Uttarakhand Panchayat Chunav: उत्तराखंड में भाजपा का झंडा बुलंद, निर्दलों का भी बोलबाला
उत्तराखंड के 12 जिलों में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की मतगणना 30 घंटे बाद संपन्न हुई। भाजपा समर्थित उम्मीदवारों ने जिला पंचायत सदस्य पदों पर बढ़त बनाई लेकिन निर्दलीयों ने भी अच्छा प्रदर्शन किया। राज्य निर्वाचन आयोग ने चुनाव के बाद आचार संहिता समाप्त कर दी। चुनाव में 69.16% मतदान हुआ। भाजपा ने समर्थित उम्मीदवारों के साथ 216 पदों पर जीत का दावा किया है।

राज्य ब्यूरो, जागरण देहरादून। हरिद्वार को छोड़ राज्य के शेष 12 जिलों में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की 30 घंटे तक चली मैराथन मतगणना शुक्रवार को संपन्न हो गई। पंचायतों में भाजपा का झंडा बुलंद रहा तो निर्दलों का भी खूब बोलबाला रहा। जिला पंचायतों में सदस्य के 358 पदों की तस्वीर देखें तो भाजपा समर्थित 113, कांग्रेस समर्थित 80 व निर्दल 165 प्रत्याशी विजयी रहे।
यद्यपि, भाजपा का दावा है कि पार्टी समर्थित, समान विचारधारा और पार्टीजनों को मिलाकर जिला पंचायत सदस्य के 216 पदों पर उसने जीत दर्ज की है। उधर, मतगणना संपन्न होने के बाद राज्य निर्वाचन आयेाग ने शाम को ग्रामीण क्षेत्रों में पंचायत चुनाव की आचार संहिता खत्म होने की अधिसूचना जारी कर दी।
त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में जिला पंचायत सदस्य के 358, क्षेत्र पंचायत सदस्यों के 2974, ग्राम प्रधानों के 7499 और ग्राम पंचायत सदस्य के 55587 पदों के चुनाव के लिए प्रक्रिया दो जुलाई को नामांकन पत्र दाखिल करने के साथ प्रारंभ हुई थी।
नाम वापसी के बाद जिला पंचायत सदस्य के आठ, क्षेत्र पंचायत सदस्य के 240, ग्राम प्रधान के 1361 व ग्राम पंचायत सदस्य के 20280 प्रत्याशी निर्विरोध निर्वाचित घोषित किए गए थे। ग्राम पंचायत सदस्य के 33056, ग्राम प्रधान के 20 व क्षेत्र पंचायत सदस्य के दो पद नामांकन न होने अथवा रद होने के चलते रिक्त रह गए।
शेष पदों के लिए दो चरणों 24 जुलाई व 28 जुलाई को मतदान हुआ। इसमें 69.16 प्रतिशत मतदाताओं ने मताधिकार का प्रयोग किया। मतगणना गुरुवार सुबह आठ बजे 89 विकासखंड मुख्यालयों में शुरू हुई, जो शुक्रवार को दोपहर दो बजे तक चली।
यद्यपि, पंचायत चुनाव दलगत आधार पर नहीं होते, लेकिन जिला पंचायत सदस्य पदों पर भाजपा व कांग्रेस ने समर्थित प्रत्याशी घोषित किए थे। दलवार स्थिति देखें तो इसमें भाजपा ने अपना दबदबा कायम रखा है। कांग्रेस का प्रदर्शन भी कुछ सुधरा है, लेकिन असली धमक तो निर्दलीयों ने दिखाई। निर्दलीयों में अधिकांश भाजपा कार्यकर्ता व उसकी विचारधारा से जुड़े हैं।
इसे देखते हुए जिला पंचायतों में अपने बोर्ड बनने को लेकर भाजपा आश्वस्त दिखाई दे रही है। यही नहीं, क्षेत्र पंचायत सदस्य और ग्राम प्रधान पदों पर भी बड़ी संख्या में भाजपा व उसकी विचारधारा से जुड़े प्रत्याशी विजयी रहे हैं।
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