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    सफाई कर्मियों की नियुक्ति में घोटाले पर महापौर ने पार्षदों से मांगा पूरा रिकार्ड Dehradun News

    By BhanuEdited By:
    Updated: Mon, 06 Jan 2020 10:18 AM (IST)

    शहर में मोहल्ला स्वच्छता समिति के तहत रखे गए 635 सफाई कर्मियों की नियुक्ति में गड़बड़ी के खुलासे के बाद महापौर सुनील उनियाल गामा ने सभी पार्षदों से कर्मियों का रिकार्ड मांगा है।

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    सफाई कर्मियों की नियुक्ति में घोटाले पर महापौर ने पार्षदों से मांगा पूरा रिकार्ड Dehradun News

    देहरादून, जेएनएन। शहर में मोहल्ला स्वच्छता समिति के तहत रखे गए 635 सफाई कर्मियों की नियुक्ति में गड़बड़ी के खुलासे के बाद महापौर सुनील उनियाल गामा ने सभी पार्षदों से कर्मियों का रिकार्ड मांगा है। सभी पार्षदों को पत्र भेजा जा रहा है कि वह नौ-दस जनवरी को होने जा रही बोर्ड बैठक में कर्मियों का रिकार्ड एवं उनके पहचान पत्र जमा कराएं। महापौर ने यह भी कहा कि जिस वार्ड में गड़बड़ी मिली, वहां की स्वच्छता समिति भंग कर दी जाएगी। 

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    शहर के 100 वार्डों में रखी गईं मोहल्ला स्वच्छता समितियों में कर्मियों की नियुक्ति में गड़बड़ी का दैनिक जागरण ने खुलासा किया था। छह महीने पहले जुलाई में इन समितियों में कुल 635 कर्मचारी रखने बताए गए और इनका वेतन देने और काम की निगरानी का जिम्मा वार्ड के पार्षदों को सौंपा गया।

    नगर निगम की ओर से हर माह इन कर्मचारियों के वेतन में पचास लाख अस्सी हजार रुपये जारी किए जा रहे हैं, लेकिन निगम के पास एक भी कर्मचारी का रिकार्ड नहीं है। शिकायतें हैं कि पार्षदों ने रिश्ते-नातेदारों और करीबियों के नाम इन समितियों में चढ़ाए हुए और हर माह इनके नाम पर जारी हो रहे वेतन में बड़ा घोटाला किया जा रहा। 

    लोगों की शिकायतें आ रहीं कि स्वच्छता समितियों के कर्मचारी सड़कों पर दिख ही नहीं रहे। मामला सामने आया तो नगर आयुक्त विनय शंकर पांडेय ने मुख्य नगर स्वास्थ्य अधिकारी डा. कैलाश जोशी को हर वार्ड से रिकार्ड एकत्र करने के लिए आदेश जारी किए। 

    इस बीच दैनिक जागरण में समाचार प्रकाशित होने के बाद महापौर ने निगम अधिकारियों को तलब कर मामले की जानकारी ली। महापौर ने पार्षदों को पत्र भेजकर कर्मचारियों के नामों की लिस्ट और उनके पहचान पत्र बोर्ड बैठक में जमा करने को कहा है। 

    पार्षदों में मची खलबली

    स्वच्छता समितियों में चल रहा खेल सामने आने से पार्षदों में खलबली मच गई है। कोई पार्षद वार्ड में पांच कर्मचारियों की नियुक्ति की संख्या पर निगम से वेतन जारी करा रहा है तो कोई छह से आठ कर्मचारी काम करना बता रहा। हालांकि, इनके नामों और पहचान पत्र का कोई रिकार्ड पार्षद की ओर से कभी नहीं दिया गया। अब महापौर की ओर से कर्मचारियों के नाम और पते के रिकार्ड मांगे जाने के आदेश से सभी पार्षदों में अफरा-तफरी मची हुई। 

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    वेतन का देना होगा रिकार्ड

    बीते छह माह में पार्षदों ने स्वच्छता समिति के तहत किस कर्मचारी को वेतन जारी किया, इसका पूरा रिकार्ड उन्हें निगम में देना होगा। वेतन बैंक खाते में दिया गया या फिर नकद, यह भी बताना होगा। बता दें कि निगम हर माह समिति के बैंक खाते में कर्मचारियों की संख्या के हिसाब से प्रति कर्मचारी 8000 रुपये वेतन भेजता है। केंद्र सरकार के नियमों के तहत यह वेतन कर्मी के बैंक खाते में दिया जाना चाहिए। ऐसे में पार्षद दोहरी उलझन में फंस गए हैं कि एक तो कर्मचारियों की लिस्ट कैसे जुटाई जाए और दूसरी उनके वेतन का रिकार्ड कहां से लाएं।

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