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    सवालों के भंवर में भाई-बहन की मौत की कहानी

    By Sunil NegiEdited By:
    Updated: Fri, 23 Dec 2016 12:51 PM (IST)

    पुलिस ने देहरादून में भाई-बहन की मौत से पर्दा हटा लेने का दावा जरूर किया है, लेकिन कई सवाल अब भी अनुत्तरित हैं। पुलिस इसे हत्या और आत्महत्या बता रही है।

    देहरादून, [जेएनएन]: पुलिस ने मध्य प्रदेश के सतना जिले के मझगांव निवासी भाई-बहन की मौत से पर्दा हटा लेने का दावा जरूर किया है, लेकिन कई सवाल अब भी अनुत्तरित हैं। पुलिस इसे हत्या और आत्महत्या बता रही है, लेकिन वजह अभी तक साफ नहीं हो पाई। वीरवार को पुलिस बच्चों के पिता को भी मीडिया के सामने लाई, पर सारे सवालों के जवाब फिर भी नहीं मिले।

    बुधवार शाम राजपुर रोड इलाके में होटल अजंता के एक कमरे में महेंद्र गौतम के बीस वर्षीय बेटे आलोक और दस वर्षीय बहन अनामिका की लाश मिलने के बाद से ही पुलिस गुत्थी को सुलझाने में लगी हुई थी। वीरवार को एसएसपी स्वीटी अग्रवाल ने बताया कि महेंद्र का परिवार 28 नवंबर से राजपुर रोड स्थित होटल मधुबन में ठहरा हुआ था। मंगलवार देर रात आलोक ने सोते हुए पिता को जगाकर उन पर धारदार हथियार से वार किया। बुधवार सुबह नौ बजे आलोक, अनामिका के साथ यह कहकर निकला कि पेमेंट की व्यवस्था करने जा रहा है।

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    एसएसपी ने दावा किया कि अजंता होटल में सुबह 11 बजे से शाम साढ़े छह बजे तक की सीसीटीवी फुटेज देखने पर सामने आया कि इस दौरान कोई अन्य न तो उनके कमरे में गया और न ही वहां से बाहर निकला। इससे यही निष्कर्ष निकल रहा है कि आलोक ने पहले बहन का कत्ल किया और फिर खुद आत्महत्या कर ली। एसएसपी के अनुसार मध्य प्रदेश और उप्र पुलिस ने से इस परिवार के बारे में जानकारी हासिल की गई, लेकिन कोई संदिग्ध बात सामने नहीं आई।

    मैं परेशान हूं, क्या बोलूं

    पुलिस ने बच्चों के पिता महेंद्र को मीडिया के सामने किया तो वह बोले, बेटे ने ऐसा क्यों हुआ, उन्हें नहीं पता। बताया कि आलोक मां के ज्यादा करीब था। 28 अगस्त को मां की मौत होने के बाद से वह अवसाद में था। महेंद्र का यह भी कहना था कि वह आलोक पर काफी विश्वास करते थे। उसने एयरफोर्स में नौकरी लगने की बात बताई तो उन्होंने इसे सही मान लिया। उल्लेखनीय है कि महेंद्र ने पुलिस को अपने बयानों में यह कहा था कि इलाहाबाद में बीएससी कर रहे आलोक के एयर फोर्स में चयन और 28 दिसंबर को नौकरी ज्वाइन करने से पहले मसूरी घूमने के आग्रह पर वह दून आए थे।


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    डेबिट कार्ड से पेमेंट
    आलोक ने 28 नवंबर से 21 दिसंबर के बीच मधुबन होटल के बिल में से करीब सवा लाख रुपये का भुगतान किया। उसने कुछ धनराशि डेबिट कार्ड और कुछ नकद जमा कराई।

    चचेरे भाई से मांगे थे पैसे
    बुधवार सुबह आलोक ने हैदराबाद अपने चचेरे भाई रोहित को फोन कर उससे डेढ़ लाख रुपये मांगे थे। रोहित ने तभी चाचा महेंद्र को फोन कर यह जानकारी दे दी थी।

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    वेटर भी लाए गए सामने
    पुलिस अजंता होटल के उन दो वेटरों को भी सामने लाई, जिन्होंने सबसे पहले कमरे के अंदर का दृश्य देखा था। बताया कि हत्या शाम साढ़े चार बजे से पहले ही हो गई थी। जिस कमरे में भाई-बहन ठहरे हुए थे, उसके पास के कमरों में बाथरूम की सफाई का काम चल रहा था। गफलत में शाम साढ़े चार बजे वेटर कमल भट्ट ने मास्टर-की से आलोक का कमरा खोला तो खून पड़ा देख बाहर आ गया। कमल ने यह बात छुपाए रखी और डेढ़ घंटे के बाद रूम अटेंडेंट अमित को बताया। शाम साढ़े छह बजे अमित ने पुलिस को सूचना दी गई। पुलिस का दावा है कि कमल ने बस कमरे में कदम रखा था और उसी के साथ बाहर आ गया, ऐसा फुटेज में दिख रहा है।


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    पिता को झूठा एसएमएस भी किया
    पुलिस के अनुसार आलोक ने पिता के फोन में अपना नंबर डीएम-0बीएमएस नाम से सेव किया हुआ था। आलोक ने अपने नंबर से बैंक खाते में रकम आने का झूठा मैसेज टाइप कर पिता को एसएमएस भी किया।


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    सुगलते सवाल
    - आखिर आलोक किससे नाराज था, पिता से या फिर बहन से
    - अनामिका को मारना ही था तो दूसरा होटल क्यों चुना गया
    - दूसरे होटल में पिता के बगैर ठहरने पर अनामिका ने विरोध क्यों नहीं किया
    - आलोक अवसादग्रस्त था तो महेंद्र ने उसकी सारी बातों पर यकीन कैसे कर लिया
    - नाबालिग लड़की को युवक के साथ बिना बैग या अटैची देख होटल में कमरा कैसे मिल गया
    - जब ज्यादा रकम पास नहीं थी तो महंगे होटल ही क्यों चुने गए
    -24 दिन यहां ठहरने के बाद भी परिवार कहीं बाहर घूमने क्यों नहीं गया
    -वेटर कमल ने जब शाम साढ़े चार बजे खून देखा तो घटना छुपाई क्यों

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