पांच हजार से ज्यादा शिक्षा प्रेरकों को हरीश सरकार का तोहफा
उत्तराखंड में पांच हजार से ज्यादा शिक्षा प्रेरकों को तोहफा देते हुए हरीश सरकार ने मानदेय बढ़ाने का निर्णय ले लिया। हालांकि इससे सरकार का सालाना खर्च 6 करोड़ से ज्यादा बढ़ जाएगा।

देहरादून, [राज्य ब्यूरो]: उत्तराखंड के पांच हजार से ज्यादा शिक्षा प्रेरकों को आखिरकार सरकार ने तोहफा थमा दिया। उनके मानदेय में एक हजार रुपये का इजाफा किया गया है। प्रेरकों को अब प्रति माह दो हजार के बजाए तीन हजार रुपये मानदेय मिलेगा।
शिक्षा प्रेरकों को मानदेय बढ़ोतरी के लिए लंबा इंतजार करना पड़ा। राज्य मंत्रिमंडल ने शिक्षा प्रेरकों के मानदेय में एक हजार रुपये की वृद्धि का फैसला लिया था। हालांकि, इस फैसले को अमल में लाने में तकरीबन दो माह का वक्त लग गया। इससे पहले दरअसल, शिक्षा प्रेरकों का मानदेय बढ़ाने की कसरत पर वित्त ने खराब माली हालत का हवाला देते हुए हाथ खड़े कर दिए थे। 15 वर्ष से 60 वर्ष तक निरक्षरों को साक्षर करने में अहम भूमिका निभा रहे 5500 प्रेरकों की पहुंच ग्राम पंचायतों तक है।
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वर्तमान में इन्हें केंद्र सरकार की ओर से 2000 रुपये मानदेय दिया जा रहा है। इनके मानदेय में एक हजार रुपये की वृद्धि के संबंध में मुख्यमंत्री हरीश रावत ने बीते 15 अगस्त को घोषणा की थी।
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मानदेय बढ़ने से सरकारी खजाने पर सालाना करीब छह करोड़ से ज्यादा खर्च बढ़ जाएगा। गौरतलब है कि शिक्षा प्रेरकों के कार्यक्षेत्र में विस्तार करने के प्रयास भी किए जा रहे हैं। उन्हें बीएलओ का कार्य भी सौंपने की पैरवी की जा रही है। इसके पीछे तर्क ये भी है कि प्रेरकों को बीएलओ बनाने से शिक्षा महकमे को बड़ी मदद मिलेगी। अभी बीएलओ के कार्य का जिम्मा शिक्षकों को संभालना पड़ता है। शिक्षा प्रेरकों का मानदेय बढ़ने पर शिक्षा प्रेरक संगठन के अध्यक्ष राजेश राणा ने खुशी जाहिर की है।

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