उत्तराखंड के बटरफ्लाई पार्क में 'टाइगर' और 'लेपर्ड' रहेंगे साथ-साथ
देहरादून में 'प्लेन टाइगर', 'ग्लॉसी टाइगर', 'स्ट्राइप्ड टाइगर', 'ब्ल्यू टाइगर' और 'कॉमन लेपर्ड' न सिर्फ साथ-साथ रहेंगे, बल्कि सैलानियों के आकर्षण का केंद्र भी बनेंगे।
देहरादून, [केदार दत्त]: 'प्लेन टाइगर', 'ग्लॉसी टाइगर', 'स्ट्राइप्ड टाइगर', 'ब्ल्यू टाइगर' और 'कॉमन लेपर्ड'। उत्तराखंड की राजधानी दून के लच्छीवाला में ये न सिर्फ साथ-साथ रहेंगे, बल्कि सैलानियों के आकर्षण का केंद्र भी बनेंगे। चौंकिये नहीं, ये बाघ और तेंदुआ नहीं, बल्कि तितलियों की प्रजातियां हैं, जो लच्छीवाला में बने सूबे के पहले बटरफ्लाई पार्क की शान हैं। न सिर्फ टाइगर और लेपर्ड बल्कि यहां 150 प्रजातियों की रंग-बिरंगी तितलियों का मोहक संसार बसता है।
जैव विविधता के लिए मशहूर 71 फीसद वन भूभाग वाले उत्तराखंड में तितली विविधता भी बेजोड़ है। देशभर में मिलने वाली तितलियों की 1300 प्रजातियों में से 500 से अधिक उत्तराखंड में पाई जाती हैं।
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जाहिर है, सूबे में आने वाले सैलानियों को तितलियों का मोहक संसार भी आकर्षित करता है। इसे देखते हुए ही देहरादून वन प्रभाग में देहरादून-हरिद्वार राजमार्ग पर पर्यटक स्थल लच्छीवाला में स्थापित किया गया है शिवालिक बटरफ्लाई पार्क।
नैसर्गिक सौंदर्य से परिपूर्ण लच्छीवाला में हर्बल गार्डन से सटे पांच हेक्टेयर वन क्षेत्र में फैले बटरफ्लाई पार्क में तितलियां लाई नहीं गई हैं, बल्कि यहां उनका प्राकृतिक वास है। इसी वासस्थल को और विकसित किया गया है।
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थोड़ी जहरीली हैं टाइगर व लेपर्ड
तितली विशेषज्ञ और मुख्य वन संरक्षक (वन्यजीव) डॉ. धनंजय मोहन बताते हैं तितलियों की टाइगर और लेपर्ड प्रजातियां थोड़ी जहरीली होती हैं। इसीलिए इनके होस्ट प्लांट भी थोड़े जहरीले होते हैं। कुदरत ने इन्हें यह स्वभाव अपने बचाव के लिए दिया है, लेकिन मनुष्य को इससे कोई खतरा नहीं होता।
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होस्ट प्लांट पर अंडे देती हैं तितलियां
डॉ. धनंजय के मुताबिक तितलियां अंडे देने को खास प्रजाति के पेड़ चुनती हैं। इन पेड़ों को होस्ट प्लांट कहा जाता है। हर प्रजाति का अलग होस्ट प्लांट होता है। इसके अलावा जिन पेड़ों के फूलों का रस भोजन के रूप में सेवन करती हैं, उन्हें नेक्टर प्लांट कहते हैं। इसे देखते हुए लच्छीवाला बटरफ्लाई पार्क में भी बड़े पैमाने पर होस्ट व नेक्टर प्लांट लगाए गए हैं।
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ये वक्त होता है मुफीद
तितलियों का दीदार करने के लिए वसंत और गर्मियों का सीजन बेहतर माना जाता है। हालांकि, अक्टूबर का समय भी ठीक रहता है। विशेषज्ञों के मुताबिक दिन में तितलियों को देखने के लिए सुबह 10 से दोपहर 12 बजे तक का वक्त मुफीद होता है, क्योंकि वातावरण में गर्माहट होने पर इनकी सक्रियता बढ़ती है।
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