तो अपराधियों के लिए उपजाऊ हो रही उत्तराखंड की जमीं, पढ़िए पूरी खबर
अपराधों में बढ़ोत्तरी के मामले में उत्तराखंड देश में सबसे आगे खड़ा है। उत्तर प्रदेश बिहार दिल्ली व हरियाणा जैसे राज्य भी हमसे कहीं पीछे हैं और वहां अपराध पर नियंत्रण दिख रहा है।
देहरादून, सुमन सेमवाल। उत्तराखंड की शांत वादियों में अपराधों की यह गूंज न सिर्फ अप्रत्याशित है, बल्कि व्यवस्था के लिए भी बड़ी चुनौती बनती दिख रही है। बेहद हैरानी की बात है कि अपराधों में बढ़ोत्तरी के मामले में उत्तराखंड देश में सबसे आगे खड़ा है। यहां तक कि उत्तर प्रदेश, बिहार, दिल्ली व हरियाणा जैसे राज्य भी हमसे कहीं पीछे हैं और वहां अपराध पर नियंत्रण दिख रहा है। उत्तराखंड में बढ़ते अपराधों के यह आंकड़े नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो (एनसीआरबी) की ओर से जारी किए गए। एनसीआरबी के आंकड़े वर्ष 2017 में सामने आए संज्ञेय अपराधों के हैं।
एनसीआरबी की रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2015 में उत्तराखंड में संज्ञेय (कॉग्निजेबल) अपराध के 15 हजार 44 मामले सामने आए थे। जो 2016 में महज 6.84 फीसद की दर से बढ़कर 16 हजार 74 हो गए। ऐसे में उम्मीद की जा रही थी कि वर्ष 2017 में भी अपराधों के आंकड़े इसी के अनुरूप रहेंगे। मगर, जब एनसीआरबी ने रिपोर्ट जारी की तो इसमें रिकॉर्ड 79.55 फीसद का उछाल दर्ज किया गया।
केंद्र शासित प्रदेश के लक्षद्वीप जैसे छोटे से प्रदेश के 2016 में 50 व वर्ष 2017 में 114 (बढ़ोत्तरी 128 फीसद) को छोड़ दें तो उत्तराखंड पहले स्थान पर है।
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वैसे भी कम आंकड़ों के हिसाब से लक्षद्वीप की बढ़ोत्तरी को नगण्य माना जा सकता है। यहां तक कि समान परिस्थितियों वाले हिमाचल प्रदेश में अपराधों में सिर्फ 3.17 फीसद का इजाफा पाया गया। उत्तराखंड के आंकड़े इसलिए भी चौंकाने वाले हैं, क्योंकि राष्ट्रीय औसत में भी संज्ञेय अपराधों में महज 3.63 फीसद का इजाफा हुआ है। राष्ट्रीय औसत इसलिए भी बेहतर नजर आ रहा है, क्योंकि देश के सात राज्यों में अपराध बढऩे की जगह घटे हैं। इसमें गुजरात व जम्मू एंड कश्मीर जैसे प्रदेशों का अहम योगदान रहा।
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