Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    नगर निगम की कार्यकारिणी चुनाव में भाजपा-कांग्रेस में खींचतान Dehradun News

    नगर निगम में कार्यकारिणी के 12 पदों पर चुनाव के लिए भाजपा ने कांग्रेस को दो सीट ऑफर की हैं मगर कांग्रेस चार सीट की डिमांड कर रही है जो भाजपा को मंजूर नहीं है।

    By BhanuEdited By: Updated: Thu, 09 Jan 2020 09:11 PM (IST)
    नगर निगम की कार्यकारिणी चुनाव में भाजपा-कांग्रेस में खींचतान Dehradun News

    देहरादून, जेएनएन। नगर निगम में कार्यकारिणी के 12 पदों पर होने जा रहे चुनाव में भाजपा व कांग्रेस के बीच सियासत गरम हो गई है। भाजपा द्वारा चुनाव निर्विरोध संपन्न कराने के मकसद से कांग्रेस को दो सीट ऑफर की गई हैं, मगर कांग्रेस चार सीट की डिमांड कर रही है जो भाजपा को मंजूर नहीं है। 

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    कांग्रेस के प्रांतीय अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने पार्षद दल की बैठक बुलाकर चुनाव पर चर्चा की, लेकिन बैठक बेनतीजा रही। अब चुनाव से पहले फिर कांग्रेस भवन में दोबारा बैठक बुलाई गई है। वहीं, महापौर सुनील उनियाल गामा ने कहा कि भाजपा निगम में पूर्ण बहुमत में है और चुनाव के लिए भी तैयार है।

    कार्यकारिणी चुनाव और बोर्ड बैठक को लेकर भाजपा ने एक दिन पहले स्थिति स्पष्ट कर दी थी। सौ वार्डों वाले निगम में भाजपा 67 वार्डों की सत्ता पर काबिज है और पूर्ण बहुमत में है। ऐसे में कार्यकारिणी के 12 पदों पर चुनाव जीत पाना भाजपा के लिए ज्यादा मुश्किल नहीं, लेकिन अंदरखाने भाजपा को बगावत होने का खतरा भी है। 

    इससे बचने को भाजपा निर्विरोध चुनाव कराने का प्रयास कर रही। इसकी रूपरेखा तैयार कर कांग्रेस को खुश रखने का भी प्रयास किया जा रहा, लेकिन फिलहाल कांग्रेस, भाजपा के सर्व-सम्मति के फैसले पर राजी नहीं है। यही वजह रही कि कांग्रेस ने बुधवार को अपने पार्षद दल की कांग्रेस भवन में बैठक ली। 

    इसमें प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह, पार्टी के पूर्व विधायक राजकुमार, महानगर अध्यक्ष लालचंद शर्मा समेत प्रभुलाल बहुगुणा आदि ने पार्षदों के साथ चुनाव पर विचार किया। नगर निगम में नेता प्रतिपक्ष के पद पर भी विचार किया गया, लेकिन कोई निर्णय नहीं हुआ। चुनाव में जाने या ना जाने का फैसला दोबारा बुलाई गई बैठक में होगा। 

    भाजपा ने ये बिछाई है बिसात

    कार्यकारिणी के 12 सदस्य पदों पर होने वाले चुनाव में भाजपा ने अपने दस जबकि कांग्रेस के दो सदस्य को लेकर बिसात की तैयारी की हुई है। शहर में सात विधानसभा क्षेत्रों धर्मपुर, कैंट, मसूरी, राजपुर, रायपुर व सहसपुर समेत डोईवाला के विधायकों को एक-एक सदस्य का नाम चुनकर भेजने को कहा गया है। 

    इसके साथ ही एक मनोनीत विधायक से भी एक सदस्य का नाम मांगा गया है। दो सदस्य, महापौर और महानगर भाजपा अध्यक्ष के पाले से आएंगे। ऐसे में अपने दस सदस्य पूरे होने पर भाजपा द्वारा बाकी दो सदस्य कांग्रेस के लिए रिजर्व रखे गए हैं। अगर कांग्रेस निर्विरोध चुनाव कराने को नहीं मानी तो रिजर्व रखीं दोनों सीट पर भी भाजपा अपने प्रत्याशी उतारेगी।  

    उप महापौर के लिए उठने लगी मांग

    नगर निगम में कार्यकारिणी के चुनाव के दौरान अब उप महापौर को लेकर भी मांग उठने लगी है। दरअसल, पिछले 11 साल से दून नगर निगम में कोई उप महापौर नहीं बनाया गया है। मनोरमा शर्मा के कार्यकाल में कांग्रेस से उमेश शर्मा काऊ और अजीत रावत को उप महापौर चुना गया गया था।

    उसके बाद 2008 में विनोद चमोली भाजपा खेमे से महापौर बने तो उप महापौर चुनाव की मांग उठती रही, मगर चमोली ने चुनाव ही नहीं कराए। चमोली दूसरी बार 2013 में फिर महापौर चुनकर आए, लेकिन इस बार भी वे अकेले ही सत्ता संभाले रहे। भाजपा लगातार तीसरी बार साल-2017 में सुनील उनियाल गामा के नेतृत्व में निगम की सत्ता पर काबिज हुई। 

    गामा का कार्यकाल करीब सवा साल का हो चुका है। अब भाजपा के कुछ पार्षदों में अंदरखाने उप महापौर चुनाव की खिचड़ी पकने लगी है। कार्यकारिणी के चुनाव के बाद यह मुद्दा गरमा सकता है। 

    कांग्रेस नहीं मानी तो होगा चुनाव 

    महापौर सुनील उनियाल गामा के अनुसार, भाजपा सर्व सम्मति से चुनाव कराने के पक्ष में है। इसलिए बहुमत में होते हुए भी हमने दो पद कांग्रेस को देने का निर्णय कर लिया है। अगर कांग्रेस यह निर्णय स्वीकार नहीं करती तो वह चुनाव में आ सकती है। फिर भाजपा पूरे 12 पदों पर चुनाव लड़ेगी।

    यह भी पढ़ें: घोटाले में भाजपा और कांग्रेस के पार्षदों के खिलाफ होगी समान कार्रवाई Dehradun News

    पार्षदों पर रहेगा निर्णय 

    कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह के अनुसार, कार्यकारिणी में कितने पदों पर चुनाव लड़ा जाए, यह निर्णय पार्षदों पर ही छोड़ दिया गया है। अगर उन्हें लगता है कि जो दो पद भाजपा उन्हें दे रही, वह सही निर्णय है तो पार्षद अंतिम निर्णय ले सकते हैं। उन पर किसी तरह का दबाव नहीं है।

    यह भी पढ़ें: बजट में हेराफेरी करने वाले पार्षदों से होगी रिकवरी Dehradun News