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    बाघ संरक्षण के लिए उत्तराखंड में बनेंगे दो और टाइगर रिजर्व

    By BhanuEdited By:
    Updated: Thu, 09 Mar 2017 03:30 AM (IST)

    बाघ संरक्षण में अग्रणी उत्तराखंड में जल्द ही दो नए टाइगर रिजर्व अस्तित्व में आ जाएंगे। बाघों की संख्या के लिहाज से कर्नाटक (403) के बाद उत्तराखंड (340) देश में दूसरे स्थान पर है।

    बाघ संरक्षण के लिए उत्तराखंड में बनेंगे दो और टाइगर रिजर्व

    देहरादून, [केदार दत्त]: बाघ संरक्षण में अग्रणी उत्तराखंड में जल्द ही दो नए टाइगर रिजर्व अस्तित्व में आ जाएंगे। नंधौर वाइल्डलाइफ सेंचुरी और तराई पूर्वी वन प्रभाग में सुरई रेंज को टाइगर रिजर्व में तब्दील करने को राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) ने सैद्धांतिक मंजूरी दे दी है।

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    नंधौर और सुरई के आकार लेने पर प्रदेश में टाइगर रिजर्व की संख्या बढ़कर चार हो जाएगी। इसके साथ ही 71 फीसद वन भूभाग वाला उत्तराखंड टाइगर रिजर्व के मामले में उत्तर भारत में सिरमौर हो जाएगा।  वर्तमान में उत्तर प्रदेश में तीन और राजस्थान में दो टाइगर रिजर्व हैं।

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    जैव विविधता के लिए मशहूर उत्तराखंड राष्ट्रीय पशु बाघ के संरक्षण में पूरी संजीदगी से जुटा है। प्रोजेक्ट टाइगर के लागू होने के बाद इन प्रयासों में और तेजी आई। इसी का नतीजा है कि बाघों की संख्या के लिहाज से कर्नाटक (403) के बाद उत्तराखंड (340) देश में दूसरे स्थान पर है। 

    बाघों के संरक्षण में यहां के विश्व प्रसिद्ध कार्बेट टाइगर रिजर्व की मुख्य भूमिका रही है। बाघों के घनत्व के मामले में कार्बेट टाइगर रिजर्व देश में अव्वल है। बाघ संरक्षण में मिली सफलता के बाद राज्य में राजाजी नेशनल पार्क और उससे सटे क्षेत्रों को मिलाकर राजाजी टाइगर रिजर्व भी बनाया गया। इसके अच्छे नतीजे भी सामने आए हैं।

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    इस सबके मद्देनजर स्टेट वाइल्डलाइफ बोर्ड की नवंबर 2016 में हुई बैठक में उत्तराखंड में दो और टाइगर रिजर्व बनाने का प्रस्ताव रखा गया। इसके तहत हल्द्वानी, तराई पूर्वी व चंपावत वन प्रभागों के कुछ हिस्सों को मिलाकर 2012 में बनाई गई नंधौर वाइल्डलाइफ सेंचुरी के अलावा उत्तर प्रदेश के पीलीभीत टाइगर रिजर्व के उत्तराखंड में स्थित बफर जोन सुरई रेंज (तराई पूर्वी वन प्रभाग) को टाइगर रिजर्व के रूप में तब्दील करने की बात कही गई। फिर यह प्रस्ताव एनटीसीए को भेज दिया गया।

    उत्तराखंड के प्रमुख मुख्य वन संरक्षक (वन्यजीव) डीवीएस खाती के अनुसार एनटीसीए ने नंधौर और सुरई को टाइगर रिजर्व बनाने को सैद्धांतिक सहमति दे दी है। उन्होंने बताया कि नंधौर वाइल्डलाइफ सेंचुरी के कोर और बफर जोन को टाइगर रिजर्व में रखा जाएगा, जबकि सुरई टाइगर रिजर्व में तराई पूर्वी वन प्रभाग की सुरई, खटीमा, किलपुरा रेंज के हिस्से शामिल होंगे। उन्होंने कहा कि इन टाइगर रिजर्व के अस्तित्व में आने पर बाघ संरक्षण की दिशा में और मदद मिलेगी।

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    ये है आगे की प्रक्रिया

    एनटीसीए से हरी झंडी मिलने के बाद अब इन दोनों प्रस्तावित टाइगर रिजर्व का मसला स्टेट वाइल्डलाइफ बोर्ड की बैठक में रखा जाएगा। इसके बाद विशेषज्ञ समिति इन रिजर्व के सीमांकन का परीक्षण करने के साथ ही जनता के सुझाव लेकर रिपोर्ट देगी और फिर सरकार इनकी अधिसूचना जारी करेगी।

    यह है खाका

    नंधौर:- इस प्रस्तावित टाइगर रिजर्व में 270 वर्ग किमी कोर और 578 वर्ग किमी क्षेत्र बफर जोन होगा। यह क्षेत्र वन्यजीवों के लिहाज से कार्बेट व राजाजी टाइगर रिजर्व की भांति समृद्ध है।

    सुरई:- तराई पूर्वी वन प्रभाग की सुरई रेंज उप्र के पीलीभीत टाइगर रिजर्व का बफर जोन है। इसे देखते हुए उत्तराखंड ने सुरई के साथ ही इससे सटी अन्य रेंजों के 237 वर्ग किमी को मिलाकर नया टाइगर रिजर्व प्रस्तावित किया है।

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