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    83 नगर निकायों में वार्डों आरक्षण तय, महापौर पद पर अधिसूचना टली

    By BhanuEdited By:
    Updated: Sun, 29 Apr 2018 04:52 PM (IST)

    निकाय चुनाव की तैयारियों में जुटी सरकार ने 92 में से 83 नगर निकायों के लिए वार्डों के आरक्षण की अनंतिम अधिसूचना जारी कर दी है। महापौर पदों पर आरक्षण की अनंतिम अधिसूचना टालनी पड़ी।

    83 नगर निकायों में वार्डों आरक्षण तय, महापौर पद पर अधिसूचना टली

    देहरादून, [राज्य ब्यूरो]: निकाय चुनाव की तैयारियों में जुटी सरकार ने 92 में से 83 नगर निकायों के लिए वार्डों के आरक्षण की अनंतिम अधिसूचना जारी कर दी है। दो नगर निगमों समेत छह निकायों में आरक्षण तय होना बाकी है, जबकि बदरीनाथ, केदारनाथ व गंगोत्री में चुनाव नहीं होते। वार्ड आरक्षण के साथ ही अध्यक्ष पदों के आरक्षण के मद्देनजर शनिवार से चार मई तक आपत्तियां प्राप्त की जाएंगी।

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    राज्य में 92 में से बदरीनाथ, केदारनाथ व गंगोत्री को छोड़कर शेष 89 नगर निकायों में ही चुनाव होते हैं। इस मर्तबा अदालत में चल रहे मामलों के चलते नगर निगम रूड़की व रुद्रपुर, नगर पालिका परिषद श्रीनगर व बाजपुर, नगर पंचायत भतरौंजखान व सेलाकुई के चुनावों को लेकर स्थिति साफ नहीं है। 

    हालांकि, सरकार चुनाव की तैयारियों में जुटी है। इस क्रम में 83 नगर निकायों में शासन के आदेश पर जिलाधिकारियों ने वार्डों के आरक्षण की अनंतिम सूचना जारी कर दी। 

    अपर निदेशक शहरी विकास यूएस राणा के मुताबिक इनमें छह नगर निगम, 39 नगर पालिका परिषद और 38 नगर पंचायतें शामिल हैं।

    श्रीनगर में फिर से मांगी आपत्तियां

    हाईकोर्ट के निर्देशों के क्रम में शासन ने श्रीनगर नगर पालिका परिषद के सीमा विस्तार की अधिसूचना को निरस्त कर नए सीमा विस्तार पर नए सिरे से आपत्तियां व सुझाव आमंत्रित करने के मद्देनजर फिर अनंतिम अधिसूचना जारी की है। 

    सात दिन के भीतर आपत्तियां व सुझाव प्राप्त किए जाएंगे और शासन के दिशा-निर्देशों के क्रम में इनका निस्तारण कर निदेशालय व शासन को रिपोर्ट भेजी जाएगी।

    महापौर पद पर आरक्षण की अनंतिम अधिसूचना टली

    नगर निकायों में महापौर और अध्यक्ष पदों पर आरक्षण को लेकर चली माथापच्ची के बावजूद महापौर पदों पर आरक्षण की अनंतिम अधिसूचना चार दिन के लिए टालनी पड़ी। बताया गया कि रुद्रपुर और रुड़की नगर निगमों से संबंधित मामले कोर्ट में चलने के मद्देनजर ऐसा किया गया। अलबत्ता, 39 नगर पालिका परिषदों और 38 नगर पंचायतों के अध्यक्ष पदों पर आरक्षण को अनुमोदन कर दिया गया। बताया गया कि इस सिलसिले में शनिवार को अनंतिम अधिसूचना जारी की जाएगी।

    निकायों में वार्डों के साथ ही महापौर व अध्यक्ष पदों के आरक्षण के लिए शुक्रवार को अनंतिम अधिसूचना जारी होनी थी। इस सिलसिले में दिनभर कसरत चलती रही, लेकिन नगर निगमों में महापौर के पदों पर आरक्षण को लेकर फैसला नहीं हो पाया। 

    देर रात तक शहरी विकास मंत्री की मौजूदगी में भी विभागीय अधिकारियों ने महापौर पदों पर आरक्षण को लेकर मंथन किया। पेंच फंसा नगर निगम रुद्रपुर और रुड़की के कोर्ट में चल रहे मामलों को लेकर। रुड़की का अभी नोटिफिकेशन नहीं हुआ है, जबकि रुद्रपुर की अधिसूचना अभी रद नहीं हुई है।

    शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक के अनुसार रुद्रपुर के संबंध में अदालत से दिशा निर्देश लिया जाएगा। इस कार्य में दो-तीन दिन का वक्त लगेगा। इस सबको देखते हुए नगर निगमों में महापौर पदों पर आरक्षण चार दिन के लिए टाल दिया गया। अलबत्ता, 39 नगर पालिका परिषद व 38 नगर पंचायतों के अध्यक्ष पदों पर आरक्षण को अपू्रवल दे दिया गया है।

    आरक्षण ने बिगाड़े समीकरण

    लंबी माथापच्ची के बाद सरकार ने वार्डों आरक्षण सूची जारी की तो टिकट की उम्मीद लगाए बैठे भाजपा और कांग्रेस के कईं नेताओं के सपने धराशाई हो गए। देर शाम निकली सूची में 100 वार्डों में से 50 को आरक्षित घोषित किया गया। महिलाओं का वर्चस्व इस बार भी बरकरार है। उनके खाते में 25 सामान्य एवं नौ आरक्षित सीटें आई हैं। इसमें कईं सीटें ऐसी हैं तो पिछले चुनाव में सामान्य पुरुष में थीं। इससे उन पार्षदों को झटका लगा है, जो इस बार भी दावेदारी ठोक रहे थे। 

    दून नगर निगम में चूंकि इस बार 100 वार्ड पर चुनाव होने हैं। परिसीमन के बाद 72 ग्राम सभाएं इसमें जुड़ी हैं, लिहाजा जो ग्राम में प्रधान की दावेदारी कर रहे थे, वे इस बार पार्षद का चुनाव लड़ेंगे। शहर का दायरा और राजनीतिक कद, दोनों बढ़ चुके हैं। 

    इसलिए आरक्षण के लिए लंबी कसरत चल रही थी। आरक्षण सूची जारी होते ही पार्षदों में खलबली मच गई। सूची में 50 सीटें सामान्य, 25 महिला, चार पिछड़ी जाति महिला, चार अनुसूचित जाति महिला व एक अनुसूचित जनजाति महिला के लिए रखी गई हैं। 

    इसके अलावा आठ-आठ सीटें पिछड़ी जाति व अनुसूचित जाति के लिए अलग से हैं। हालांकि, अभी आरक्षण सूची पर आपत्ति का समय भी दिया गया है। सात दिन के भीतर जिलाधिकारी दफ्तर में आपत्ति दी जा सकती है। 

    ...तो पत्नी उतरेंगी मैदान में

    जो वर्तमान पुरुष पार्षद इस बार भी दम ठोक रहे थे और उनकी सीट महिलाओं के नाम आरक्षित हो गईं, वे अब अपनी पत्नी को मैदान में उतारने की तैयारी कर रहे हैं। कुछ ने तो पहले ही इस अनुमान के साथ पत्नी के नाम से शुभकामना बैनर वार्ड में लगा दिए थे।

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