उत्साहित है। देहरादून और अल्मोड़ा में कांग्रेस ने भाजपा से अधिक सीटें जीती हैं। निर्दलीयों का समर्थन ही सरकार बनाने की कुंजी है।

राज्य ब्यूरो, देहरादून। Uttarakhand Panchayat Chunav: प्रदेश में देहरादून समेत कई जिलों में जिला पंचायतों में अपने बोर्ड के गठन के लिए कांग्रेस भी जोर-आजमाइश करेगी। निर्दलों को अपने पाले में खींचने के लिए पार्टी ने हाथ-पांव मारने शुरु कर दिए हैं।
जिला पंचायत सदस्यों को जिताने में दमखम दिखाने वाले दिग्गज नेताओं पर ही जिला पंचायतों में पार्टी का बोर्ड बनाने का दबाव बढ़ गया है।
यद्यपि, जिला पंचायतों में छोटी सरकार के गठन की राह मुख्य विपक्षी दल के लिए आसान नहीं है। पंचायत चुनाव में बड़ी बढ़त लेने वाले सत्तारूढ़ दल भाजपा ने भी निर्दलों को लुभाने के लिए दांव चला है।
प्रदेश में हरिद्वार को छोड़कर शेष 12 जिलों में हुए त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के परिणाम से कांग्रेस उत्साहित है। छह महीने पहले नगर निकाय चुनाव में शहरी मतदाताओं ने पार्टी को समर्थन देने में हिचक दिखाई थी। पंचायत चुनाव में ग्रामीण मतदाताओं ने लगभग हर जिले में कांग्रेस को समर्थन दिया।
देहरादून और अल्मोड़ा, दो जिलों में जिला पंचायत सदस्यों की सीट के मामले में कांग्रेस ने भाजपा को पीछे छोड़ा है। देहरादून में तो बढ़त लगभग दोगुना है। यहां जिला पंचायत की 12 सीट कांग्रेस के पास हैं, जबकि भाजपा के खाते में मात्र सात ही आईं।
इसी प्रकार अल्मोड़ा में कांग्रेस को 14 और भाजपा को 12 सीट पर विजय प्राप्त हुई हैं। ऊधम सिंह नगर जिले में दोनों दलों के बीच जिला पंचायत का दंगल बराबरी पर छूटा। ऊधम सिंह नगर की कुल 35 सीट में से कांग्रेस और भाजपा को 12-12 सीट मिली हैं।
टिहरी जिले की 45 सीट में से कांग्रेस को 12 और भाजपा को 13 सीट प्राप्त हुईं। प्राप्त जानकारी के अनुसार भाजपा के खाते में 114, कांग्रेस को 80 सीट मिली हैं। निर्दल 164 सीट के साथ सर्वाधिक हैं।
यद्यपि, निर्दलों के समर्थन और खुली सीट पर समर्थकों की जीत के आधार पर दोनों ही दल अपनी-अपनी जीत का आंकड़ा अधिक बता रहे हैं। जिलों में किस दल का जिला पंचायत बोर्ड बनेगा, यह दल को मिलने वाले निर्दलों के समर्थन पर निर्भर करेगा।
कांग्रेस की राह में यही सबसे बड़ी चुनौती है। पार्टी निर्दलों पर डोरे डाल रही है। उसे यह अंदेशा भी है कि निर्दलों का रुझान सत्तारूढ़ दल की ओर हो सकता है। इसकी काट के लिए पार्टी कांग्रेस के समर्थक या उसकी विचारधारा से जुड़े पंचायत प्रतिनिधियों को अपने पाले में रखने के लिए हरसंभव प्रयास कर रही है। पार्टी के दिग्गज नेता उन्हें दल की विचारधारा की दुहाई दे रहे हैं।
जिला पंचायत सदस्यों के चुनाव में पार्टी के जिन नेताओं ने दमखम दिखाया, अब उन्हीं के कंधों पर जिला पंचायत बोर्ड के गठन का भार बढ़ गया है। पिछली बार कांग्रेस ने दो जिलों में अपने बोर्ड बनाए थे। इस बार पार्टी अधिक जिलों में बोर्ड बनाने का प्रयास कर रही है।
पार्टी की इस रणनीति में गुटीय खींचतान का भी पेच है। दिग्गजों ने एकला चलो के स्थान पर एकजुटता का फार्मूला अपनाया तो जिला पंचायत बोर्ड के गठन का मुकाबला रोचक दौर में पहुंचना तय है। भाजपा निर्दलों को साधने में जिस प्रकार जुटी है, उससे जिन जिलों में कांग्रेस की स्थिति मजबूत है, वहां भी उसे चुनौती से जूझना पड़ सकता है।
‘कांग्रेस जिला पंचायतों में अपना बोर्ड बनाने के लिए पूरी ताकत से तैयारी कर रही है। पर्यवेक्षकों से विधायकों एवं वरिष्ठ नेताओं से वार्ता कर जिला पंचायत अध्यक्ष पदों के लिए पैनल तैयार करने को कहा गया है।’
-करन माहरा, अध्यक्ष उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी।
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