राष्ट्रीय पार्कों के विकास के लिए ये योजना तैयार, जानिए
अब उत्तराखंड में स्थित राष्ट्रीय पार्कों से होने वाली आय को उन्हीं के विकास पर खर्च किया जाएगा। इसके लिए कॉर्बेट फाउंडेशन की तर्ज पर एक फाउंडेशन का गठन किया जाएगा।
देहरादून, [केदार दत्त]: करीब 16 फीसद संरक्षित क्षेत्र वाले उत्तराखंड में अब राष्ट्रीय पार्कों और अभयारण्यों में संरक्षण संबंधी कार्यों के लिए धन की कमी बाधा नहीं बनेगी। वन्यजीव पर्यटन के जरिये होने वाली आय का संपूर्ण हिस्सा वहीं खर्च किया जाएगा। इस सिलसिले में कॉर्बेट फाउंडेशन की तर्ज पर सभी छह राष्ट्रीय पार्कों व सात अभयारण्यों में फाउंडेशन का गठन किया जाएगा। इन सभी पर नियंत्रण के लिए राज्य स्तर पर वन मंत्री की अध्यक्षता में वाइल्ड लाइफ कंजर्वेशन फाउंडेशन अस्तित्व में आएगा, जिसके लिए कवायद प्रारंभ कर दी गई है।
प्रदेश में स्थित राष्ट्रीय पार्कों व अभयारण्यों में वन्यजीव पर्यटन से आय तो ठीकठाक हो रही, लेकिन इस राशि का उपयोग वहां संरक्षण संबंधी कार्यों में खर्च नहीं हो पा रहा। स्थिति ये है कि अभी तक केवल कार्बेट टाइगर रिजर्व में ही फाउंडेशन गठित है, लेकिन वह भी केवल 20 फीसद राशि ही खर्च कर पाता है। ऐसे में पार्कों व अभयारण्यों में किए जाने वाले कार्यों के लिए केंद्र व प्रदेश सरकारों के साथ ही दूसरी एजेंसियों का मुंह ताकना पड़ता है। इस सबको देखते हुए लंबे समय से सभी पार्कों में फाउंडेशन गठित करने और पर्यटन से होने वाली संपूर्ण आय वहीं खर्च करने की मांग उठती रही है।
इस पर अब राज्य सरकार गंभीर हुई है और इसके लिए कवायद प्रारंभ कर दी गई है। मसौदे के मुताबिक सभी राष्ट्रीय पार्कों और अभयारण्यों में फाउंडेशन गठित किए जाएंगे, जो वहां से होने वाली आय के सापेक्ष संरक्षण संबंधी कार्यों की योजनाएं बनाएंगे। ये सभी फाउंडेशन राज्य स्तर पर गठित होने वाले फाउंडेशन से अनुमोदन लेने के बाद कार्य करा सकेंगे। इस पहल के परवान चढ़ने पर राज्य के पार्कों व अभयारण्यों को बजट के लिए भटकना नहीं पड़ेगा।
प्रदेश में संरक्षित क्षेत्र राष्ट्रीय पार्क कार्बेट, राजाजी, नंदादेवी, फूलों की घाटी, गंगोत्री व गोविंद। अभयारण्य विनोग (मसूरी), केदारनाथ, गोविंद, अस्कोट, सोनानदी, बिनसर व नंधौर कंजर्वेशन रिजर्व आसन वेटलैंड, झिलमिल झील, पवलगढ़ व नैना देवी हिमालयी बर्ड कंजर्वेशन।
11 करोड़ से ज्यादा की कमाई राज्य के राष्ट्रीय पार्कों व अभयारण्यों में प्रतिवर्ष करीब चार लाख सैलानी आते हैं। इनके जरिये पार्कों-अभयारण्यों को प्रतिवर्ष साढ़े ग्यारह करोड़ से अधिक का राजस्व मिलता है।
वन एवं पर्यावरण मंत्री हरक सिंह रावत ने बताया कि राज्य में उत्तराखंड वाइल्ड लाइफ कंजर्वेशन फाउंडेशन गठित करने की दिशा में प्रयास शुरू कर दिए गए हैं। यह एक प्रकार से सभी पार्कों-अभयारण्यों के फाउंडेशन की एपेक्स बॉडी होगी। फाउंडेशन बनने के बाद पार्क-अभयारण्य अपनी आय को शत-प्रतिशत वहीं खर्च कर सकेंगे। इसके अलावा अन्य स्रोतों से भी संरक्षण संबंधी कार्यों के लिए राज्य स्तरीय फाउंडेशन धन जुटाएगा।
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