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    उत्तराखंड: आयुष छात्रों का आंदोलन लाया रंग, बढ़ी फीस पर सरकार ने पीछे खींचे कदम

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    Updated: Thu, 21 Nov 2019 08:51 PM (IST)

    आयुष छात्रों के आंदोलन के बाद फीस बढ़ोतरी पर सरकार को बैकफुट पर आना पड़ा। गुरुवार शाम आंदोलनरत छात्रों से वार्ता हुई।

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    उत्तराखंड: आयुष छात्रों का आंदोलन लाया रंग, बढ़ी फीस पर सरकार ने पीछे खींचे कदम

    देहरादून, राज्य ब्यूरो। बढ़ी फीस को लेकर आंदोलनरत छात्रों को राहत मिली है। गुरुवार शाम मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने आयुष मंत्री डॉ हरक सिंह रावत और शासन के आला अधिकारियों की मौजूदगी में आंदोलनरत छात्रों से वार्ता की। वार्ता में उन्होंने आश्वस्त किया कि फीस के संबंध में हाईकोर्ट के निर्देशों का पालन किया जाएगा। हाईकोर्ट ने बढ़ी फीस नहीं लेने के निर्देश दिए थे। 

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    उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय से संबद्ध निजी आयुर्वेदिक कॉलेजों के छात्र फीस वृद्धि के खिलाफ आंदोलनरत रहे। आंदोलन शांत नहीं होने पर सरकार को भी अपने कदम पीछे खींचने को मजबूर होना पड़ा। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने गुरुवार शाम आंदोलनकारी छात्रों को वार्ता के लिए सचिवालय बुलाया। बैठक में मुख्यमंत्री ने छात्रों के आंदोलन को समाप्त करने के लिए प्रभावी कार्रवाई के निर्देश दिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि फीस के संबंध में हाईकोर्ट के निर्देशों का पालन करने के लिए सभी संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं। छात्रों के लंबे समय तक आंदोलनरत रहने से पढ़ाई प्रभावित हो रही है। इस मामले में हाईकोर्ट के स्तर से समय-समय पर जारी निर्देशों का गहनता से अनुश्रवण किया जाए। 

    मुख्यमंत्री ने आयुर्वेद छात्रों की फीस निर्धारण को स्थायी फीस निर्धारण समिति के शीघ्र गठन करने और समिति के अध्यक्ष पद पर न्यायाधीश को नामित करने के लिए हाईकोर्ट से अनुरोध करने को कहा। इस प्रकरण में फीस निर्धारण समिति के फैसले के मुताबिक अग्रिम कार्यवाही के निर्देश भी दिए गए। गौरतलब है कि सरकार ने 2015 में एक शासनादेश जारी कर बीएएमएस की फीस 80,500 से बढ़ाकर 2.15 लाख और बीएचएमएस की 73,600 से बढ़ाकर एक लाख रुपये कर दी थी। इसके खिलाफ हिमालय आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज के छात्र ललित मोहन तिवारी समेत अन्य छात्र हाईकोर्ट गए। हाईकोर्ट की डबल बेंच ने उक्त शासनादेश निरस्त कर दिया था। 

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    नौ अक्टूबर 2018 को कॉलेजों को बढ़ी हुई फीस लौटाने का आदेश जारी किया गया। शासन ने भी विवि को इस आदेश को लागू कराने के निर्देश दिए। इसके  बाद विवि ने कॉलेजों को कोर्ट का फैसला लागू करने को पत्र लिखा लेकिन किसी कॉलेज ने इसका पालन नहीं किया। वह छात्र व अभिभावकों पर बढ़ा हुआ शुल्क ही जमा कराने का दबाव बनाते रहे। ऐसा न करने पर उन्हें कक्षाओं में बैठने व परीक्षा में शामिल होने तक से रोका गया। इसी के खिलाफ छात्र आंदोलनरत थे व हाईकोर्ट के आदेश लागू कराने की मांग सरकार से कर रहे थे।

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    बैठक में मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह, आयुष सचिव दिलीप जावलकर, न्याय सचिव प्रेम सिंह खिमाल, प्रभारी सचिव विनोद रतूड़ी, अपर सचिव आनंद स्वरूप, संयुक्त सचिव एमएम सेमवाल, विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार डॉ माधवी गोस्वामी मौजूद थे। बाद में मीडिया से बातचीत में आयुष मंत्री डॉ हरक सिंह रावत ने भी कहा कि फीस मामले में हाईकोर्ट के आदेश का पालन किया जाएगा। 

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