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अब तक नहीं मिल पाई छात्रवृत्ति, दर-दर भटक रहे छात्र

देहरादून जिले में दशमोत्तर छात्रवृत्ति का वितरण शत प्रतिशत नहीं हो पाया है। जिले में 200 से ज्यादा छात्र ऐसे हैं जिन्हें एक या दो वर्ष की छात्रवृत्ति मिल ही नहीं पाई।

By Edited By: Published: Thu, 18 Apr 2019 03:01 AM (IST)Updated: Thu, 18 Apr 2019 02:56 PM (IST)
अब तक नहीं मिल पाई छात्रवृत्ति, दर-दर भटक रहे छात्र
अब तक नहीं मिल पाई छात्रवृत्ति, दर-दर भटक रहे छात्र
देहरादून, जेएनएन। देहरादून जिले में अभी तक साल 2015-16, 2016-17 की दशमोत्तर छात्रवृत्ति का वितरण शत प्रतिशत नहीं हो पाया है। जिले में 200 से ज्यादा छात्र ऐसे हैं जिन्हें एक या दो साल की छात्रवृत्ति मिल ही नहीं पाई। 
दरअसल, वर्ष 2018 में छात्रवृत्ति योजना को केंद्र सरकार के पोर्टल से जोड़ा गया। विभाग का तर्क है कि राज्य सरकार के पुराने पोर्टल का संचालन नहीं हो पा रहा था, जिस वजह से यह समस्या उत्पन्न हुई। आलम ये है कि विभागीय कार्यालय के चक्कर लगा-लगाकर छात्र तंग आ गए हैं और अब छात्रवृत्ति छोड़ने का मन बनाने लगे हैं। आइएचएम गढ़ी कैंट के छात्र मनीष ने बताया कि उन्हें वर्ष 2015-16 की छात्रवृत्ति का भुगतान नहीं हुआ है। सुभाष, अंकित कुमार ने कहा कि उन्हें भी वर्ष 2016-17 की छात्रवृत्ति नहीं मिली है। छात्रों ने कहा कि वे पिछले दो साल से विभागीय कार्यालय के चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन कोई समाधान नहीं हुआ। विभागीय कर्मचारी गोलमोल जवाब देते हैं, लेकिन वास्तविक बात कोई बताने को तैयार नहीं है। कहा कि अब उन्होंने छात्रवृत्ति नहीं लेने की सोची है, क्योंकि बार-बार कार्यालय आकर वे थक चुके हैं। 
विभाग का कहना है कि वर्ष 2018 से छात्रवृत्ति केंद्र सरकार के स्कॉलरशिप पोर्टल से जोड़ी गई, इससे पहले छात्रवृत्ति राज्य सरकार के पोर्टल से संचालित होती थी। वर्ष 2015-16 व 2016-17 में कुछ छात्रों को तकनीकी कारणों से छात्रवृत्ति का भुगतान नहीं हो पाया था। जिला समाज कल्याण अधिकारी जीत सिंह रावत ने कहा कि यदि राज्य सरकार का पोर्टल खोला जाता है तो रुकी हुई छात्रवृत्तियों का अविलंब भुगतान कर दिया जाएगा। खुद चुकाई फीस, नहीं मिली मदद मनीष व अन्य छात्रों ने बताया कि उनका तीन वर्ष का कोर्स था। उन्हें दो वर्ष की छात्रवृत्ति तो समय पर मिल गई, लेकिन वर्ष 2015-16 की छात्रवृत्ति नहीं दी गई। दो साल तक उन्होंने छात्रवृत्ति का इंतजार किया, बाद में मजबूरन उन्हें अपनी जेब से फीस चुकानी पड़ी। बताया कि उन्हें फोन व ई-मेल पर छात्रवृत्ति जारी होने का मैसेज भी आया था, लेकिन छात्रवृत्ति नहीं मिली।

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