बच्चों को नहीं उठाना होगा बोझ, डेढ़ किलो से अधिक नहीं होगा क्लास वन का बस्ता
कक्षा एक व दो के बच्चे के कंधों पर डेढ़ किलो से अधिक भारी बस्ता नहीं लादा जा सकता। इसी तरह हाईस्कूल के स्टूडेंट के स्कूल बैग का वजन पांच किलो से ज्याद ...और पढ़ें

हल्द्वानी, जेएनएन : कक्षा एक व दो के बच्चे के कंधों पर डेढ़ किलो से अधिक भारी बस्ता नहीं लादा जा सकता। इसी तरह हाईस्कूल के स्टूडेंट के स्कूल बैग का वजन पांच किलो से ज्यादा नहीं होगा। मानव संसाधन विकास मंत्रालय (एमएचआरडी) ने सर्कुलर जारी करते हुए स्कूल बैग के वजन व पाठ्यक्रम को लेकर स्पष्ट निर्देश जारी किए हैं। एमएचआरडी की ओर से 5 अक्टूबर को सर्कुलर जारी होने के बाद लक्ष्यद्वीप समेत कई राज्यों ने स्कूलों से निर्देशों का पालन कराने के निर्देश दिए हैं। उत्तराखंड में राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) का पाठ्यक्रम बेशक लागू है लेकिन बस्ते का वजन कम करने की दिशा में ठोस पहल नहीं हुई है।
एमएचआरडी ने ये दिए निर्देश
- - क्लास एक व दो के बच्चों को होम वर्क नहीं दिया जाएगा।
- - कक्षा एक व दो में भाषा, गणित, क्लास तीन से पांच में भाषा, गणित व पर्यावरण विज्ञान विषय होंगे।
- - स्कूल संचालक अन्य विषय नहीं लगा सकेंगे। पाठ्यक्रम एनसीइआरटी के अनुरूप होगा।
- - स्टूडेंट्स पर अतिरिक्त बुक, पाठ्य सामग्री लाने का दबाव नहीं बनाएंगे, ताकि बस्ते का वजन न बढ़े।

ये तय हुआ है स्कूल बैग का अधिकतम वजन
| कक्षा | वजन |
| 1 व 2 | 1.5 किलो |
| 3 से 5 तक | 1.5 किलो |
| 6 व 7 | 4 किलो |
| 8 व 9 | 4.5 किलो |
| 10 | 5 किलो |
एडी बोले, विस्तृत गाइडलाइन का इंतजार
मंत्रालय के सर्कुलर के अनुरूप सिलेबस तैयार कराने की जिम्मेदारी राज्य शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एससीइआरटी) की होती है। सिलेबस के अनुरूप करिकुलम बनता है व उसके आधार पर किताबें लगती हैं। अपर निदेशक शिक्षा केके गुप्ता का कहना है कि उत्तराखंड में एनसीईआरटी का पाठ्यक्रम लागू है। यह पूछने पर कि बस्ते का बोझ किताबों से ही नहीं, बल्कि एडिशनल बुक से भी बढ़ता है। इसके जवाब में एडी ने कहा कि इसके लिए विस्तृत गाइडलाइन का इंतजार करना पड़ेगा। नए सत्र से इस पर काम होगा।
भारी वजन उठाने से इन समस्याओं का खतरा
- - भारी बस्ते से बच्चे के कंधों पर बुरा असर हो सकता है। दर्द बना रह सकता है।
- - एक कंधे पर बैग टांगने से वन साइडेड पेन शुरू हो सकता है।
- - भारी बस्ते से लोअर बैक झुकी व टेढ़ी हो सकती है। बच्चा आगे की तरफ झुककर चलने लगता है।
- - अधिक वजन उठाने से बच्चों पर मानसिक प्रभाव पड़ता है। साथ ही बच्चा तनाव में आ जाता है।
- - भविष्य में स्पॉन्डलाइटिस व स्कॉलियोसिस की समस्या हो सकती है।
- - छोटी उम्र में भारी वजन उठाने से फेफड़ों पर दबाव पडऩे लगता है। सांस की समस्या की संभावना।
क्या कहते हैं अभिभावक
1- गुरुचरन सिंह प्रिंस, अध्यक्ष ऑल उत्तराखंड पैरेंट्स एसोसिएशन हल्द्वानी ने बताया कि सरकारी सिस्टम में इच्छाशक्ति का अभाव है। दूसरे राज्य एमएचआरडी के सर्कुलर को फॉलो करा रहे हैं, लेकिन हमारे यहां इस पर बात ही नहीं हुई। विभागीय अधिकारी जिम्मेदारी से बचना चाहते हैं।
2- पंकज खत्री, संयोजक स्टूडेंट्स गार्जियन वेलफेयर सोसायटी ने कहा कि बच्चों के बस्ते का बोझ बड़ी समस्या है। एनसीईआरटी की पुस्तकें लागू होने के बाद थोड़ी राहत मिली है। अगला कदम बस्ते का बोझ कम कर बच्चों को हेल्दी माहौल देने का होना चाहिए।

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