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Loksabha Election 2019: उत्तराखंड में कमल और हाथ में सीधी टक्कर

विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र के सत्रहवें महासमर का आगाज आज होने जा रहा है। इस चुनाव में उत्तराखंड में भाजपा और कांग्रेस के बीच सीधी टक्कर मानी जा रही है।

By BhanuEdited By: Published: Wed, 10 Apr 2019 06:15 PM (IST)Updated: Thu, 11 Apr 2019 07:23 AM (IST)
Loksabha Election 2019: उत्तराखंड में कमल और हाथ में सीधी टक्कर
Loksabha Election 2019: उत्तराखंड में कमल और हाथ में सीधी टक्कर

देहरादून, राज्य ब्यूरो।  विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र के सत्रहवें महासमर का आगाज आज होने जा रहा है। पहले चरण में उत्तराखंड की सभी पांचों सीटों पर एक साथ मतदान होगा। इस चुनाव में भाजपा अपनी केंद्र व प्रदेश सरकार की उपलब्धियों और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे के भरोसे मैदान में उतरी है तो कांग्रेस की एक मात्र उम्मीद एंटी इनकंबेंसी फैक्टर ही कही जा सकती है। अब कौन किस पर भारी पड़ेगा, यह तो आगामी 23 मई को नतीजों के बाद ही साफ होगा। इतना जरूर है कि सियासी पार्टियों ने प्रतिद्वंद्वियों को पटखनी देने के लिए हर पैंतरा चल दिया है।

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आमने-सामने का मुकाबला

पांचों सीटों टिहरी, पौड़ी गढ़वाल, अल्मोड़ा, नैनीताल व हरिद्वार में मुख्य मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच ही दिख रहा है, हालांकि दो मैदानी सीटों नैनीताल और ऊधमसिंह नगर में बसपा इसमें शामिल होने की पूरी मशक्कत कर रही है। वैसे पांच सीटों पर कुल 52 प्रत्याशी मैदान में उतरे हैं। 

एक केंद्रीय मंत्री, दो पूर्व मुख्यमंत्री, भाजपा व कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष, एक राज्यसभा सदस्य, भाजपा के राष्ट्रीय सचिव, कुल तीन मौजूदा लोकसभा सदस्य, ये सब दिग्गज इस बार भाजपा और कांग्रेस के वे सूरमा हैं जो मैदान में एक-दूसरे से लोहा ले रहे हैं। 

साख और वजूद का सवाल

केंद्र और राज्य में सत्तारूढ़ भाजपा के लिए यह चुनाव साख का सवाल भी है। पिछले पांच साल में उत्तराखंड में भाजपा का पूर्ण वर्चस्व रहा है। वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में पांचों सीटें व वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में 70 में से 57 सीटें भाजपा की झोली में गईं। लाजिमी तौर पर भाजपा के सामने इसी प्रदर्शन को दोहराने का गहरा दबाव है। 

उधर, इसके ठीक विपरीत कांग्रेस इन दोनों चुनावों में लगे झटके से उबरना चाहती है। पार्टी के लिए यह इसलिए भी जरूरी है कि इससे उसका सियासी वजूद भी जुड़ा हुआ है। अगर कांग्रेस आशानुरूप प्रदर्शन नहीं करती तो फिर आगे उसके लिए बहुत मुश्किलें पेश आएंगी।

लड़ाई तो मोदी बनाम कांग्रेस ही

भाजपा चाहे कुछ भी कहे, इस बार भी पार्टी की सबसे बड़ी उम्मीद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ही हैं। पिछले लोकसभा व विधानसभा चुनाव उत्तराखंड में भाजपा ने मोदी मैजिक के बूते ही जीते। इस बार प्रधानमंत्री मोदी ने उत्तराखंड में दो ही जनसभाएं की, लेकिन इनमें वे कांग्रेस को कठघरे में खड़ा करने से कतई नहीं चूके। 

उधर, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने चार अलग-अलग लोकसभा सीटों पर चार जनसभाएं की और उन्होंने भ्रष्टाचार से लेकर किसानों के मसले पर केंद्र सरकार पर ही हमला बोला।

राष्ट्रवाद और न्याय पर टिकी उम्मीद

उत्तराखंड सैन्य बहुल प्रदेश है लिहाजा भाजपा इस चुनाव में राष्ट्रवाद के नाम पर ही जनादेश मांग रही है। सर्जिकल स्ट्राइक, एयर स्ट्राइक और कांग्रेस घोषणापत्र में अफस्पा व देशद्रोह कानून में संशोधन को लेकर भाजपा पूरी ताकत से कांग्रेस पर हमलावर है। उधर, कांग्रेस राफेल खरीद और भ्रष्टाचार, किसान ऋण माफी के अलावा गरीब तबके के लोगों को हर साल 72 हजार की धनराशि देने के अपने चुनावी वादे से जनमत को आकर्षित करने की कोशिश में है।

स्टार प्रचारकों में भाजपा भारी

ठीक एक महीने चले प्रचार अभियान में उत्तराखंड में तमाम बड़े नेता बतौर स्टार प्रचारक पहुंचे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह, केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह, पीयूष गोयल, निर्मला सीतारमण, दिल्ली भाजपा अध्यक्ष मनोज तिवारी, प्रवक्ता शहनवाज हुसैन आदि ने जनसभाओं समेत अन्य कार्यक्रमों में शिरकत की। कांग्रेस इस मोर्चे पर कुछ पिछड़ी दिखी। राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी की चार जनसभाओं के अलावा केवल राजस्थान के उप मुख्यमंत्री सचिव पायलट ही प्रचार के लिए उत्तराखंड पहुंचे। 

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