सीएम रावत बोले, उत्तराखंड में जल्द स्थापित होगी साइंस सिटी
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि जल्द उत्तराखंड में साइंस सिटी बनाई जाएगी। उन्होनें कहा कि पानी की कमी को दूर करने में विज्ञानियों का चितंन जरूरी है।
देहरादून, जेएनएन। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि जल्द उत्तराखंड में साइंस सिटी स्थापित की जाएगी। इसके लिए वैज्ञानिकों से सुझाव मांगे जाएंगे, ताकि विज्ञान के क्षेत्र में भी उत्तराखंड की देश में अलग पहचान बन सके। मुख्यमंत्री ने ग्लोबल वार्मिंग के खतरों से आगाह करते हुए कहा कि इससे ग्लेशियरों के पिघलने की रफ्तार में इजाफा हुआ है। भविष्य की जल जरुरतों को देखते हुए जल संरक्षण को लेकर वैज्ञानिकों को चिंतन करना होगा।
विज्ञान धाम झाझरा में आयोजित 13वीं उत्तराखंड राज्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी कांग्रेस सम्मेलन का मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने उद्घाटन किया। उन्होंने कहा कि वर्षा जल हमारी भविष्य की जरूरतों को पूरा करने में कैसे मददगार हो, इस पर वैज्ञानिकों को चिंतन करना होगा। मुख्मयंत्री ने प्रदेश में वाटर कॉरपस बनाए जाने पर भी बल दिया, ताकि जल संकट से निजात दिलाई जा सके।
सीएम ने कहा कि वैज्ञानिक जहां भी एकत्र होते हैं, वहां उसका लाभ अवश्य मिलता है। सम्मेलन में जुटे वैज्ञानिक नई इबारत लिखेंगे और इसके परिणाम देखने को मिलेंगे। उन्होंने कहा कि हमारे सामने नदियों के प्रवाह को सतत बनाए रखने की चुनौती है। इसको वर्षा जल संग्रहण से दूर किया जा सकता है। इस दौरान राज्यभर से जुटे 500 से भी अधिक प्रसिद्ध वैज्ञानिकों, शिक्षाविदों, अनुसंधान विद्वानों को कार्यक्रम की बधाई दी गई।
इस मौके पर यूकॉस्ट के महानिदेशक डॉ. राजेंद्र डोभाल ने कार्यक्रम के बारे में जानकारी दी। इस मौके पर विधायक सहदेव सिंह पुंडीर,जीबी पंत कृषि तकनीक विवि के कुलपति प्रो. तेजप्रताप, एम्स के निदेशक डॉ. संजीव मिश्रा, निदेशक, डॉ. आरएस रावल, डॉ. कलाचंद सेन आदि मौजूद रहे।
बांधों पर संशय दूर करें वैज्ञानिक
मुख्यमंत्री रावत ने कहा कि लोगों में भ्रम है कि बांध से पानी के सोर्स पर प्रभाव पड़ रहा है। वैज्ञानिकों का काम भ्रम दूर करना है। ऐसे में वैज्ञानिक लोगों का भ्रम दूर कर सही स्थिति से अवगत कराने को कहा, ताकि लोगों के बीच बांधों के निर्माण से होने वाले नुकसान के बारे में सही जानकारी मिल सके।
इनको मिला सम्मान
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने पूर्व वैज्ञानिक डॉ. दलीप कुमार उप्रेती, प्रो. प्रीति गंगोला जोशी को जीवन विज्ञान, चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में 'साइस एंड टेक्नोलॉजी एक्सेलेंस अवार्ड' से सम्मानित किया। इसके अलावा डॉ. ममता को 'उत्कृष्ट विज्ञान शिक्षक पुरस्कार' दिया गया। इस दौरान शोध संकलन पुस्तक बायो टेक्नोलॉजी पॉलिसी-2018-23 का विमोचन किया गया।
यह भी पढ़ें: ड्रोन अब केवल एक फ्लाइंग मशीन नहीं, होता है बहुआयामी इस्तेमाल
यह भी पढ़ें: हिमालयी पर्यावरण संरक्षण के लिए बेहद जरूरी है ईको क्लब
यह भी पढ़ें: एम्स ऋषिकेश में शुरू हुई टीओटी स्लिंग सर्जरी, जानिए इसके बारे में