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    उत्तराखंड में नए जमाने की राजनीति के प्रयाेग की अग्नि परीक्षा! क्‍या धामी मॉडल पर भाजपा नापेगी पहाड़ से लेकर मैदान?

    Updated: Thu, 11 Dec 2025 02:18 PM (IST)

    उत्तराखंड में नए जमाने की राजनीति का परीक्षण हो रहा है। धामी मॉडल के माध्यम से भाजपा पहाड़ से लेकर मैदान तक अपनी रणनीति का आकलन कर रही है। यह देखना मह ...और पढ़ें

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    -मिशन 2027 के लिए पहाड़ से लेकर मैदान तक दौड़ लगा रहे मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी. FIle

    रविंद्र बड़थ्वाल, देहरादून। युवा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के बहाने उत्तराखंड में नए जमाने की राजनीति के भाजपा के प्रयाेग की अब अग्नि परीक्षा है। वर्ष 2027 के विधानसभा चुनाव में प्रो इनकंबेंसी के बूते भाजपा की लगातार तीसरी बार सत्ता में वापसी बड़ी चुनौती है। इस भारी-भरकम दायित्व को बखूबी समझते हुए ही धामी पहाड़ से लेकर मैदान तक लगातार दौड़ लगा रहे हैं तो राजधानी से दूर जिलों में रात्रि विश्राम कर जन संपर्क और संवाद की डोर से आमजन को भरोसा भी बंधा रहे हैं।

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    विकेंद्रीकृत गवर्नेंस के बूते समाज की नई अपेक्षाओं को धार देने का भाजपा हाईकमान का धामी माडल अब प्रदेश संगठन के लिए भी मूल मंत्र बनने जा रहा है। मिशन मोड में संगठन इस माडल के साथ कदमताल की तैयारी में है। मंत्री, विधायक हों, या नगर निकायों एवं पंचायतों के जनप्रतिनिधि अथवा भाजपा संगठन के पदाधिकारी मुख्यमंत्री धामी की भांति अपने-अपने क्षेत्रों का दौरा कर रात्रि प्रवास करेंगे।

    उत्तराखंड में भाजपा ने पहले वर्ष 2021 और फिर प्रचंड बहुमत से लगातार दूसरी बार सरकार बनने के बाद पुष्कर सिंह धामी को मुख्यमंत्री की बागडोर सौंपकर भरोसा जताया, तो उसके बाद सामने आए परिणामों ने पार्टी के निर्णय को सही साबित किया। धामी के अब तक के चार वर्ष के कार्यकाल पर नजर डालने पर यह स्पष्ट हो जाता है कि प्रारंभिक तीन वर्ष में उन्होंने पार्टी के कोर एजेंडे के रूप में समान नागरिक संहिता, मतांतरण को हतोत्साहित करने के लिए कड़ा कानून, दंगाइयों व बलवाइयों पर अंकुश लगाने के लिए एक्ट को प्राथमिकता दी। साथ में सरकारी भूमि पर धार्मिक प्रतीक चिह्नों की आड़ में अतिक्रमण के विरुद्ध धामी सरकार का डंडा चला।

    ग्राउंड जीरो पर उतारेगा भाजपा संगठन

    सरकार और संगठन के साथ तीसरा महत्वपूर्ण मोर्चा जनता के साथ रिश्तों को मजबूत करने का रहा, जिसे लेकर धामी यूं तो अपने पूरे कार्यकाल में ही संवेदनशील रहे हैं, लेकिन आपदा के मौके पर यह और निखरकर सामने आया। सिलक्यारा सुरंग हादसे में धामी कई दिनों तक ग्राउंड जीरो पर रहकर राहत व बचाव अभियान में जुटे। इस वर्ष मानसून ने कहर बरपाया तो उत्तरकाशी के धराली, चमोली के थराली से लेकर बागेश्वर, पिथौरागढ़, पौड़ी और देहरादून में मुख्यमंत्री धामी माटी पुत्र की तरह आपदा प्रभावितों के बीच खड़े रहे। वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव में सभी पांच सीटों पर जीत और फिर नगर निकाय और त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में भाजपा के पक्ष में बड़े जनमत ने सरकार पर जनता के भरोसे और मजबूत रणनीतिक मोर्चाबंदी की कहानी बयां की।

    अगला विधानसभा चुनाव मुख्यमंत्री धामी के सामने सबसे बड़ी चुनौती है। इसे भांपकर ही धामी रुकने को तैयार नहीं हैं। लगातार जिलों में कैंप करने का उनका क्रम जारी है। पिथौरागढ़ हो या बागेश्वर या चमोली का उच्च व मध्य हिमालयी क्षेत्र हो या मैदानी और तराई क्षेत्र जनता से संपर्क और संवाद का अवसर मुख्यमंत्री हाथ से जाने नहीं दे रहे हैं। जिलों में रात्रि विश्राम, आमजन और पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ मुख्यमंत्री की बैठकों ने नौकरशाही से लेकर मंत्रियों और प्रदेश संगठन पर लक्ष्य आधारित काम का दबाव बढ़ा दिया है।

    प्रदेश संगठन भी धामी माडल पर कदमताल को जनता से जुड़ने का बेहतर माध्यम मान रहा है। संगठन की ओर से पदाधिकारियों, विधायकों, जन प्रतिनिधियों, दायित्वधारियों को जिलों में दूरस्थ क्षेत्रों में जन संपर्क करने को कहा गया है। भाजपा प्रदेश महामंत्री दीप्ति रावत भारद्वाज का कहना है कि मुख्यमंत्री धामी लगातार जिलों में दौरा कर, वहां रात्रि विश्राम कर जनता के बीच पहुंच रहे हैं। प्रदेश संगठन भी इसी भांति जनता से सीधे जुड़ने के लिए विधायकों, जनप्रतिनिधियों से लेकर पदाधिकारियों को दायित्व सौंपने जा रहा है।

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