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    हिमालयी पर्यावरण संरक्षण के लिए बेहद जरूरी है ईको क्लब

    By Raksha PanthariEdited By:
    Updated: Tue, 26 Feb 2019 07:36 AM (IST)

    पर्यावरण संरक्षण पर मंथन करते हुए उत्तराखंड के पर्यावरण को रोजगार से जोड़ने की बात कही गर्इ। साथ ही कहा गया कि पर्यावरण संरक्षण सभी की सामूहिक जिम्मेदारी है।

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    हिमालयी पर्यावरण संरक्षण के लिए बेहद जरूरी है ईको क्लब

    देहरादून, जेएनएन। द्वितीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी सम्मेलन के अंतिम दिन अध्यापक सम्मेलन में वक्ताओं ने पर्यावरण संरक्षण पर मंथन करते हुए कहा कि उत्तराखंड के पर्यावरण को रोजगार से जोड़ना होगा। पर्यावरण संरक्षण सभी की सामूहिक जिम्मेदारी है। 

    उत्तराखंड विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान केंद्र (यूसर्क) की ओर से श्री गुरु रामराय विवि और विज्ञान भारती उत्तराखंड के सहयोग से आयोजित सम्मेलन में रविवार को 'स्मार्ट इको क्लब एक प्रबल पर्यावरणीय संभावना' विषय पर चर्चा की गई। सम्मेलन में उत्तराखंड के 13 जनपदों के 65 राजकीय स्कूलों के अध्यापक शामिल थे। यूसर्क के निदेशक प्रो. दुर्गेश पंत ने शिक्षकों को संबोधित करते हुए कहा कि संस्थान डिजिटल वोलेंटियर, मेंटरशिप प्रोग्राम, ज्ञान कोष पोर्टल जैसे कार्यक्रम से छात्रों को उपयोगी जानकारी दे रहा है। उन्होंने स्मार्ट इको क्लब के गठन की परिकल्पना का ब्योरा देते हुए कहा कि हमारी कोशिश होगी कि विज्ञान की समस्त उपलब्ध तकनीकी और प्रौद्योगिकी को पर्यावरण से जोड़ें व अपने छात्रों और घर गांवों की मदद से बिगड़ते पर्यावरण को बचाएं। 

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    सम्मेलन के मुख्य अतिथि वन विभाग के सेवानिवृत्त मुख्य वन संरक्षक डॉ. आरबीएस रावत ने कहा कि यूसर्क के साथ शिक्षा, विज्ञान एवं अनुसंधान जुड़ा है, इसलिए यूसर्क की जिम्मेदारी ज्यादा है। कहा कि उत्तराखंड के लोग अपनी भूमि के सम्मान व गरिमा को फिर से जिंदा करने के लिए प्रयास करें, जिसकी आज जरूरत है। उन्होंने बताया कि भारत में इको क्लब की अवधारणा चमोली जनपद के फूलों की घाटी के नजदीक घांघरिया गांव से मिली। आज एक लाख इको क्लब पूरे देश में हैं। 

    यह समाज अपने गुरुओं का आभारी है। आप तय करें कि धरती मां ने हमें जो कुछ दिया हम उसे पूरे ब्याज सहित वापस करने का प्रयास करें। शिक्षाविद व कृषि वैज्ञानिक प्रो. एसएस रावत ने कहा कि समाज की मुख्य समस्या पर्यावरण संरक्षण है। इस पर्यावरणीय प्रयास के दूरगामी परिणाम सामने आएंगे। आज पलायन की समस्या को रोका जा सकता है यदि हम पर्यावरण को रोजगार से जोड़कर किसी टिकाऊ मांडल को खोज सकें। 

    श्री गुरु रामराय विवि के कुलपति प्रो. पीपी ध्यानी ने कहा कि बच्चों के मुंह से सुना जाना चाहिए कि पर्यावरण क्या है, क्योंकि प्राकृतिक आपदा में बढ़ोत्तरी हो रही है। प्रदूषण बढ़ रहा है। जब आप बच्चों को अपनी कार्ययोजना में शामिल करेंगे तभी यह ईको क्लब सही मायने में ईको क्लब साबित होंगे। आइआइटी मुंबई के प्रोफेसर रमन वर्मा व उनकी टीम ने प्रौद्योगिकी आधारित नवाचारों के बारे में जानकारी दी। यूसर्क के इको क्लब प्रभारी डॉ. राजेंद्र राणा ने अध्यापकों से सहयोग की अपील की। 

    पर्यावरण की उपयोगता के समझें 

    विज्ञान भारती के अध्यक्ष डॉ. महेश भट्ट ने बताया कि पर्यावरण और स्वास्थ्य को जोड़ते हुए हमें आगे बढ़ना होगा, क्योंकि पर्यावरण बहुत महत्वपूर्ण है। पर्यावरण मानव के शारीरिक, मानसिक, मनोवैज्ञानिक स्वास्थ्य को प्रभावित करता है। यह एक दूरगामी प्रयास है क्योंकि पर्यावरण सीधे-सीधे सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक समस्याओं से जुड़ा है। देश में ब्रह्मोस व अग्नि जैसे रक्षा परियोजनाओं पर काम करने वाले भारतीय नेवी के वाइस एडमिरल ओपी राणा ने कहा कि आज जरूरत सिर्फ ईको क्लब बनाने की नहीं है बल्कि इस तरह के कार्यक्रम को सही प्लानिंग कर धरातल पर उतारकर ईमानदारी से क्रियान्वयन करने की भी है। 

    हिमगिरी विवि प्रदर्शनी में अव्वल 

    सम्मेलन में बच्चों द्वारा लगाई गई खेती व किसान प्रदर्शनी में हिमगिरी विवि, डीबीएस पीजी कॉलेज व एमकेपी कॉलेज के छात्रों को क्रमश: प्रथम, द्वितीय व तृतीय पुरस्कार प्राप्त किया। साथ ही तीन अध्यापक जमुना प्रसाद, लक्ष्मण सिंह, चंदन सिंह नेगी को विशिष्ट पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

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