अब नगर निगम में बायोमेट्रिक हाजिरी पर ही मिलेगा वेतन, लेट-लतीफी पड़ेगी भारी
अब नगर निगम में बायोमेट्रिक हाजिरी के आधार पर ही वेतन दिया जाएगा। इसके आदेश पारित कर दिए गए हैं।
देहरादून, जेएनएन। नगर निगम में अधिकारियों और कर्मचारियों की लेटलतीफी दूर करने के लिए बॉयोमेट्रिक मशीनों पर हाजिरी अनिवार्य कर दी गई है। निगम में 2014 में लगाई गई तीनों बॉयोमेट्रिक मशीने शोपीस बनी हुई थीं, लेकिन अब नगर आयुक्त विजय कुमार जोगदंडे ने मशीन की हाजिरी के आधार पर ही वेतन बनाने के आदेश दिए हैं। इसे लेकर मंगलवार को आयुक्त और निगम अधिकारियों के समक्ष वेतन के लिए सॉफ्टवेयर बनाने वाली कंपनी ने अपना प्रस्तुतीकरण भी दिया। आयुक्त ने एक माह में सॉफ्टवेयर तैयार कर हाजिरी मशीन से जोड़ने के आदेश दिए हैं।
साल 2014 में अक्टूबर के महीने एक लाख रुपये खर्च कर ये मशीनें तीन अनुभागों में लगाई गई थीं। कर्मचारियों का वेतन भी इनमें दर्ज हाजिरी के जरिये ही बनना था, लेकिन इसे निगम प्रशासन की लापरवाही ही कहेंगे कि ये अब तक संभव नहीं हो पाया था। निगम में प्रशासनिक, जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र आदि बनाने, हाउस टैक्स जमा करने और अन्य कार्यों की शुरुआत का वक्त सुबह दस बजे से है, लेकिन यहां ऐसा नहीं होता।
कारण साफ है कि, कर्मचारी एक से दो घंटे की देरी से पहुंचते हैं। लोग इंतजार करते रहते हैं, लेकिन इसकी चिंता किसे है। इसलिए 2014 में तत्कालीन मुख्य नगर अधिकारी हरक सिंह रावत ने बायोमेट्रिक मशीन पर हाजिरी लगाने के आदेश दिए थे। साथ ही यह भी आदेश दिया गया कि जो कर्मचारी देर से आएगा, उसका वेतन उसी हिसाब से काटा जाएगा। निगम में तीन अनुभागों प्रशासनिक अनुभाग, स्वास्थ्य अनुभाग व भवन कर अनुभाग में बायोमेट्रिक मशीनें लगाई गईं। लेकिन, निगम प्रशासन मशीनें लगाकर शांत बैठ गया। अब नगर आयुक्त ने मशीनों पर दोबारा हाजिरी की शुरूआत की है।
नहीं कटा किसी का वेतन
निगम के प्रशासनिक विभाग का रिकॉर्ड साफ बता रहा है कि पिछले चार साल में एक बार भी कर्मियों का वेतन बायोमेट्रिक मशीन के आधार पर नहीं बना। कर्मचारी रजिस्टर में जो हाजिरी भरते हैं उसी आधार पर वेतन बन रहा है। मतलब साफ था कि, चाहे वह देर से आएं या जल्दी चले जाएं, वेतन पूरा मिलेगा।
अधिकारियों के लिए क्यों नहीं
बायोमेट्रिक मशीन के संबंध में कुछ कर्मचारियों ने कहा कि यह सिस्टम सिर्फ कर्मचारियों के लिए क्यों? अधिकारियों को शामिल क्यों नहीं किया गया। कर्मचारियों का तर्क है कि अधिकारी खुद तो मनमर्जी से आते-जाते हैं और नया सिस्टम केवल कर्मचारियों पर थोपते हैं। अब आयुक्त ने सभी अधिकारियों व कर्मचारियों के लिए यह हाजिरी अनिवार्य कर दी है।
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