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    बजट में हेराफेरी करने वाले पार्षदों से होगी रिकवरी Dehradun News

    दून शहर में गठित की गईं मोहल्ला स्वच्छता समिति के बजट में हेराफेरी करने वाले पार्षदों से नगर निगम रिकवरी की तैयारी कर रहा है। किसी पार्षद ने बीते छह महीने का रिकार्ड नहीं सौंपा है।

    By BhanuEdited By: Updated: Tue, 07 Jan 2020 10:46 AM (IST)
    बजट में हेराफेरी करने वाले पार्षदों से होगी रिकवरी Dehradun News

    देहरादून, जेएनएन। दून शहर में गठित की गईं मोहल्ला स्वच्छता समिति के बजट में हेराफेरी करने वाले पार्षदों से नगर निगम रिकवरी की तैयारी कर रहा है। किसी पार्षद ने अब तक बीते छह महीने का रिकार्ड नहीं सौंपा है।

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    महापौर सुनील उनियाल गामा की ओर से सभी पार्षदों को बोर्ड बैठक में वार्ड में रखे गए सफाई कर्मियों की सूची पहचान पत्र समेत जमा कराने के निर्देश दिए गए हैं एवं कर्मियों के मासिक वेतन का रिकार्ड भी मांगा गया है। अब महापौर व नगर आयुक्त ने सख्त तेवर अपनाकर गड़बड़ी करने वाले पार्षदों से रिकवरी के निर्देश भी दिए हैं। 

    शहर में गत जुलाई में मोहल्ला स्वच्छता समिति के अंतर्गत रखे 635 सफाई कर्मियों की नियुक्ति में गड़बड़ी का खुलासा होने के बाद महापौर सुनील उनियाल गामा के तेवर कड़े नजर आ रहे हैं। महापौर ने निर्देश दिए हैं कि जिस वार्ड में गड़बड़ी मिलती है वहां की स्वच्छता समिति भंग कर दी जाए।

    बीते छह माह में पार्षदों द्वारा स्वच्छता समिति के किस कर्मचारी को वेतन जारी किया इसका पूरा रिकार्ड उन्हें निगम में देना होगा। वेतन बैंक खाते में दिया गया या फिर नकद, यह भी बताना है। यही एक मामला पार्षदों की गले की फांस बना हुआ है। 

    दरअसल, सूत्र बता रहे कि सूची तो जुगाड़बाजी से बनाई जा सकती थी, मगर वेतन का रिकार्ड कैसे देंगे, यही चिंता पार्षदों को सता रही। नियम के तहत यह वेतन कर्मचारियों के बैंक खाते में दिया होना चाहिए, लेकिन गड़बड़ी करने वाले पार्षदों ने बैंक खाते खुलवाए ही नहीं। 

    निगम हर माह समिति के खाते में कर्मियों की संख्या के हिसाब से प्रति कर्मी 8000 रुपये वेतन भेज रहा है। समिति में नियुक्ति की संख्या 635 कर्मचारी बताई गई है और निगम हर माह कुल 50 लाख अस्सी हजार रुपये वेतन जारी कर रहा। 

    बता दें कि, शहर के 100 वार्डों में रखी गईं मोहल्ला स्वच्छता समितियों में कर्मियों की नियुक्ति में गड़बड़ी का दैनिक जागरण ने खुलासा किया था। छह महीने पहले जुलाई में इन समितियों में कुल 635 कर्मचारी रखने बताए गए और इनका वेतन देने और काम की निगरानी का जिम्मा वार्ड के पार्षदों को सौंपा गया। नगर निगम की इस दरियादिली का लाभ उठाकर आधे से ज्यादा पार्षदों ने कागजों में नियुक्ति में दर्शाई। साथ ही हर माह इनके नाम पर जारी हो रहे वेतन में बड़ा घोटाला किया जा रहा है। 

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    लोगों ने की जांच की मांग

    महादेव सेवा समिति के सदस्यों ने महापौर व नगर आयुक्त से मुलाकात कर स्वच्छता समिति में गड़बड़ी की विजिलेंस से जांच कराने की मांग की है। समिति के अध्यक्ष मुकेश शर्मा के साथ नगर निगम में पहुंचे सदस्यों ने कहा कि उनके वार्ड-35 में भी समिति के तहत सदस्य रखना बताया हुआ है,  लेकिन फिर भी सफाई व्यवस्था में कोई सुधार नहीं दिखता।

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