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    कार्बेट-राजाजी से लगे क्षेत्रों में सरकार कराएगी सर्वे

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    Updated: Mon, 24 Sep 2018 12:08 PM (IST)

    अदालत के सख्त रुख के बाद सरकार ने कार्बेट और राजाजी टाइगर रिजर्व की सीमा से लगे दो किमी की परिधि के क्षेत्र में सर्वे कराने का निश्चय किया है।

    कार्बेट-राजाजी से लगे क्षेत्रों में सरकार कराएगी सर्वे

    देहरादून, [राज्य ब्यूरो]: विश्व प्रसिद्ध कार्बेट और राजाजी टाइगर रिजर्व की सीमा से लगे गांवों व क्षेत्रों में आई होटल, रिजॉर्ट जैसे व्यावसायिक प्रतिष्ठानों की बाढ़ को लेकर अब जाकर राज्य सरकार की नींद टूटी है। अदालत के सख्त रुख के बाद सरकार ने दोनों टाइगर रिजर्व की सीमा से लगे दो किमी की परिधि के क्षेत्र में सर्वे कराने का निश्चय किया है, जिसके तहत व्यावसायिक प्रतिष्ठानों की पड़ताल की जाएगी।

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    वन मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत के अनुसार सभी पहलुओं पर मंथन के बाद इस सिलसिले में निर्णय लिया जाएगा। कार्बेट टाइगर रिजर्व हो अथवा राजाजी, दोनों की ही सीमाओं से लगे क्षेत्रों में होटल, रिजॉर्ट जैसे व्यवसायिक प्रतिष्ठान बड़े पैमाने पर खुले हैं। कार्बेट के इर्द-गिर्द ही इनकी संख्या 150 से 200 के बीच है। इसी प्रकार राजाजी टाइगर रिजर्व के आसपास भी सूरतेहाल ऐसा ही है। 

    यह स्थिति तब है, जबकि टाइगर रिजर्व परिक्षेत्र की बाहरी सीमा के आसन्न दो किलोमीटर की परिधि में भूमि क्रय और भू उपयोग परिवर्तन प्रतिबंधित है। परिणामस्वरूप सिस्टम की कार्यशैली भी सवालों के घेरे में है, जिसने टाइगर रिजर्व के नियम कायदों की तरफ गंभीरता से देखने की जहमत नहीं उठाई। अब पानी सिर से ऊपर बहने लगा है। हाल में अदालत ने भी इस स्थिति पर चिंता जताते हुए सरकार को दिशा-निर्देश जारी किए थे।

    अब सरकार ने भी होटल, रिजॉर्ट की बाढ़ पर अंकुश लगाने के मद्देनजर इस संबंध में कवायद प्रारंभ की है। वन एवं पर्यावरण मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत के अनुसार दोनों टाइगर रिजर्व की सीमा से लगी दो किमी की परिधि का सर्वे कराया जाएगा। इसके तहत वहां व्यवसायिक प्रतिष्ठानों की पड़ताल के अलावा अतिक्रमण आदि के मामले भी देखे जाएंगे। सभी पहलुओं पर अधिकारियों व विशेषज्ञों से मंथन के बाद आगे की रणनीति तय की जाएगी।रसूखदारों ने खरीदी हैं जमीनें 

    कार्बेट और राजाजी टाइगर रिजर्व की सीमा से लगे गांवों व क्षेत्रों में रसूखदारों ने जमीनें खरीदी हुई हैं। कुछ ने फार्म हाउस बनाए हुए हैं तो कुछ ने रिजॉर्ट। इसके अलावा कई लोगों ने भूमि लेकर छोड़ी हुई है। इनकी ऊपरी पहुंच के चलते रिजर्व प्रशासन इस संबंध में पड़ताल करने से कतराता रहा है।

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